पावन शब्द
अवर्णनीय प्रेम
सदा रहेंगे।


सहेजते हैं
सपने नाजुक से
टूट न जाएं।


जीवंत रहे
राधा-कृष्ण का प्रेम
अलौकिक सा।


फिल्मी संस्कृति
पसरी हर ओर
कामुक दृश्य


अपसंस्कृति
टूटती वर्जनाएँ
विद्रूप दृश्य


ये स्वछंदता
एक सीमा तक ही
लगती भली.

कृष्ण कुमार यादव  
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संपर्क :- कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवा, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101
 kkyadav.y@rediffmail.com

12 comments:

  1. शानदार हाइकू।

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  2. "जीवंत रहे
    राधा-कृष्ण का प्रेम
    अलौकिक सा।"

    " उपर्युक्त " आज के लिए बहुत ख़ास.... !! और शानदार हाइकू.... :)

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  3. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    कल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है !
    क्‍या वह प्रेम नहीं था ?

    धन्यवाद!

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  4. अच्छी हाईकू रचनाएं... वाह!

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति !

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  6. प्यार की अनूठी पेशकश

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  7. सुन्दर हायेकु...

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  8. जीवंत रहे
    राधा-कृष्ण का प्रेम
    अलौकिक सा। yhi prem sansar ko shi disha deta hai.bahut achchi abhivyakti.

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  9. कोमल भावनाएं.. असली प्रेम आजकल कहीं खो सा गया है

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