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जो अनुत्तरित है उसे अनुत्तरित ही रहने दो
तो सारे भ्रम मिट्टी में मिल जायेंगे ...
रश्मि प्रभा
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उत्तर : अनुत्तरित प्रश्नों के !
एक दिन मन में उठा ये प्रश्न,
अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर क्यों नहीं है?
आवाज एक उठी अंतर से
ये प्रश्न अनुत्तरित इस लिए है
क्योंकि
इनका कोई उत्तर नहीं होता,
खोजोगे भी उत्तर तो
फिर नए प्रश्नों का जन्म होगा,
और प्रश्नों और उत्तरों में ही
जीवन उलझ कर रह जायेगा ।
सुलझा तो उन्हें अनुत्तरित
छोड़कर भी नहीं है।
इस लिए उन के सवाल पर
काला चश्मा लगा रहने दो
क्योंकि उत्तर देने के लिए
तुमसे आँखें मिलानी होंगी
और काले चश्मे के पीछे छिपी
सुर्ख आँखों की लाली
दिल का हाल बयान कर देंगी।
फिर प्रश्न
उस सुर्खी पर
और उस पर भी
उठे सारे प्रश्न अनुत्तरित रह जायेंगे
इस लिए
कुछ अनुत्तरित प्रश्नों को ही
जीवन का सच बन जाने दो
और सच सिर्फ सच होता है
जिसको नियति ने
प्रारब्ध में लिखा होता है।
- रेखा श्रीवास्तव
- कानपुर, INDIA
सटीक और सार्थक बात कही है ...बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteअति उत्तम रचना।
ReplyDeletesarthak ...........
ReplyDeleteबेहतरीन रचना\ रेखा जी को बधाई।
ReplyDeleteसार्थक रचना !
ReplyDeleteअच्छी रचना .....
ReplyDeleteसटीक और सार्थक रचना
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!
ReplyDeleteइन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजने में जीवन का अर्थ है...बिजी रहने के लिए कुछ समस्याएं...कुछ प्रश्न जरुरी हैं...नहीं को सस्पेंस खत्म हो जायेगा...सुन्दर रचना...
ReplyDeleteयकीनन अनुत्तरित तो अनुत्तरित ही रहेगा .. पर प्रश्न तो उत्तर की अपेक्षा करेंगे ही
ReplyDeletesunder baat....sunder rachna.
ReplyDeleteसही कहा है,जीवन में रहस्य है तभी तो हम बार बार यहाँ आना चाहते हैं...राज को राज ही रहने दो ...
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक कहा है आपने...
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
हां , हर उत्तर के गर्भ से ही एक नए प्रश्न का जन्म हो जाता है और ये सिलसिला अनंतकाल तक चलता रहता है ...
ReplyDeleteबेहद सुंदर रचना है रेखा जी को बधाई !
ReplyDeleteसत्य के बेहद निकट यह अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteरश्मि जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद , कविता को चुनने के लिए.
पहले भी पढ़ी थी कविता ...याद थी अब तक !
ReplyDeleteनियति और प्रारब्ध से कौन बच पाया है !
bahut sunder..
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