चिड़िया की उड़ान
रश्मि प्रभा
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"
उसकी मीठी आवाज़
उसके रंग सबको दिखते हैं
पर उसकी भी अपनी व्यथा है -
रश्मि प्रभा
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रंग बिरंगी चिड़िया एक दिन बोली मुझसे
रंग बिरंगी चिड़िया
एक दिन बोली मुझसे
निरंतर खूब लिखते हो मुझ पर
कभी मुझसे भी तो पूछ लो
क्या लिखना है मुझ पर ?
क्या सहती हूँ ? कैसे जीती हूँ ?
कैसे उडती आकाश में ?
आज मैं ही सुनाती हूँ
मेरी कहानी
पहले ध्यान से सुन लो
फिर जो मन में आये लिख लो
पेड़ पर टंगे कमज़ोर से नीड़ में
माँ ने अंडे को सेया
तो मेरा जन्म हुआ
जीवन लेने को आतुर
दुश्मनों से बचा कर
किसी तरह माँ ने
पाल पास कर बड़ा किया
मुझे सब्र का पाठ पढ़ाया
जब तक खुद को
सम्हाल नहीं सकूं तब तक
उड़ने को मना किया
पहले फुदकना सिखाया
कुछ अनुभव के बाद मुझे
उड़ना सिखाया
तिनकों से बने नीड़ में
आंधी,तूफ़ान,
भीषण गर्मी और शीत में
निरंतर जीवन जिया
नीड कई बार उजड़ा
माँ ने हताश हुए बिना
हर बार अथक परिश्रम से
नया नीड बनाया
सदा चौकन्ना रहने का
महत्त्व बताया
मुझे आत्म रक्षा का
उपाय सुझाया
अनुभव ना ले लूं जब तक
नीड़ से दूर जाने को
मना किया
माँ ने संतुष्ट रहना
सिखाया
अपने सामर्थ्य के अनुरूप
जीने का मार्ग दिखाया
माँ जो भी करती थी
उन्होंने मुझे भी सिखाया
अब ,एक बात तुम से भी
पूछ लूं
क्यों मनुष्य बच्चों को सब्र से
जीने के लिए कहता
परन्तु खुद बेसब्र रहता
संतान से
संयम रखने को कहता
खुद व्यवहार में उत्तेजित होता
अनेकानेक कामनाएं
रखता
पर निरंतर असंतुष्ट रहता
संतान को भी असंतुष्ट बनाता
सदा अनुभव की बात करता
स्वयं अनुभव हीन सा
काम करता
अपने सामर्थ्य को नहीं
पहचानता
सब कुछ पास होते हुए भी
होड़ में जीता रहता
अति शीघ्र हताश हो जाता
अगर लिखना ही है तो
यह भी सब लिखना
मेरे रंग और सुन्दरत़ा पर
सब लिखते हैं
तुम से प्रार्थना है
तुम तो मेरा सच लिखना
मेरे जीवन से कुछ
तुम भी सीखना
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"
बहुत प्यारी कविता, और गहन संदेश भी!
ReplyDeleteरंग बिरंगी चिड़ियाँ के सत्य का सुन्दर बयान!
ReplyDeleteRajendra Nirantar ji ki ek alag si par vishesh prernadayak kavita.chidia ke madhyam se bahut hi saarthak baat kahi hai.
ReplyDeleteएक माँ की सच्ची तस्वीर बनाते-बनाते ,
ReplyDeleteइंसानों की कडवी फितरत दिखलाती रचना.... !
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteएक अनदेखा नजरिया...
सच बयान करती सुन्दर रचना
ReplyDeleteअक्षरश: सच कहती यह अभिव्यक्ति ... आभार ।
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट ॥ बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteचिड़ियों के माध्यम से मानवीय अधीरताओं और अन्यायों की बेहतरीन अभिव्यक्ति !!
बधाई हो राजेंद्र जी!
पर उसकी भी अपनी व्यथा है .....sabki apni-apni.
ReplyDeleteएक यथार्थ, जिन्दगी लाइव
ReplyDeleteसबकी अपनी अपनी व्यथा ...अपना अपना प्रारब्ध है ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
sabko bahut dhanywaad
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