हाउसवाइफ किसे कहते हैं ?
घर को घर बनाये
कभी न थके
गर हो तो ज़िक्र ना करे
थकान जब बीमारी बन जाये तो नसीहतें सुने
इसकी उसकी काबिलियत के किस्सों से
बिछावन से उठ जाये
बच्चे पिता के खानदान को उजागर करें
गलती हो तो हाउसवाइफ़ की कमजोरी
उसके परिवार की गलती !!!
और आप समझते हैं - हाउसवाइफ यानी मुफ्त की गुलाम
जो आराम फरमाती है सारे दिन :)
एक ऐसा नाम
जिसमे काम की कोई समय अवधि
नहीं होती ,ये ATM जैसा काम करती है ,
उसके काम को हमेशा फ़र्ज़ का जामा
पहनाया जाता है ,
इस काम मे बीमारी की कोई
गुंजाईश नहीं होती ,
और गलती तो आप कर ही
नहीं सकते ,
फिर भी इस काम को आदर से
नहीं नवाज़ा जाता ,
बहुत से लोग इसलिए आजकल
homemaker भी बोल लेते हैं ,
इस चाह मे की शायद कोई
फर्क पड़ जाये ,
और मज़े की बात है
उसे घर मे लाने से पहले
पूरी तरह जाँचा परखा भी जाता है ,
ऐसे लोगों को हाउसवाइफ कहा जाता है/
हाउसवाइफ सिर्फ़ प्यार, सम्मान और थोड़ी सी care चाहती है.... अगर ये देना भी उसके परिवार को भारी पड़ जाए ... तो बहुत दुख होता है...
ReplyDelete~सादर!!!
बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद भी housewife लगभग नकारा ही समझी जाती है ....पूरी उम्र इसी टीस को जीना मानो नीति सी है ...खूबसूरत कविता ।
ReplyDeletesahi kaha didi apne.....shukriya didi meri post ko vatvrich mey shamil karne kay liyee...
ReplyDeleteअधिकारों की बात नहीं
ReplyDeleteबस कर्तब्य तुम्हारे हैं
हाउसवाइफ हो तुम
bahut khoob..house wife hona aasan bhi nahi..
ReplyDeletefir bhi ......housewife hona gourav ki baat hai,jise nakara nahin ja sakta.
ReplyDeleteबस किसे कहते हैं इतना समझ आ जाये तो बात ही क्या है
ReplyDeleteअधिकतम उत्तरदायित्वबोधग्रस्त..
ReplyDeleteहाउस वाइफ को परिभाषित करती
ReplyDeleteअनूठी रचना.वाह रेवाजी !सुन्दर रचना को पढवाने के लिए रश्मि प्रभाजी का आभार !
New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
बहुत बढिया
ReplyDeleteसुबह से शाम तक ये बिजी हैं,
ReplyDeleteकौन कहता है कि housewife बनना इजी है?
दोनों रचनाएँ बहुत प्रभावशाली
ReplyDeleteसही बात।।
ReplyDeleteसटीक रचना।।।।
:-)
गहरी .. सटीक ...
ReplyDeleteसच मिएँ सच के करीब पर पुरुष के लिए बगलें झाँकने को मजबूर कर दे ...
सटीक .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहॉउस वाईफ है सब जानती है थोड़ी तारीफ कर दो 102 डिग्री बुखार में भी खाना बनाने में जुट जाएगी ।
ReplyDeleteहम जब गृहविज्ञान पढ़ते थे स्कूल में तब" गृहणी के कर्तव्य" पढाये जाते थे हलाकि दिन रात घर में माँ को वाही प्रेक्टिकल करते देखते थे ।