मधेपुरा टुडे ...... बदलते परिवेश में कला-संस्कृति-साहित्य का बेहतर पायदान 
जिसकी सीढ़ियों पर रखे दीप अपने प्रकाश से भावनाओं का अभिषेक कर रहे हैं .... चलिए गाहे-बगाहे उस प्रकाश से आपको रूबरू करवाऊं 




रश्मि प्रभा 
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 जीवन ललाम-लाल
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गीत पाँखि पर स्वप्न बीतल 
विरह बोझिल यामिनी 
अश्रुमय समय सिसकल 
बीतल वर्षक रागिनी !
हे व्यतीत !
अहां क मुख पाटल सं हिमकन सन कोमल 
ज्योत्स्ना सन चंचल 
परिमल सन ओ समय झहरल छल 
आय नोर कण संग अहाँकें विदा नहि करब !
पवन-तरी सन जीवन हमर 
सौरभ-नाविक बनि अहाँ 
दिग दिगंत पसरि जाउ !!
काया छाया ज्योति तिमिरक 
बहुरंगी नर्तन निःशेष भेल
पीडाक गायन में मुखरित 
स्वप्न-कम्पित नयन निमेष भेल !
राग भरल अधरक संभ्रम सन ई नीरव कम्पन 
कालक विस्मृत आंगनक 
'हम' 
अहाँ' मात्र पूजन साधन !
हे आगत !
ईश्वर बनि मन्त्र शक्ति स 
छुबि दिय अहाँ हमर भाल 
अम्लान स्वर्ण शतदल सन विहुँसय 
जीवन ललाम-लाल,,,,,,,,,,





-डा० शेफालिका वर्मा, 
नई दिल्ली

3 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  2. हे आगत !
    ईश्वर बनि मन्त्र शक्ति स
    छुबि दिय अहाँ हमर भाल
    अम्लान स्वर्ण शतदल सन विहुँसय
    जीवन ललाम-लाल.......wah..shefalikajee gazab ka likhi hain.

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  3. बहुत बहुत आभार..हमारे प्रयास की सराहना हुई है...रश्मि दी के स्नेह की बदौलत हम अच्छा कर रहे हैं.

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