अल्हड़ लड़की का चाँद खुल गयी अम्बर की गांठ छिटके तारे और बादलों के नाजुक से फाहों के बीच से उतरे तुम रात के चमकीले...
डॉ. मालिनी गौतम की तीन कविताएं
(एक) .......याद याद ! चली आती है, बिन बुलाए मेहमान की तरह ! बंद दरवाजे और खिड़कियाँ दरीचों से झाँकती सूरज की रोशनि...
अंधविश्वास की गलियों मे..
अंधविश्वास की गलियों मे, जब कोई भटकता है, उजाले मे भी सब धुंधला ही दिखता है। ये तो वो कोहरा है, जो कभी नहीं छंटता है, बढता ही बढता है। अंध...
गाँव से भागता हुआ आदमी - पंकज त्रिवेदी
गाँव से भागता हुआ आदमी जब शहर की ओर भागने लगा था तो सबकुछ पाने की चाह से कितना लाचार और बेबस सा था और है गाँव भी ट...
किस घर कैसे जाएँ?
वहाँ जहां पर प्यार नहीं हो, कैसे फूल बरसाएं, दुःख के कांटे चुभते हो तो, क्यों कर प्रीत निभाएं ? चोट लगती हर वचन से, नैनों...
...जब गोधरा जल उठा था
गुजरात - 27 फरवरी 2002 "हर रोज की तरह उस सुबह भी मैंने क्रिकेट की ख़बरें पढ़ने के लिए ही अखबार उठाया लेकिन उस सुबह अखबार लाल खू...
तुम्हारी कमी...
आज यूँ ही एक ख्याल गुजरा मेरे रास्ते से, शायद क्यूंकि तुम मेरे साथ नहीं आज! ख्याल ने झाँका मेरे अंतर्मन में पढ़ा मेरी बे...
और तुम आओ!! (कुछ हल्का-फुल्का....)
सूरज की दिशा बदले सूर्यास्त से कलरव का आरम्भ हो सूर्योदय में आँखों में नींद हो कमरे में रोटी सिंके रसोई में खाट बिछे तुम बोलो-...