यादों की आहटें गुम नहीं होतीं
जब भी अकेला देखती है - सांकलें खटखटाती हैं
भीड़ से खींचकर अनमना कर जाती हैं ...


रश्मि प्रभा
==================================================================
दस्तक

इतने बरस बीत गए,
फिर दरवाजे पर सुधियों ने दी दस्तक है.
खिड़की से आने की,
उनके दिल में हसरत बाकी अब तक है.
महानगर की बयारी में,
मेरे आँगन की क्यारी में,
फल सब्जी तरकारी में,
अम्मा की नीली सारी में,
अपने सपने से बचपन की,
वो खुशबू,क्या जाने बाकी अब तक है.
अपनी आशा के पंख लगाना,
दूर कहीं फिर उड़ के जाना,
माँ से छुप छुप बातें करना,
रात रात रत जागे करना,
हर पल हँसना और हँसाना,
क्या सब,याद तुम्हें भी अब तक है
इतने बरस बीत गए,
फिर दरवाजे पर सुधियों ने दी दस्तक है.
हंसी ठिठोली दिन भर करना,
रातों को फिर चुप चुप रहना,
बाहर भीतर सब कुछ सहना,
आँखों से पर कुछ न कहना,
सबकी सहमती पर मुहर लगाना,
यही नियति क्या अब तक है,
हमने तो स्वीकार किया है,
नये रिश्तों ने आकार लिया है,
इन रिश्तों को हमने अपना जीवन ये उपहार दिया है,
न हमने कोई प्रतिकार किया है,
इन रिश्तों में खुशियाँ बिखराना,
अपनी सांसों में सांसें बाकी जब तक हैं,
इतना सब कुछ बीत गया है,
सुधि कलश भी अब रीत गया है.
दे हमें वही संगीत गया है,
वो पल छिन सारे साथ लिए हम,
खड़े वहीं पर अब तक हैं.
इतने बरस बीत गए,
फिर दरवाजे पर सुधियों ने दी दस्तक है.
खिड़की से आने की,
उनके दिल में हसरत बाकी अब तक है.



मेरा फोटो
रचना हूँ मैं रचनाकार हूँ मैं , सपना हूँ मैं या साकार हूँ मैं, रिश्तों में खो के रह गया संसार हूँ मैं, शून्य में लेता नव आकार हूँ मैं, अपने आप को ही खोजता इक विचार हूँ मैं, लेखनी में भाव का संचार हूँ मैं, स्वयं से ही पूंछती की कौन हूँ मैं, इसी से रहती अक्सर मौन हूँ मैं,

14 comments:

  1. आदरणीय रचना जी को पढ़ना हमेशा सुखद होता है...
    सादर बधाईयाँ..

    ReplyDelete
  2. माँ से छुप छुप बातें करना,
    रात रात रत जागे करना,
    हर पल हँसना और हँसाना,
    क्या सब,याद तुम्हें भी अब तक है
    इतने बरस बीत गए,
    फिर दरवाजे पर सुधियों ने दी दस्तक है.

    अच्छा लगा पढ़कर सुंदर रचना.....

    ReplyDelete
  3. कितनी सुन्दर यादें...दस्तक दे रही है मन के दरवाजे पर...अति सुन्दर!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर...
    यादों की दस्तक...

    सादर.

    ReplyDelete
  5. नये रिश्तों ने आकार लिया है,
    इन रिश्तों में खुशियाँ बिखराना,
    अपनी सांसों में सांसें बाकी जब तक हैं,
    इतना सब कुछ बीत गया है,
    सुधि कलश भी अब रीत गया है
    ****************************************
    "यादों की आहटें गुम नहीं होतीं
    जब भी अकेला देखती है - सांकलें खटखटाती हैं
    भीड़ से खींचकर अनमना कर जाती हैं ..."
    इस के बाद ,कुछ लिखने केलिए है ही नहीं........... !!

    ReplyDelete
  6. फिर दरवाजे पर सुधियों ने दी दस्तक है.्…………यादें तो यूँ ही दस्तक देती हैं ।

    ReplyDelete
  7. सुंदर रचना से म‍िलवाने के लि‍ए आभार

    ReplyDelete
  8. उत्क्रिस्ट रचना अभिव्यक्त की है कवियत्री रचना जी ने बधाई

    ReplyDelete
  9. yaado kii dastak man ko jode rahti hai bahut sundar

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर तरीके से यादों को साझा किया है रचना जी ने

    ReplyDelete
  11. यर्थाथ का चित्रण। सादर।

    ReplyDelete
  12. माँ से छुप छुप बातें करना,
    रात रात रत जागे करना,
    हर पल हँसना और हँसाना,

    सुंदर रचना.....

    ReplyDelete

 
Top