रिश्ते थे या कर्तव्यों की हिदायतें
विभक्त सी मैं - खुद को भी अब ना पहचानूँ !
रश्मि प्रभा
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टुकड़े- टुकड़े में बंटी मैं,
टुकड़े- टुकड़े में यूँ बंटी मैं,कि मिलता ही नहीं अब कोई भी सिरा
खोजती फिरूँ कब तक राहों में, कि कहाँ -कहाँ कतरा मेरे अस्तित्व का गिरा ,
जब भी बैठी जोड़ने टुकडो को, हर बार हुआ यूँ ही
ढूँढा एक टुकड़ा तो फिर न अगला सिरा मिला,
छलनी करती रही हर बार जाने कितनी वेहशी निगाहें जिस्मो- जान मेरा
न जाने कितनी बार मुझे उन दहशत के सायों ने आ घेरा
जो भी मिले यहाँ बनकर हिमायती, सब वो जिस्म के प्यासे थे
दिए थे जो गम के आलम में, झूठे सब वो दिलासे थे
कब तक सहती वार पर वार यूँ मैं ,की बिखरना ही था यूँ एक दिन
बिखरी इतने टुकडो में कि फिर न कभी सिरे से सिरा मिला............
कोशिश भी जब लाख की जोड़ने की तो
बस इक उथला सा चेहरा मिला ..........
-सोमाली
हर नारी मन की व्यथा है ये.
ReplyDeleteअति सुन्दर..
जो भी मिले यहाँ बनकर हिमायती, सब वो जिस्म के प्यासे थे
ReplyDeleteदिए थे जो गम के आलम में, झूठे सब वो दिलासे थे
वाह!
"रूह के रिश्ते भी मुझे सालते रहे,
अपने हैं ये मेरे,ये भरम पालते रहे"
बहुत ही भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete.नारी का दर्द उभरती सुन्दर रचना..
ReplyDeleteकब तक सहती वार पर वार यूँ मैं ,की बिखरना ही था यूँ एक दिन
ReplyDeleteबिखरी इतने टुकडो में कि फिर न कभी सिरे से सिरा मिला............
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हिम्मत और हौसले की दाद देनी पड़ेगी ,दिल और दिमाग को झझकोर को रख दे , इतना सहने के बाद ,
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कोशिश भी जब लाख की जोड़ने की तो
बस इक उथला सा चेहरा मिला ..........
kya khaoon.........betreen .........nari man ke bhavon ka sundar chitran kiya hai.
ReplyDeleteनारी मन की व्यथा ..यही नारी की कथा..
ReplyDeleteJAB BHI BAITHIJODNE TUKDO KO HAR BAR HUA YUHI,
ReplyDeleteDHUNDHA EK TUKDA TO PHIR NA AGLA SIRA MILA
nari ki sahan sheelta ki marmik waytha
गहन अभिवयक्ति..........
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी!
ReplyDeleteकोशिश भी जब लाख की जोड़ने की तो
ReplyDeleteबस इक उथला सा चेहरा मिला ......
भीतर तक उतर जाने वाले शब्द...
यह वटवृक्ष भाव-यात्रा में निकले पथिकों का रम्य आश्रय स्थल है।
ReplyDeleteसुंदर कविता।
नारी जीवन के जीवन की उहापोह का सुंदर विवेचन कविता के माध्यम से किया है सोमाली जी ने. इस सुंदर रचना के लिये वह बधाई की पात्र है.
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