माँ ... जिसके आगे ख्वाहिशों को
नए पंख, नई उड़ान मिलती है
दुआओं के धागों में
जो रक्षा मंत्र पिरो देती है
माँ अपनेआप में
सूर्य कवच होती है
माँ - एक मधुर अहसास
मैं अकेली कहाँ ?
कोई तो है
जो मुझे पग -पग पर समझाती है ,
कभी प्यार से
कभी फटकार से ,
निराशा के घनघोर अंधकार में ,
ज्योति की एक सुनहरी किरण ,
रास्ता दिखाती
पथ प्रदर्शन करती
मुस्कराती
ओझल हो जाती ,
पास न होकर भी
दिल के कितने करीब होती है
जब -जब भी तुम्हें पुकारा
तो पाया
एक मधुर अहसास ,
सुख -स्पंदन
प्यार का अथाह सागर ,
निश्छल प्यार
जो कहती ... मै दूर कहाँ हूँ तुमसे ?
तुम मेरा प्रतिविम्ब हो ,
उठो ,छोड़ो निराशा
और आगे बढ़ो ...
मेरी प्रेरणा ,मेरी मार्ग -दर्शक
और कोई नहीं
मेरी माँ ही हैं l
-प्रीत अरोड़ा
शोधार्थी ,हिंदी -विभाग
पंजाब यूनिवर्सिटी ,चंडीगढ़
मेरी प्रेरणा ,मेरी मार्ग -दर्शक
ReplyDeleteऔर कोई नहीं
मेरी माँ ही हैं !!
हर शब्द एकदम सच ....।
सच कहा……………बहुत सुन्दर्………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteमाँ हमेशा मार्गदर्शक होती है..बहुत सुन्दर..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteमाँ के बारे में गिरीश जी की यह कविता सुनने लायक है
पाठकों पर अत्याचार ना करें ब्लोगर
हर शब्द एकदम सच|
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें|
खामोशी भी और तकल्लुम भी ,
ReplyDeleteहर अदा एक क़यामत है जी
@ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss
http://shekhchillykabaap.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
behad sundar...dil ke ekdam paas-paas sa.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेरणादायक रचना |
ReplyDeleteHolee bahut mubarak ho!
ReplyDeleteआपकी हालिया पोस्ट की चर्चा हमने की है
ReplyDeleteब्लॉग की ख़बरें पर
आयें और सराहें
हमारा हौसला बढ़ाएं
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html
प्रीती ,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता !
जी हाँ माँ सब कुछ है ...
सब तों ऊपर रब दी थां
दूजे थां ते आउंदी माँ
की होइया जे रब नहीं वेखिया
रब वरगी मेरी माँ तां है
उस दीयां दितियाँ दुयावां दी
मेरे सर ते छाँ तां है !
डॉ. सरिता चौहान
ReplyDeleteएमसीएम डीएवी कॉलेज
चंडीगढ़
सराहनीय प्रयास. लिखती रहो.
भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनायें .
Waaahh...Ek Ek shabd jaisa main mehsus karti hu wahi to hai yeh...
ReplyDeleteHa esi hi hoti hai Maa,
Ha esi hi hai Meri Maa...ILu..!
माँ को समर्पित बेहतरीन कविता
ReplyDeleteसचमुच वो माँ ही है जो हौंसला बंधाती है , आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है
सुंदर रचना के लिए बधाई
बहुत प्यारी रचना.....
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर प्यारी रचना....:-)
ReplyDeleteमाँ को शत शत नमन !
ReplyDelete