मेरी शिकायत दर्ज की जाए मी लॉर्ड ............ बेहद सशक्त,अर्थपूर्ण आइना .... इस शिकायत ने मुझे विवश किया कि देव निर्मित इस भावनापूर्ण उद्यान में मैं अपनी आंतरिक सुप्त भावनाओं को जागृत कर, अपनी दृष्टि को सूर्य रथ बना लूँ . रथ पर मैं उन रचनाओं को लेकर आई हूँ - जो विशेष वाण हैं, ............... देर किस बात की,समक्ष है .


रश्मि प्रभा
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मेरी शिकायत दर्ज की जाए मी लॉर्ड

कितने साल लगते हैं
एक बलात्कार, एक हत्या, एक ज़ुर्म की सजा सुनाने में अदालत को 
कितने साल के बाद तक है इजाज़त 
कि एक पीड़ि‍त दर्ज़ कराने जाये 
उसके विरुद्ध इतिहास में हुए किसी अन्याय की शिकायत 

मी लॉर्ड 
मेरे जन्म के बाद मेरी माँ को नहीं दिया गया पूरा आराम और भरपूर आहार 
इसलिये नहीं मिला मुझे पूरा पोषण 
मेरी शिकायत दर्ज की जाये मी लॉर्ड 

भाई को जब दी जाती थी मलाई और मिश्री की डली 
उस वक़्त मुझे चबानी होती थी 
बाजरे की सूखी रोटी 
और सुननी होती थी माँ को दादी की जली कटी 
एक तो जनी लड़की 
वह भी काली कलूटी 
कौन इसे ब्याहेगा 
कहाँ से दहेज जुटायेंगे 
मैं गैर बराबरी और अपमान की शिकायत दर्ज कराना चाहती हूँ मी लॉर्ड
थाने मे जाती हूँ तो सब मेरी बात पर हंसते हैं 
घर वाले भी मुझे ही बावली बताते हैं
अब आप ही बतायें मी लॉर्ड 
क्या आज़ाद हिन्दुस्तान के संविधान में
मेरे लिये बराबरी की यही परिभाषा थी 

मेरी शिकायत दर्ज की जाये मी लॉर्ड 
जयपुर के रेलवे स्टेशन पर 
पच्चीस साल पहले 
जब मेरी उम्र मात्र चौदह साल थी 
एक शोहदे ने टॉयलेट के गलियारे में 
मेरे नन्हे उभारों पर चिकोटी भर ली थी 
और इस कदर सहम गयी थी मैं 
कि माँ तक को बता न सकी थी 
वह अश्लील स्पर्श मुझे अब भी नींदों में जगा देता है 
और मैं बेटी को ट्रेन में अकेले टॉयलेट जाने नहीं देती 
पहुँच ही जाती हूँ किसी भी बहाने उसके पीछे 
मैं उस अश्लील स्पर्श से छुटकारा चाहती हूँ मी लॉर्ड 
मैं इस असुरक्षा से बाहर आना चाहती हूँ
मुझे न अब ट्रेन का नाम याद है, 
न घटना की तारीख याद है 
मैंने तो उस लिजलिजे स्पर्श का चेहरा भी नहीं देखा 
यदि देखा भी होता तो अब याद न रहता 
लेकिन मेरे सपनो को उस अहसास से आज़ाद कीजिये मी लॉर्ड 
मेरी शिकायत दर्ज की जाये मी लॉर्ड 
मेरी न्याय की पुकार खाली न जाये हुज़ूर 

मेरे बचपन के अल्हड दिनों को 
अश्लील कल्पनाए सौंपने वाले मौसा के विरुद्ध मेरा वाद दर्ज किया जाये मी लॉर्ड 
क्या फर्क़ पडता है कि अब उसे लक़वा मार गया है 
कि वह अब बिस्तर में पड़ा अपनी आखिरी साँसे गिन रहा है 
छह वर्ष से चौदह वर्ष की उम्र तक साल में कम से कम दो बार आते जाते 
मासूम देह के साथ किये उसके खिलवाड़ों ने 
छीन ली जो बचपन की मासूम कल्पनाएँ वे मुझे लौटाई जायें मी लॉर्ड
मुझे ही क्यों सोचना पड़े कि क्या सोचेंगे उसके नाती और पोतियाँ उसके बारे में 
कि बुढापे में ऐसी थू थू लेकर कहाँ मुँह छिपायेगा 

क्यों सोचूँ मैं उन चाचाओं, भाइयों और मकान मालिक के बेटों के बारे में 
उन सबको जेल में भर दिया जाये मी लॉर्ड 
कि अपनी मासूम यादों में आखिर कितने जख्‍मों को लिये जीती रहूँ मैं 
मैं उस सहकर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहती हूँ
जो रोज़ाना सामने की सीट पर बैठ कर घूरा करता था 
और रातों को किया करता था गुमनाम फोन कॉल 
उसे गिफ्तार किया जाये और 
मेरे साथ इंसाफ किया जाये मी लॉर्ड

उस लड़के के विरुद्ध भी मेरी शिकायत दर्ज की जाये 
जिसने प्यार को औजार की तरह इस्तेमाल किया 
और जिसने मेरी देह से सोख लिया सारा नमक 

मेरे बच्चों को मेरे ही नाम से जाना जाये मी लॉर्ड 
कि बच्चे मेरे रक्तबीज से बने हैं 
मैं ही अपने बच्चो की माँ हूँ और पिता भी 
बच्चों के नाम के साथ पिता के नाम की अनिवार्यता को समाप्त किया जाये मी लॉर्ड 
कि सिर्फ वीर्य की कुछ बूँदें उसे पिता बना देती है और 
मेरी मांस मज्जा, मेरे नौ महीने 
मेरा दूध 
मेरी रातो की नींद, 

सिर्फ एक कर्म जिसके पीछे भी छुपा था प्यार 
या निरी वासना और गुलाम बनाने की मानसिकता 
कैसे उसे दे सकता है मेरे बराबरी का अधिकार 
इस व्यवस्था को बदलिये मी लॉर्ड 
कुछ कीजिये हुज़ूर कि इसमें छुपा अन्याय का दंश अब और सहा नहीं जाता है 

अगर आपका कानून लगा सकता है 
तमाम उम्र सुनाने में अपने फैसले 
तो मेरी तमाम उम्र की शिकायत क्यूँ आज दर्ज नहीं की जा सकती मी लॉर्ड 
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यह समय गुमराह करने का समय है

यह समय गुमराह करने का समय है
आप तय नहीं कर सकते
कि आपको किसके साथ खड़े होना है
अनुमान करना असम्भव जान पड़ता है
कि आप खड़े हों सूरज की ओर
और शामिल न कर लिया जाए
आपको अन्धेरे के हक में

रंगों ने बदल ली है
अपनी रंगत इन दिनो
कितना कठिन है यह अनुमान भी कर पाना
कि जिसे आप समझ रहे हैं
मशाल
उसको जलाने के लिए आग
धरती के गर्भ में पैदा हुई थी
या उसे चुराया गया है
सूरज की जलती हुई रोशनी से
यह चिन्गारी किसी चूल्हे की आग से उठाई गई है
या चिता से
या जलती हुई झुग्गियों से
जान नहीं सकते हैं आप
कि यह किसी हवन में आहूती है
या आग में घी डाल रहे हैं आप
यह आग कहीं आपको
गोधरा के स्टेशन पर तो
खड़ा नहीं कर देगी
इसका पता कौन देगा
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एक दिन मैं कर लूँगी बन्द घर के दरवाज़े 

माहिर पतंग बाज हो तुम 
बखूबी जानते हो काटना दूसरों की पतंग 
लम्बी ढील में 

लट्टू को अपने इशारों पर नचाना आता है तुम्हें 
कायल हैं लोग तुम्हारे इस हुनर के 

तुम्हारे टेढे सवाल कर देते हैं लाजवाब 

रंगों की अराजकता कोई तुमसे सीखे 

एक दिन लोग खोज ही लेंगे कि  
ढील में पेच लडाने वालों की पतंगों को 
कब् और कैसे मारना हैं खेन्च 

लट्टू अन्ततः लट्टू ही है 
यदि तुम समझ बैठे हो कि 
ऐसे ही नचा लोगे धरती को भी अपने इशारों पर 
सिर्फ एक डोर् मे उलझा कर 
तो ज़रा सावधान रहना 

कैन्वास कर सकता हैं ऐताराज़ किसी रोज और कहेगा 
इतना ही अराजकता के साथ् बरतना है यदि रंगों को 
तो खोज लो अपने लिए कोई और ज़मीन 
हमारी सफैद पीठ को मन्जूर नहीं 
तुम्हारी यह धमाचौकड़ी 

एक दिन मैं कर लूँगी बन्द घर के दरवाज़े 
उस दिन  
कौनसा दरवाज़ा खटखटाओगे 
इस फैले हुए भुमंडल पर कहाँ पैर टिकाओगे 
अगर बच्चों ने कर दिया इन्कार पह्चानने से 
तो क्या करोगे अपने उस बडे से नाम का 
जिसे तुम अपने इस हुनर से कमाओगे 

देवयानी भारद्वाज 
http://devyanib.blogspot.in/

5 comments:

  1. सभी रचनाये अच्छी है ."मेरी शिकायत दर्ज की जाय मी लार्ड " नारी जीवन के प्रमुख शिकायते बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है.
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  2. अति सुंदर कृतियाँ
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    नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें

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  3. सभी रचनाएं एक से बढकर एक
    शुभकामनाएं

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  4. एक लड़की को शुरू से लेकर जीवन के आखिरी पल तक आतंकित करती इन वास्तविकताओं के लिये कौन उत्तरदायी हैं?वह कभी भी चैन से न जी सके, ऐसी व्यवस्था बदलने के लिये कोई सार्थक कदम कब उठाया जाएगा- इसका उत्तरदेगा कोई या उसे ही दबा कर चुप कर दिया जाएगा ??

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  5. अत्यन्त सशक्त अभिव्यक्तियाँ..

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