भूलभुलैया में उलझकर सच्चे मोती नहीं मिलते
आशंकाओं में ज़िन्दगी के हल नहीं मिलते
संभावनाओं के आकाश में शक के बादल
आखिर क्यूँ !
एक दिन तो चले ही जाना है ...............
रश्मि प्रभा
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आभासी दुनियाँ
एक ऐसी दुनियाँ
जहाँ
न कोई राजा न कोई रानी
न कोई मंत्री न कोई सैनिक
सभी मालिक
सभी प्रजा
न कोई भूखा न कोई नंगा
सभी मानते
मन चंगा तो कठौती में गंगा ।
एक से बढ़कर एक विद्वान
कुछ बड़े
कुछ औसत दर्जे के....
कवि, कहानीकार, पत्रकार, चित्रकार, व्यंग्यकार
कुछ अलग ढंग के फनकार
और कुछ
फनहीन चमत्कार
भौचक करती है जिनकी
औचक फुफकार !
क्या करना है
किसी की निजी जिंदगी में झांककर !
सब कुछ दिखाने वाला चश्मा क्या अच्छा होता है ?
वहाँ देखो !
वह
कितनी अच्छी
कितनी सच्ची बातें करता है
यूँ लगता है
विक्रमादित्य की कुर्सी पर बैठा है !
नहीं नहीं
शक मत करो
मान लो
वह वैसा ही है
जैसा कहता है
अरे याऱ….
एक दुनियाँ तो छोड़ो
चैन से जीने के लिए !
अच्छा लिखने
अच्छा पढ़ते रहने में
अच्छे हो जाने की
प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं
चार दिनों की तो बात है
फिर आभासी क्या
छूट जानी है
वास्तविक दुनियाँ भी
एक दिन
होना ही है हमें
स्वर्गवासी ।
- देवेन्द्र पाण्डेय
- जड़-चेतन में अभिव्यक्त हो रही अभिव्यक्ति को समझने के प्रयास और उस प्रयास को अपने चश्में से देखकर आंदोलित हुए मन की पीड़ा को खुद से ही कहते रहने का स्वभाव जिसे आप "बेचैन आत्मा" कह सकते हैं।
अच्छा लिखने
ReplyDeleteअच्छा पढ़ते रहने में
अच्छे हो जाने की
प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं ...।
बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति ...इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आपका आभार ।
waah rashmi ji
ReplyDeleteaur
devendr ji
और कुछ
फनहीन चमत्कार
भौचक करती है जिनकी
औचक फुफकाr
kya bat hai! ye fanheen chamatkar jaisa shabd jaan hai kavita ki
zabardast
badhai donon rachnakaron ko
rachna ke liye bhi
aur
BHARAT KI ZABARDAST JEET KE LIYE BHI
rashmi di
ReplyDeleteaapki xhanika ek alag duniya me hi le jaati hai .
bahut hisarthak abhivykti aur sir devendra ji ki rach na bhi lajwaab lagi .
bahut hi behatreen .dono hi posto ke liye aapko hardik badhai.
poonam
अच्छा लिखने
ReplyDeleteअच्छा पढ़ते रहने में
अच्छे हो जाने की
प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं ...।
शानदार अवलोकन!! देवेन्द्र जी को बधाई
रश्मि जी का आभार इस प्रस्तुति के लिए।
संभावनाओं के आकाश में शक के बादल
ReplyDeleteआखिर क्यूँ !
सही प्रश्न है ..
अरे याऱ….
एक दुनियाँ तो छोड़ो
चैन से जीने के लिए !
अच्छा लिखने
अच्छा पढ़ते रहने में
अच्छे हो जाने की
प्रबल संभावनाएँ छुपी होती हैं
सटीक बात ...अच्छी प्रस्तुति
"एक ऐसी दुनियाँ
ReplyDeleteजहाँ
न कोई राजा न कोई रानी
न कोई मंत्री न कोई सैनिक
सभी मालिक
सभी प्रजा
न कोई भूखा न कोई नंगा
सभी मानते
मन चंगा तो कठौती में गंगा ।"
Devendra pandey jee behtareen prastuti.badhai.
संभावनाओं के आकाश में शक के बादल
ReplyDeleteआखिर क्यूँ !
एक दिन तो चले ही जाना है .........
बहुत सार्थक और गहन सत्य...
नहीं नहीं
शक मत करो
मान लो
वह वैसा ही है
जैसा कहता है
अरे याऱ….
एक दुनियाँ तो छोड़ो
चैन से जीने के लिए !
बहुत भावपूर्ण और सशक्त प्रस्तुति....बधाई !
आद. रश्मि जी,
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी की भाव पूर्ण कविता को पाठकों तक पहुंचाने के लिए आभार !
पाण्डेय जी की रचना बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है ...
ReplyDeleteऔर आपकी ये दो पंक्तियाँ भी सार्थक है
भूलभुलैया में उलझकर सच्चे मोती नहीं मिलते
आशंकाओं में ज़िन्दगी के हल नहीं मिलते
ये अच्छी रचना है...
ReplyDeleteहाँ सही कहा आपने इस आभासी दुनिया में सबकुछ सीखा जा सकता है..तय आपको करना है की आप क्या सीखना चाहते हैं.....?
ReplyDeleteShaandaar...
ReplyDeletebhut hi acchi rachna hai....
ReplyDeleteमेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आभासी दुनिया पर ... देवेन्द्र जी ने...
ReplyDeleteरश्मि जी आपने भी चंद पंक्तियों में काफी कुछ कह दिया ... बेहद सुन्दर मेसेज दिया
कल आपकी यह पोस्ट चर्चामंच पर होगी... आप वह आ कर अपने विचारों से अनुग्रहित करियेगा ... सादर
चर्चामंच
मेरे ब्लॉग में भी आपका स्वागत है - अमृतरस ब्लॉग
कविता में आपकी शब्दांजलि देखकर
ReplyDeleteयूँ लगा
कि खण्डहर में जल रहे अकेले दीपक को
थाली में सजाकर
वट वृक्ष के नीचे रख दिया है किसी ने
जहाँ उसे
वटवृक्ष की परिक्रमा
के लिए आने वाले सभी भक्तों का
भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है।
...सभी का तहे दिल से आभारी हूँ।
चार दिनों की तो बात है
ReplyDeleteफिर आभासी क्या
छूट जानी है
वास्तविक दुनियाँ भी
एक दिन
होना ही है हमें
स्वर्गवासी ।
..
..
सारी कविता का, और कविता ही क्यों कविता के सारे दर्शन का सार तो यही है रश्मि जी
आप को नमन !
आभासी और वास्तविकता का सटीक चित्रण किया है।
ReplyDeleteआभासी और वास्तविकता का सटीक चित्रण किया है।
ReplyDeleteआभासी और वास्तविकता का सटीक चित्रण किया है।
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