मधेपुरा टुडे ...... बदलते परिवेश में कला-संस्कृति-साहित्य का बेहतर पायदान
जिसकी सीढ़ियों पर रखे दीप अपने प्रकाश से भावनाओं का अभिषेक कर रहे हैं .... चलिए गाहे-बगाहे उस प्रकाश से आपको रूबरू करवाऊं
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जीवन ललाम-लाल
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गीत पाँखि पर स्वप्न बीतल
विरह बोझिल यामिनी
अश्रुमय समय सिसकल
बीतल वर्षक रागिनी !
हे व्यतीत !
अहां क मुख पाटल सं हिमकन सन कोमल
ज्योत्स्ना सन चंचल
परिमल सन ओ समय झहरल छल
आय नोर कण संग अहाँकें विदा नहि करब !
पवन-तरी सन जीवन हमर
सौरभ-नाविक बनि अहाँ
दिग दिगंत पसरि जाउ !!
काया छाया ज्योति तिमिरक
बहुरंगी नर्तन निःशेष भेल
पीडाक गायन में मुखरित
स्वप्न-कम्पित नयन निमेष भेल !
राग भरल अधरक संभ्रम सन ई नीरव कम्पन
कालक विस्मृत आंगनक
'हम'
अहाँ' मात्र पूजन साधन !
हे आगत !
ईश्वर बनि मन्त्र शक्ति स
छुबि दिय अहाँ हमर भाल
अम्लान स्वर्ण शतदल सन विहुँसय
जीवन ललाम-लाल,,,,,,,,,,
नई दिल्ली
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
ReplyDeleteहे आगत !
ReplyDeleteईश्वर बनि मन्त्र शक्ति स
छुबि दिय अहाँ हमर भाल
अम्लान स्वर्ण शतदल सन विहुँसय
जीवन ललाम-लाल.......wah..shefalikajee gazab ka likhi hain.
बहुत बहुत आभार..हमारे प्रयास की सराहना हुई है...रश्मि दी के स्नेह की बदौलत हम अच्छा कर रहे हैं.
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