पीढ़ियों का अंतराल तो हमेशा होता है
समय के आगे -
हर अगला कदम पिछले कदम से
खौफ खाता है
कि हर पिछला कदम अगले कदम से बढ़ गया है


रश्मि प्रभा









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पीढ़ियों का अंतराल


आजकल युवा पीढ़ी परयह इल्जाम लगाए जाते हैं की आजकल के युवा बुजुर्गों का आदर नहीं करते उनकी देखभाल नहीं करते उनको समय नहीं देते /
यह एक सोचने वाली बात है /पुरानी पीढ़ी और एक नई पीढ़ी का अंतराल तो है /परन्तु क्या पुरानी पीढ़ी नए जमाने के साथ अपनी सोच ,अपनी आदतें अपना सहयोग कायम रखतीं हैं/हमारे जमाने का गुणगान करने की जगह नए जमाने में हो रहे बदलाव ,को अपनाएँ अपने बच्चों को आजकल के प्रतियोगी ,भाग-दौड़ वाली जिंदगी में कदम से कदम मिला कर चलने में सहयोग करें/जो काम वो घर में रहकर आराम से कर सकतें हैं उसको करने में संकोच ना करें और ना ही अपना अहम् बीच में लायें /तो उनका समय भी अच्छे से बीतेगा और उनका मान अपने आप बढेगा /आजकल जिस तरह महंगाई दिन पर दिन बढ़ रही है उसमें एक ब्यक्ति की तनख्वा से ग्रहस्थी चलाना नामुमकिन है तो पति-पत्नी दोनों को ही बाहर काम करके अपनी ग्रहस्थी चलाने की जिम्मेदारी उठानी पढती है /पहले नारी को केवल घर के कार्य ही करने होते थे /बाहर के कार्यों से उनको कोई मतलब नहीं होता था /ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं होतीं थीं और कुछ उस जमाने का माहौल भी ऐसा था की बैंक के काम बच्चों के स्कूल की फीस वग्हेरा का काम पुरुष ही करते थे /परन्तु आजकल नारी दोहरा कार्य कर रही है/ग्रहस्थी के कार्य तो कर ही रही है ,पैसे भी कमा रही है और बैंक,स्कूल बाहर के कार्यों की भी जिम्मेदारी उठा रही है /उसके बाद घर में उससे यह अपेक्षा रखना तुम्हारे ज़माने जैसे ही घर के काम करे तुम्हारी पूरी सेवा करे /तुम जैसे चाहो वैसा ही पहने ओढ़े तो क्या यह संभव है /जो बुजुर्ग इन सब बातों को समझतें हैं /अपने विचारों में परिवर्तन ले आतें है समयानुसार नई पीढ़ी के साथ उनकी समस्या को अपने अनुभव के ज्ञान से सुलझाने में मदद करतें हैं / घर के छोटे -छोटे कामों में हाथ बंटाते हैं बेकार की नुक्ताचीनी नहीं करते /बच्चों की मजबूरी और परेशानियों को समझते हैं वो बुजुर्ग घर में पूरा सम्मान पातें हैं ,और कदम-कदम पर घर के प्रत्येक सदस्य की जरुरत बन जातें हैं /आजकल एकल परिवार वाले युग में और ऐसे माहौल में जहाँ इंसान का इंसान पर भी विश्वास करना मुश्किल हो रहा है /बुजुर्गों का साथ में रहने से बच्चों की सुरक्षा ,घर की सुरक्षा की चिन्ता से मुक्त होकर आराम से पति-पत्नी अपने कार्यों पर जा सकते हैं /आज की पीढ़ी को भी ऐसे बुजुर्गों की पूरी इज्जत करना .उनकी स्वास्थ सम्बन्धी देखभालकरना .उनकी जरूरतों का पूरा ध्यान रखना चाहिए /

अथार्त अगर नए जमाने के साथ ,उसके बदलाव को स्वीकार करते हुए नई पीढ़ी की मजबूरियों को समझते हुए सहयोग करे और नयी पीढ़ी भी पुरानी पीढ़ी को मान सम्मान के साथ उनके अनुभव का लाभ उठाते हुए उनके स्वास्थ का ध्यान रखते हुए अपने कर्तव्यों का ध्यान रखे.तो ये पीदियों में होने वाले विचारों का अंतराल ख़त्म हो जाए /और दोनों पीदियाँ एक दूसरे के बिना रहनें की सोचें भी ना./दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और साथ में रहने से सुरक्षित भी./

साथ में रहने का सुख उठाओ ,एक दूसरे को दिल से अपनाओ
छोटी-छोटी बातों और अहम् को भूलकर ,हंसी-खुशी जिंदगी बिताओ
[DSC03804.JPG]

प्रेरणा अर्गल

13 comments:

  1. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।

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  2. साथ में रहने का सुख उठाओ ,
    एक दूसरे को दिल से अपनाओ
    छोटी-छोटी बातों और अहम् को भूलकर ,
    हंसी-खुशी जिंदगी बिताओ

    बहुत सुन्दर प्रेरणाजी इन चार पक्तियो में आपने खुशगवार जिन्दगीका तरीका दिया है ....

    आभार दीदी

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  3. अन्तराल को भरने की सार्थक सलाह!!

    चिंतन योग्य प्रस्तुति!! रश्मि जी, आभार

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  4. समय के साथ यथासंभव बदलाव आने ही चाहिए देश समाज में

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  6. "साथ में रहने का सुख उठाओ,
    एक दूसरे को दिल से अपनाओ
    छोटी-छोटी बातों और अहम् को भूलकर,
    हंसी-खुशी जिंदगी बिताओ"-
    प्रेरणा जी ,बहुत सही कहा आपने.सामयिक बदलाव के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना दोनों पीढ़ियों के लिए जरूरी है क्योंकि आज के माहौल में तनाव की स्थिति आम बात है.ऐसे में स्वयं पर नियंत्रण एवं विचारों में संतुलन बहुत जरूरी है.जहाँ तक व्यावहारिकता में गिरावट की बात है तो युवाओं में इसके होने में शायद उनकी व्यस्तता का कम ही दोष है.बहुत कुछ पाने की चाह में लोग बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे है,मुझे ऐसा लगता है.सुन्दर एवं प्रेरक लेख पढ़वाने के लिए आभार.

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  7. साथ में रहने का सुख उठाओ ,
    एक दूसरे को दिल से अपनाओ
    छोटी-छोटी बातों और अहम् को भूलकर ,
    हंसी-खुशी जिंदगी बिताओ

    बहुत सुन्दर आलेख एक सुन्दर सीख देता है।

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  8. एक संतुलित और सुन्दर आलेख.

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  9. वटवृक्ष पर इस आलेख के लिए बधाई -प्रेरणा .....!!
    सार्थक लेखन है तुम्हारा |मुझे हर्ष है ek नेक कार्य में लगी हो और अब लेखन भी तरक्की पर है ...!!
    आगे के लिए ढेर साडी शुभकामनायें ...!!

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  10. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।धन्यवाद|

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  11. "साथ में रहने का सुख उठाओ,
    एक दूसरे को दिल से अपनाओ
    छोटी-छोटी बातों और अहम् को भूलकर,
    हंसी-खुशी जिंदगी बिताओ"-

    साथ चलना दोनों पीढ़ियों के लिए जरूरी है
    सुन्दर एवं प्रेरक लेख, धन्यवाद.

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  12. सत्यता का बहुत विवेकपूर्ण वर्णन किया है आपने । मैं आपकी बातों का पूर्णतया समर्थन करता हूँ । हम भी यहाँ पति-पत्नी दोनो मिलकर कमाते और खाते है ।
    कृपया मेरी भी कविता पढ़ें और अपनी राय दें ।
    www.pradip13m.blogspot.com

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  13. आपकी पंक्तियाँ एकदम सच हैं...हर पीढ़ी अपनी पिछली पीढ़ी से आगे ही गई है...फिर भी ये मानना कि आने वाली नस्ल वैसी नहीं है जैसी पहले हुआ करती थी...हमारी पिछड़ी सोच को दर्शाता है...प्रेरणा जी ने सही कहा है कि आज कि नारी घर और बाहर दोनों जगह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है...ऐसे में अगर पुरानी पीढ़ी का साथ मिल जाये तो क्या बात है...

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