संतोष में सुख है
वरना दुःख है ......... सारे ब्लोग्गर्स अपने घर के बच्चों को बिठाएं और दादी माँ की कहानियों की गूढ़ता में जीवन का एक अर्थ दे जाएँ ...
रश्मि प्रभा
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अधिक तृष्णा नहीं करनी चाहिए
किसी जंगल में एक भील रहता था| वह बहुत साहसी,वीर और श्रेष्ट धनुर्धर था| वह नित्य प्रति बन्य जीव जन्तुओं का शिकार करता था और उस से अपनी आजीविका चलता था तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था| एक दिन वह बन में शिकार करने गया हुआ था तो उसे काले रंग का एक विशालकाय जंगली सूअर दिखाई दिया| उसे देख कर भील ने धनुष को कान तक खिंच कर एक तीक्ष्ण बाण से उस पर प्रहार किया| बाण की चोट से घायल सूअर ने क्रुद्ध हो कर साक्षात् यमराज के सामान उस भील पर बड़े वेग से आक्रमण किया और उसे संभलने का अवसर दिए बिना ही अपने दांतों से उसका पेट फाड़ दिया| भील का वहीँ काम तमाम हो गया और वह मर कर भूमि पर गिर पड़ा| सूअर भी बाण के चोट से घायल हो गया था, बाण ने उसके मर्म स्थल को वेध दिया था अतः उस की भी वहीँ मृतु हो गयी| इस प्रकार शिकार और शिकारी दोनों भूमि पर धरासाई हो गए|
उसी समय एक लोमड़ी वहां आगई जो भूख प्यास से ब्याकुल थी| सूअर और भील दोनों को मृत पड़ा देख कर वह प्रसन्न मन से सोचने लगी कि मेरा भाग्य अनुकूल है, परमात्मा की कृपा से मुझे यह भोजन मिला है| अतः मुझे इसका धीरे-धीरे उपभोग करना चाहिए, जिस से यह बहुत समय तक मेरे काम आसके|
ऐसा सोच कर वह पहले धनुष में लगी ताँत की बनी डोरी को ही खाने लगी| थोड़ी ही देर में ताँत की रस्सी कट कर टूट गई, जिस से धनुष का अग्र भाग वेग पूर्वक उसके मुख के आन्तरिक भाग में टकराया और उसके मस्तक को फोड़ कर बहार निकल गया| इस प्रकार लोभ के वशीभूत हुई लोमड़ी की भयानक एवं पीड़ा दायक मृत्यु हुई| इसी लिए कहते हैं कि अधिक तृष्णा नहीं करनी चाहिए |
ख्याली राम जोशी http://dadimaakikahaniyan.blogspot.com/ |
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...।
ReplyDeleteअधिक तृष्णा ही सभी दुखों का कारण है...तथा पूरे देश व समाज को दुखी करने का भी....
ReplyDeleteशिक्षाप्रद प्रस्तुति ,आभार!
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
इसी लिए कहते हैं कि अधिक तृष्णा नहीं करनी चाहिए |sahi kaha--
ReplyDeletejai baba banaras--
आजकल के बच्चे तो ऐसी कहानियों से पूरी तरह से महरूम हैं. अच्छी शिक्षाप्रद कहानी. जोशी जी का और आपका बहुत आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कथा..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरणा दायक रचना |
ReplyDeleteआशा