यादें, ये कमबख़्त यादें,
आती है तो आँखों 
में आँसूं दे जाती है,
मगर दिल में तस्वीरें
दे जाती है गुजरे जमाने की.

यादें, जब आती है
तो रुलाती है मुझे बहुत,
तुम्हारी वो हँसी
तुम्हारी वो बोलती आँखें
और तुम्हारे मीठे शब्द
घोल जाती है यह मेरे
कानों में,
और दिल में तस्वीरें
दे जाती है गुजरे जमाने की.

यादें, जब आती है
महसूस कराती है जुदाई,
अकेलेपन का एहसास गहराती है,
और वो सभी बातें
जो हमने की थी-
  स्नेह और आक्रोश की
  मिलने और जुदाई की
एक बार फिर मैं अपने आप 
से करने लगती हूँ,
सच दिल में तस्वीरें
दे जाती है गुजरे जमाने की.

यादें जब आती है
कुछ कमी महसूस होती है,
आसपास 'कुछ' न हो जैसे,
  वो उमंगें जो बाँटी थी हमने
  वो शब्द जो बोले थे हमने
  और कुछ वो शब्द जो अनकहे
  और अनसुने रह गए,
  वो दिन, और
  वो रातें दिन का इन्तजार 
  करती हुई
  सब लौटा लाती है ये यादें.

सच, जब आती है ये यादें 
आँसू देती है आँखों में,
सच, नादान यादें
प्यारी निश्चल यादें
रुलाती है मुझे यहाँ पर
तो शायद किसी और को कहीं पर
मगर फिर भी चोट नहीं पहुँचाती,
सुकून देती है गुजरे जमाने का,
और
जब आती है यह यादें,
मैं मुस्कुरा उठती हूँ
आँसूओ के साथ...
सच, यादें, ये कमबख़्त यादें.
() शैफाली गुप्ता 


जन्म: इंदौर मध्य प्रदेश में./ शिक्षा: एम बी ए, एम एस (यूरोप). / वर्तमान निवास: कैलिफोर्निया, यू एस ए. कार्य: सॉफ्टवेर इंजिनियर . शब्दों को रचने की कला पिताजी से प्राप्त हुई जो देशभक्ति गीत लिखा करते थे. तेरह साल की उम्र में पहली लिखी कविता की संतुष्टि आज जीवन का एक अभिन्न अंग बनी हुई है. अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही माध्यम से अपने भावों को व्यक्त करने का प्रयास निरंतर जीवन प्राण सा समाहित है. अंग्रेजी दैनिक 'फ्री प्रेस' में कवितायेँ और लेख प्रकाशित है. रश्मि प्रभाजी द्वारा सम्पादित काव्य संग्रह 'शब्दों के अरण्य में' में रचना शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ. अपने ब्लॉग 'ड्रीम्स' पर ५ सालों से संक्रिय. ब्लॉग : http://guptashaifali.blogspot.com

10 comments:

  1. भावमय करते शब्‍दों का संगम ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  2. यादें जब आती है
    कुछ कमी महसूस होती है,
    आसपास 'कुछ' न हो जैसे,
    वो उमंगें जो बाँटी थी हमने
    वो शब्द जो बोले थे हमने
    और कुछ वो शब्द जो अनकहे
    Bahut sundar aur sarthak srijan.

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  3. आपकी कविताओं के तेवर अच्छे है. लिखे खूब लिखे

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  4. यादें यादें यादें ...
    कब पीछा छोड़ती हैं ये य्य्यादें ...
    गहरा एहसास लिए ...

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  5. मन के भावों से गुंथे शब्दों की लडियां बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति शुभकामनाएं प्रिय शेफाली

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