उठती है आवाज़ तो शिकस्त के लिए
कांटे हर सू बिछाए जाते हैं
तलाशे सुकूँ पाने के लिए
पाँव के खून ही मंजिल पे पाए जाते हैं

 
रश्मि प्रभा







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"ज़रा आँख झपकी सहर हो गई "
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दुआ जो मेरी बेअसर हो गई
फिर इक आरज़ू दर बदर हो गई

वफ़ा हम ने तुझ से निभाई मगर
निगह में तेरी बे समर हो गई

तलाश ए सुकूँ में भटकते रहे
हयात अपनी यूंही बसर हो गई

कड़ी धूप की सख़्तियाँ झेल कर
थी ममता जो मिस्ले शजर हो गई

न जाने कि लोरी बनी कब ग़ज़ल
"ज़रा आँख झपकी सहर हो गई"

वो लम्बी मसाफ़त की मंज़िल मेरी
तेरा साथ था ,मुख़्तसर हो गई

मैं जब भी उठा ले के परचम कोई
तो काँटों भरी रहगुज़र हो गई

’शेफ़ा’ तेरा लहजा ही कमज़ोर था
तेरी बात गर्द ए सफ़र हो गई
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बेसमर = असफल ; शजर = पेड़ ; मसाफ़त = दूरी , फ़ासला ;
मुख़्तसर = छोटी ; परचम = झंडा ; रहगुज़र = रास्ता
गर्द ए सफ़र = राह की धूल




इस्मत ज़ैदी
तख़य्युलात की परवाज़ कौन रोक सका .... परिंद जब ये उड़ा फिर कहीं रुका ही नहीं

13 comments:

  1. कड़ी धूप की सख़्तियाँ झेल कर
    थी ममता जो मिस्ले शजर हो गई

    न जाने कि लोरी बनी कब ग़ज़ल
    "ज़रा आँख झपकी सहर हो गई"

    वाह ... बहुत खूब कहा है ... इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार आपका ।

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  2. ’शेफ़ा’ तेरा लहजा ही कमज़ोर था
    तेरी बात गर्द ए सफ़र हो गई
    bahut sunder prastuti ...!!
    abhar .

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  3. कड़ी धूप की सख़्तियाँ झेल कर
    थी ममता जो मिस्ले शजर हो गई

    न जाने कि लोरी बनी कब ग़ज़ल
    "ज़रा आँख झपकी सहर हो गई"

    बहुत खूबसूरत गज़ल ...हर शेर उम्दा .

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  4. सुन्दर शेरों से सजी खूबसूरत गज़ल्।

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  5. ap sabhi ka bahut bahut shukriya

    rashmi ji aap ke blog par meri ghazal ka ana hi mere liye badi bat hai ,,,dhanyavaad

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  6. तलाश ए सुकूँ में भटकते रहे
    हयात अपनी यूंही बसर हो गई
    बहुत सुंदर गजल ! शुक्रिया !

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  7. इस्‍मत जी का प्रशंसक रहा हूं मैं। अच्‍छा लगता है उन्‍हें पढना।

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    हॉट मॉडल केली ब्रुक...
    यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...

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  8. ज़रा आँख झपकी सहर हो गई
    वाह क्या बात है
    बहुत खूबसूरत गज़ल

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  9. ’शेफ़ा’ तेरा लहजा ही कमज़ोर था
    तेरी बात गर्द ए सफ़र हो गई
    _____________________bahut khoobsurat gazal....

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  10. दुआ जो मेरी बेअसर हो गई
    फिर इक आरज़ू दर बदर हो गई

    बहुत खूब...वाह...

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  11. मैं जब भी उठा ले के परचम कोई
    तो काँटों भरी रहगुज़र हो गई

    ....बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...हरेक शेर लाज़वाब..

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  12. बहुत सुन्दर

    वो लम्बी मसाफ़त की मंज़िल मेरी
    तेरा साथ था ,मुख़्तसर हो गई

    किसी का साथ हो तो ज़िन्दगी की मुश्किल रहें भी आसान हो जाती हैं

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  13. bahut achchhi gajal padne ko mili,badhai

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