आर्मी शब्द जेहन में आते ही हरी वर्दी में सजे मजबूत कद काठी और उससे भी ज्यादा मजबूत इरादों से लैस युवा का अक्स सामने आता है। अलग-अलग तरह की चुनौतियां, उनसे जूझने का जज्बा और सबसे बड़ी बात देश के करोड़ों लोगों का विश्वास हासिल करने का संतोष, ये सभी चीजें जो एक जगह आपको मिल सकती हैं, तो वह है इंडियन आर्मी।




रश्मि प्रभा



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यूँ तो आदि काल से सैनिकों को न सिर्फ़ भारतीय समाज बल्कि सारे विश्व की सभ्यतायें महिमा मंडित करती आई है। और सैनिको को समाज में वो दर्जा दिया गया है जो कि न सिर्फ़ उसके जीवन काल में उन के लिये गर्व का विषय होता है, बल्कि उनकी शहादत उन्हें वो स्थान प्रदान करती है, जो देवोचित ही है।
अलब्त्ता,हर देश काल और समाज में एक और विचारधारा रही है, जो किंचित स्वयं को बुद्धिजीवी होने का दावा करने के साथ साथ एक ऐसा आधारहीन मुगाल्ता पाल कर उसे समय समय पर मुखरित भी करती रह्ती है, जिस के तहत यह माना जाता है, कि,’सैनिक अधिकारी और सैनिक औसत बुद्धि वाले लोग होतें है।" इस विचार धारा को मानने वालो की सोच शायद किसी पूर्वाग्रह के तहत यह भी है कि कोई भी व्यक्ति जो सेना के किसी भी संभाग का हिस्सा है, उसका चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसका बौद्धिक स्तर सामान्य हो. अर्थात जो भी व्यक्ति सेना के किसी भी अंग का हिस्सा है उसके ’जीनियस’ होने की संभावना ही नहीं है।
कुछ और स्तरहीन मजाकिया लहजे में यह भी कहते पाये जाते हैं,कि,’फ़ौजियों का दिमाग घुटने में होता है!’
अब यदि इस विषय पर मैं आप से कुछ समय देने के लिये कहूँ और आप से निवेदन करूँ कि आप अपने विचार रखें ,तो आप कहेंगे कि क्या हुया? क्या हमारे किसी पडोसी देश से कोई आक्रमण का समाचार है? जी हाँ, हमें अपने सैनिकों और उनसे सम्बंधित विषयों की याद तभी आती है जब ऐसा कुछ होता है।

यह एक बहुत बड़ा सच है कि यदि आप किसी सैन्य अधिकारी के व्यक्तिगत संपर्क में आते हैं तो,आपका उसके व्यक्तितव्य से प्रभावित हुए बिना रह पाना थोडा कठिन है।आप यह भी मानेंगे कि आम तौर पर सेना के लोग मानवीय मूल्यों को परिभाषित करते और उनकी मिसाल आम जीवन में देते आये है।जब जब सैनिकों को आम आदमी के संपर्क में आने का मौका मिलता है,वो एक छाप छोड कर ही जाते हैं।सैन्य छावनियों का सुन्दर, सुरुचिपूर्ण और कलात्मक विस्तार सैनिकों के सुन्दरता और स्वछता के प्रति प्रेम को सिद्ध करता ही है,और यह भी कि आम या औसत बुद्धिमत्त्ता के लोग इतने सुन्दर वातावरण का निर्माण और पोषण नहीं कर सकते यह तो कुछ विशेष लोगों का ही काम हो सकता है।

सेना में आदेशों के पालन और वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश को अंतिम मानकर अक्षरश: पालन करने की परम्परा है, परंतु इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि ,एक सैनिक अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग ही नहीं करता।इसके विपरीत, जिन चुनौती पूर्ण परिस्थितियो में सिविल समाज की सब युक्तियां जवाब दे जाती हैं तब सैनिक तरीकों को ही याद किया जाता है,अब चाहे वो बच्चों का बोरवैल में गिरने के मामला हों या फ़िर भूकम्प और सुनामी की चुनौतियाँ। यदि आम बुद्धि वाले लोग असाधारण परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिये बुलाये जाते तो क्या इन समस्याओ से वो जूझ पाते। दरअसल यह सिद्ध करता है कि जब आम युक्तियाँ जवाब दे जाती है, तब विशेष सैन्य सोच कठिन से कठिन और जटिल से जटिल परिस्थिती को भी सहजता से सुलझाकर एक बार फ़िर इसे साबित करते नज़र आते हैं कि सैन्य युक्तियां जो कि हर सैनिक अधिकारी और जवान के व्यक्तित्व का हिस्सा होती हैं यकीनन आम नहीं बल्कि खास होती हैं।औसत विवेक वाले व्यक्ति किस तरह इन विशेष गुणों को प्रदर्शित कर सकते हैं।

क्या आपने सोचा है कि जब बच्चे बारहवी कक्षा में आते हैं तो उनके पास रोज़गार चयन का पहला विकल्प होता है, एन.डी.ए.(राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) की प्रवेश परीक्षा के रूप में।मेरा तो मानना ये है कि जितने भी साहसी,स्वावलंबी, प्रखर,मेधावी और गुणवान बच्चे होते है, वे सब के सब चयन प्रक्रिया से गुजरते हुये देश की सेनाओं में चले जाते हैं और उसके बाद बचे लोग अन्य रोज़गार विकल्पों के लिये जूझते रहते हैं!अब यदि बाद में यही लोग यह कहना प्रारंभ कर दें कि हम सेना में इस लिये नहीं गए क्यों कि हम ’जीनियस’ थे और वहाँ सिर्फ़ ’औसत बुद्धि’ वालो को लिया जाता है,तो मुझे यह वैसा ही हास्यादपक लगता है जैसे, न प्राप्त होने पर अंगूरो को खट्टा घोषित कर दिया जाना।

आधुनिक सैन्य कौशल जिन तकनीक और यान्त्रिकी का प्रयोग कर रहा है,उस में औसत या आम बुद्धि का व्यक्ति कदापि कुशलता हासिल नहीं कर सकता। सेना के पास ऐसा कोई विभाग नहीं जो किसी भी मामले मे असैनिक प्रयोगों या तकनीकी रूप से असैनिक विभागों से कमतर आंका जा सके। अब ऐसे आर्गेनाईज़ेशन में कैसे औसत या आम बुद्धि के लोग प्रवीण हो सकते हैं?

अगली बार जब कोई कहे, कि सेना में जो लोग जाते हैं वो सिर्फ़ औसत लोग होते है। तो थोड़ा मुस्कुराइयेगा और कहियेगा शायद ऐसा होता होगा! इसी लिये जब सारे ’जीनियस’ जवाब दे जाते है तब इन औसत ल्प्गों का सहारा लिया जाता है, जिससे जनता के मन में विश्वास कायम हो सके! अकसर आपने लोगों को स्थितियों की जटिलता को परिभाषित करने के लिये कहते सुना ही होगा,"You know now the Army has been pressed in the service!" अर्थात आम लोगों का काम खतम और विशेष बुद्धि वालों की युक्तियाँ, शुरू!

एक जिनिअस की कलम से  

14 comments:

  1. सेना हर प्रतिकूल परिस्थिति मे काम देश की जनता के लिए काम करती है ... मुझे अपने देश की सेना पर नाज है... आपका यह लेख ..इसके लिए आभार .. जय हिंद .. जय जवान ..

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  2. बुद्धिजीवी जो सोचते हैं , लिखते हैं ...सैनिक वही कर दिखाते हैं ..
    देश के हर सच्चे सैनिक को सलाम !

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  3. दीदी, इस लेख से मैं अधिकांशतः सहमत हूँ ... सेवा में चयन भी मजबूत व्यक्तित्व वाले लोगो को किया जाता है और प्रशिक्षण के दौरान ही उनके व्यक्तित्व में और निखर आ जाता है ...
    ज्यादातर सैनिक अच्छे, मजबूत और सुन्दर व्यक्तित्व के धनि होते हैं ... अपने देश के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए उनके मन में जो जज्बा होता है वो किसी तारीफ़ के मोहताज़ नहीं है ..
    हाँ आजकल कुछ ऐसे वारदात सामने आ रहे हैं जिससे इस बेदाग़ वर्दी पर कुछ धब्बे ज़रूर लग गए हैं ...
    पर मुझे लगता है कि ये सब अपवाद हैं ...

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  4. wah.bahut achcha laga yah lekh.bahut si jankari mili.thank you.

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  5. जिनकी बदौलत हम सुख शांति की साँस ले पा रहे हों उनके बारे में औसत बुद्धि का सोचना खुद के दिमाग का दिवालियापन है ....बहुत अच्छा लेख .

    इसे पढवाने हेतु आभार

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  6. हम सब को अपने देश के जवानो पर नाज़ है! हर सच्चे सैनिक को मेरा सलाम!

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  7. एक बहुत ही अच्छा और दूरदर्शिता दिखाता आलेख्।

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  8. बहुत सुंदर लेख

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  9. sanik tan se aur man se aur dimag se bahut strong hota hai --------------------

    jai baba banaras...

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  10. सैनिको को औसत बुद्धि कहने वाला खुद बुद्धि विहीन ही हो सकता है.

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  11. सेना के बारे में प्रचलित पूर्वाग्रहों के पीछे से झांकती सच्चाईयों को उदघाटित करते इस सुंदर आलेख के लिए आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  12. यकीनन सच्ची बात!

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  13. हमें अपने देश के जवानों पर नाज़ है जो तमाम दुश्वारियों के बावजूद देश की रक्षा को समर्पित रहते हैं और जिनके कारण हम होली और दीवाली की खुशियाँ मना पाते हैं !उनके बारे में ऐसा सोचना भी गलत है ! उनके त्याग और बलिदान को कोटिशः नमन !

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  14. अक्षरश: सत्‍य कहा है इस आलेख में उस जीनियस को बधाई दीजिएगा ..और आपका बहुत-बहुत आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ...।

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