मैं ही सुदामा
मैं ही यशोदा
राधा मुझमें ही है !
कभी गोपिका , कभी रुक्मिणी
ऊधो का ज्ञान भी मुझमें ही है !
भरी सभा में मैं द्रौपदी
सूतपुत्र भी मैं !
लक्ष्य साधा है जीवन का
कतरा कतरा हूँ मैं ....
.
...रश्मि प्रभा
...रश्मि प्रभा
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मैं -एक नारी
मैं -
बहुचर्चित
किसी उपन्यास की
सिकुड़ी सिमटी दुःख में डूबी
नायिका नहीं हूँ
मैं |
ना ही
खाली वक़्त
समय बिताती सखियों की
चर्चा खास की
कथा की व्यथा हूँ
मैं |
ना ही खुद
की कलम से
लिखी जाने वाली
दर्द में डूबी कविता हूँ
मैं |
उनकी खुशी
इन सब की खुशी
अपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं |
जीती रही जन्म जन्म... पुनश्च मरती रही.... मर मर जीती रही पुनः..... चलता रहा सृष्टिक्रम... अंतविहीन पुनरावृत्ति क्रमशः~~~~... पेशे से डॉक्टर / स्त्री रोग विशेषज्ञ... बहुत दुखी देखे है |... जिंदगी और मौत की गुत्थमगुत्था -.. छटपटाता जीवन- घुटने टेकता मिटते देखा है |.. जिंदगी की जंग जीती जाए.. अमृतरस की आस है |
मैं ही सुदामा
ReplyDeleteमैं ही यशोदा
राधा मुझमें ही है !
कभी गोपिका , कभी रुक्मिणी
ऊधो का ज्ञान भी मुझमें ही है !
..........................
उनकी खुशी
इन सब की खुशी
अपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं |
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
ReplyDeleteNAARI EK ROOP ANEK .....BAHUT KHOOB
ReplyDeleteबेहद ही ख़ूबसूरत रचना ! आत्मविश्वास और स्वयंसृष्टा स्वतंत्र नारी के मनोभावों को वाकई सच्चाई के साथ बयाँ किया है आपने सम्मानीय नूतन जी ! साधुवाद !
ReplyDeleteवाह सबसे प्यारे रूप में नारी को प्रस्तुत किया.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
bhut sunder panktiya hai...
ReplyDeleteनारी का बहुत उत्तम स्वरुप प्रस्तुत किया है...बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteनूतन जी अपनी सुंदर कविता से पूरी नारी व्यथा और कथा को बता दिया आपने....नारी ही जगता का सार है...बहुत ही सटीक और सुंदर रचना...धन्यवाद।
ReplyDeleteइन सब की खुशी
ReplyDeleteअपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं |
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
इन सब की खुशी
ReplyDeleteअपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं ... hamari hansmukh naari ko salaam :))
sundar !
आज ऐसी ही नारी की ज़रूरत है ...अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह!!! नारी का वास्तविक चित्रण ...अति सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसबकी और अपनी खुशियों के लिए जीने वाली नारी हूँ मैं ...
ReplyDeleteसुन्दर !
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteरश्मि जी ... आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,. आपने मेरी रचना को वटवृक्ष की छाँव दी... उस पर आपकी लिखी स्त्री पर कविताओं की कुछ पंक्तिया बेहद सुन्दर ... आपका आशीर्वाद हमेशा मिलता रहे ..
ReplyDeleteमैंने यह पोस्ट आज की चर्चामंच मे रखी है... आप वहाँ पर भी आ कर अपने शब्दों से अनुग्रहित करें...
सादर ...
नूतन व रश्मि जी आप दोनों की ही कवितायें सुंदर हैं...कितने रूपों में नारी जीती है...धन्यबाद.
ReplyDeleteआज की नारी के मनो भावो का सुन्दर चित्रण किया है।
ReplyDeleteउनकी खुशी
ReplyDeleteइन सब की खुशी
अपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं |
दोनों ही कवितायें बहुत प्रेरक और भावपूर्ण हैं..आज की नारी के मनोभावों का बहुत सुन्दर चित्रण...
donon hi kavita bahut achchi lagi.
ReplyDelete"इन सब की खुशी
ReplyDeleteअपनों की खुशी के लिए
जीने वाली हँसमुख नारी हूँ
मैं "
सचमुच ऐसा हो तो जीवन खुशियों से भर जाये.बेहद सारगर्भित सन्देश देती रचना.
jeevan ko sarthakta se jeene vali nari ko salam...
ReplyDeleteNari ke alag vyaktitva ko ujagar karane vali, ati swabhavik roop me likhi gai is kavita me bhi badi gaharai ke darshan hote hai | Dr. Nutan ko Abhinandan...
ReplyDeleteHamesha ki tarah RASHMI JI apani chhavi ke anusar tah tak jati hui...
Dono ko Badhai
@ रश्मि प्रभा जी @ नूतन जी ....नारी के कोमल स्वरूपों को अत्यंत ही कोमल भाव युक्त शब्दों में अभिव्यक्त करने वाली अत्यंत ही सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आप दोनों को हार्दिक शुभ कामनाएं...एवं कोटि कोटि अभिनन्दन....
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर कविता |
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