नहीं जाती वो खुशबू कभी पास से
मचलते हैं सपने आज भी गीतों में ....
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सहारे- यादों के
वो मैं नहीं था
जिसने बर्फीली वादियों में
सुनहली किरणों से चमकती
ज़ुल्फों के साये में
गाया था वो गाना
पर जब भी कानों को
मिलती है उस गाने की आहट
तो पाता हूँ दिल की गहराइयों में ,
मैं गा रहा होता हूँ
कहीं दूर वादियों में,
वो भीनी सी खुशबू
अब भी है जेहन में
पर उस पल तो नहीं थी
तुम्हारे आस पास
जब तुम्हें देखा था जाते हुए
पता नहीं कब जुड़ गई
तुम्हारी यादों से
जब भी सैर करती
आती है वो खुशबू कहीं से
तुम्हें साथ लिए रहती है
एक आवाज़ जब भी आती है
अतीत में ले जाती है
कभी कोई लम्हा , कभी तो कोई दिन ही
कहीं पहले गुजारा हुआ लगता है
कभी बचपन की किसी तस्वीर
से बाहर आया हुआ ....
एक स्वाद,
कोई पुरानी कहानी
सुना जाता है
एक स्पर्श और एक पुराना ख़्वाब ...
कभी आईने में देखने पर
आ जाती है अपनी ही याद
खालीपन भी जोड़ लेता है कुछ यादों को
जब एक अहसास के लिए
जगह बनती है कभी दिल में
तो उससे जुड़ा
टुकड़ा , दिल का चैन
याद आ जाता है
लोगों की भारी भीड़ में भी ...
यादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
उन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
अब मुझे याद रखना
शायद , तुम्हारे लिए
कुछ आसान हो जाए ...
रजनीश तिवारी
छोटी सी खाली जगह
ReplyDeleteजो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
बहुत खूबसूरती से लिखा है यादों को ..
यादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
ReplyDeleteउन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
यादें अपनी जगह बना ही लेती हैं ..
"एक आवाज़ जब भी आती है
ReplyDeleteअतीत में ले जाती है
कभी कोई लम्हा , कभी तो कोई दिन ही
कहीं पहले गुजारा हुआ लगता है
कभी बचपन की किसी तस्वीर
से बाहर आया हुआ ...."
यादों को देनी होती है जगह,देना होता है न्योता,यूँ ही नहीं आती यादें.रजनीश जी बहुत सुन्दर कहा है आपने ,यादों में खुशबू भी बाद में ही जुड़ती है .
बहुत ही सुन्दर रचना.पढ़कर दिल को सुकून मिला.
यादें तो बिन बुलाई मेहमान है जब चाहे दस्तक दे देती हैं …………सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteयादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
ReplyDeleteउन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
बहुत खूबसूरत कविता है यादों के बारे में ...
अब मुझे याद रखना
ReplyDeleteशायद , तुम्हारे लिए
कुछ आसान हो जाए ...
sunder ehsaas se bhari komal rachna
यादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
ReplyDeleteउन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
सही कहा यादों को बैसाखी की जरुरत होतीहै
बहुत सुन्दर रचना
एक आवाज़ जब भी आती है
ReplyDeleteअतीत में ले जाती है
कभी कोई लम्हा , कभी तो कोई दिन ही
कहीं पहले गुजारा हुआ लगता है
कभी बचपन की किसी तस्वीर
से बाहर आया हुआ ....
बहुत ही शानदार प्रस्तुति… यादों में अट्खेलियां करते शब्द!!
(रश्मि जी यह तस्वीर उठा लिए जा रहा हूँ, बहुत ही उपयोगी है।)
यादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
ReplyDeleteउन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
....बिलकुल सच कहा है..यादें अपनी राहें स्वयं बना लेती हैं...बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..
यादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
ReplyDeleteउन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
बहुत सुन्दर रचना
याद ना जाए बीते दिनों की...
ReplyDeleteजा कर ना आये जो दिन,
उन्हें दिल क्यों बुलाये...
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना!
ReplyDeletebhut hi sunder rachna...bdhaayi ho...
ReplyDeleteयादे हमारे अंदर छिपी होती हैं ,जब आवाज दो चली आती हैं …………..बहुत सुन्दर ठंग से यादों को याद किया है.. ….धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDeleteअब मुझे याद रखना
ReplyDeleteशायद , तुम्हारे लिए
कुछ आसान हो जाए ...
बेहतरीन ।
वटवृक्ष में छांव में मेरी कविता , बहुत ही सुखद अनुभव है मेरे लिए ; साथ ही आप सब की प्रेरक टिप्पणियां , हृदय से आभारी हूँ ।
ReplyDeleteयादें सीधी नहीं जुड़ती हमसे
ReplyDeleteउन्हें जरूरत होती है
एक सहारे या एक बैसाखी की ,
छोटी सी खाली जगह
जो मिल जाए तो फिर से
एक पुराना लम्हा
जी उठता है ...
yaade is jindagi ki..........bahut bahut khubsurat...