अनुभवों का मसला था
या बीतते सालों का कारवां
मन के कोने में जो जमा
वह पन्नों पर उतरने लगा
ज़िन्दगी पहले अधिक सहज हो गई
उम्र का मुकाम हो गई ...


रश्मि प्रभा

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एक पहल...

५४ साल लम्बी यादें.....
उतार चढ़ावों से भरीं
जिसमें बहुत कुछ बीता
कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया
कुछ अनायास ही खिल आनेवाली मुस्कराहट का सबब बन गया....
कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया
कुछ ,
बस यूहीं धूप में छाँव सा ठंडक पहुंचा गया ......
और यादों का यह काफिला
पृष्ट दर पृष्ट पूरा जीवन बन गया
जिसमें गाहे बगाहे, कुछ सुरीले, सुखद क्षण,
.....मेरे हिस्से की धूप बन गए.....
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सरस

14 comments:

  1. bedha sundar...komal bhaavpoorn rachna..

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  2. बहुत बहुत सुन्दर...
    जिसमें गाहे बगाहे, कुछ सुरीले, सुखद क्षण,
    .....मेरे हिस्से की धूप बन गए.....

    सादर.

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  3. उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  4. यादों का काफिला ही जीवन बन गया ...
    यादें जुडती जाती है, जीवन आगे बढ़ता है !

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  5. सही कहा ऐसा ही होता है काफ़ी हद तक्………सुन्दर रचना

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  6. कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया
    कुछ अनायास ही खिल आनेवाली मुस्कराहट का सबब बन गया....

    सुंदर रचना.....

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  7. ५४ साल(लिखने में दो शब्द,और मै ५२ और मेरी)लम्बी यादें.....

    कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया ,
    कुछ अनायास ही खिल आनेवाली ,
    मुस्कराहट का सबब बन गया.... :)
    कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया
    ज़िन्दगी पहले अधिक सहज हो गई
    दिल को छू गई.... :)

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  8. बेहतरीन कविता।

    सादर

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति.

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  10. ज़िन्दगी तो सहज होगी ही रश्मि जी ....
    उम्र ने बहुत कुछ दिया भी है आपको ....
    बहुत बहुत बधाई आपको भी ....
    आपके संपादन में भी पुस्तक आ रही है .....:))

    और सरस जी के हिस्से की धूप भी उन्हें मुबारक ...
    नज़्म बहुत अच्छी बन पड़ी है ....

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  11. कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया
    कुछ ,
    बस यूहीं धूप में छाँव सा ठंडक पहुंचा गया

    यादें अक्सर ठंडी छांव ही देती हैं।
    बहुत बढि़या कविता।

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  12. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.

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