सब बैठें चुपचाप ....
मैं लायी हूँ विक्रम बेताल
विक्रम-बेताल और बिजली
विक्रम का मूड बड़ा अपसेट था.एक तो गर्मी बहुत थी ऊपर से बेताल कंधे पर चढा पड़ा था.पसीने से लथपथ विक्रम के कंधे पर चढे बेताल को भी मज़ा नही आ रहा था.वो बोला “यार इत्ती गर्मी में कम से कम डियोडरेंट तो लगा लेते,पसीना बदबू मार रहा है!” विक्रम जलभुन कर बोला “रात भर बिजली नही थी,एक मिनट भी सोया नही.आँखे कडुआ रही है और तुम्हे डियोडरेंट सूझ रहा है?”बेताल चुप हो गया.गर्मी और पसीना दोनों किलिंग थे. विक्रम को बेतहाशा गरियाता, बेताल सोचने लगा कि आज तो ऐसी कहानी सुनाऊंगा कि प्रश्नों के उत्तर देने के पहले ही इसके सिर के टुकड़े हो जाएंगे.कहानी शुरू हुई.
“एक नेक इंसान था.उसके अच्छे कामों से खुश होकर भगवान ने उससे एक वरदान मांगने को कहा.वो बोला “भगवन जीवन में बहुत अन्धेरा है, कुछ उजाला करो !”भगवान ने उसके घर में बिजली का कनेक्शन दिलवा दिया.भक्त पहले गदगद फिर उदास हुआ क्योंकि बिजली बहुत कम आती थी.एक महीने बाद बिजली का बड़ा बिल आया.उससे भक्त चकराया.सब कुछ भगवान को बताया.भगवान बोले “इसमें मै हेल्पलेस हूँ.तुम बिजली विभाग से शिकायत करो.”भक्त ने बिजली विभाग में फोन लगाया.वहाँ मोबाइल स्विच ऑफ पाया.भक्त घर लौट आया.उसे भूख लगी थी पर आज पत्नी ने खाना नही बनाया.भक्त ने पूछा ऐसा क्यों? पत्नी बोली “बिजली नही थी सो पानी भी नदारद था.अब बिना पानी के भी खाना बनता है क्या?”भक्त भूखा सो गया. उसने अगले दिन बिजली विभाग के सामने धरना-प्रदर्शन और रोड जाम किया.बिजली विभाग ने तो नही पर पुलिस ने अपना काम किया.घायल भक्त अब अस्पताल में था. भक्त को बड़ा रोना आया.उसने भगवान को फोन लगाया. हे भगवान! बिजली ने मुझे इतना क्यों रुलाया?पर इस बार तो भगवान का मोबाइल भी स्विच-ऑफ आया.हे विक्रम!अब इस भक्त को क्या करना चाहिए इस प्रश्न का सही उत्तर दो वरना तुम्हारे सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे.”
उधर से कोई जवाब नही आया.बेताल ने पीछे देखा. विक्रम का सिर टुकडों में टूटा पड़ा था.भला जिस प्रश्न पर भगवान भी फोन स्विच ऑफ कर दे उसका उत्तर इंसान क्या देगा? बेताल ने कसम खाई कि अब वो बिजली से जुडी कहानी कभी भी नही सुनाएगा और पेड़ पर चढ़ गया.
- मीनू खरे
- रूह से जिस्म का रिश्ता भी अजब होता है......
- उम्र भर साथ रहे और तअर्रूफ़ न हुआ.
- http://meenukhare.blogspot.com/
भला जिस प्रश्न पर भगवान भी फोन स्विच ऑफ कर दे उसका उत्तर इंसान क्या देगा?
ReplyDeleteइसका उत्तर तो कोई नही दे सकता।
बिजली का प्रश्न आज किसी के भी सर के टुकडे करने के लिये प्रयाप्त है।
ReplyDeleteयह बेताल तो पेड़ पर नहीं बिजली के खंबे पर लटका होगा। :)
मीनू खरे जी का शानदार व्यंग्य है।
प्रस्तुति के लिए रश्मि जी का आभार!!
विक्रम-बेताल की कथा के माध्यम से व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है मीनू जी.
ReplyDeleteजबरदस्त व्यंग मीनू जी !
ReplyDeletebahut umda vyangy hai meenoo ji
ReplyDeletewaqai bijli vibhag par to shayad bhagvan bhi koi action le pane men asamarth hain
apne apni baat bahut achchhi tarah se prastut ki hai ,,badhai
dhanyavad rashmi ji .
vikram vetal ke jariye vartman vyawastha par teekha prahar...
ReplyDeleteprastuti ke liye aabhar!
haahahahahahahaa
ReplyDeletehanste gate aapne vyang ban mar hi diya!
sundar Betaal-pachhisi.. maja ayaa
aur ek sachhai bayan akrti hui!
kahani!
jawab to sare swiis bank ke A/c me hain!
विक्रम का सर भी तोड़वा दिया आपने. पर इसका उत्तर तो कोई नही दे सकता, ये बात्तो सच है. सुंदर.
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमीनू जी,लाजवाब ही कह सकता हूँ .किसी परेशानी का ऐसा रोचक वर्णन बहुत दिनों बाद पढ़ने को मिला .बहुत ही साधा हुआ व्यंग्य जिसे ढूंढ़ना पड़ जाये.धन्यवाद
ReplyDeletekya bat hai rochak...
ReplyDeleteThanks everyone for the nice comments.Special thanks to Rashmi ji.
ReplyDeleteएक अमरीकन ने भगवान् से पूछा हमारे यहाँ भ्रष्टाचार ख़तम होने में कितना समय लगेगा...भगवान ने कहा ६ साल...वो रोया और चला गया...ब्रिटेन के बन्दे ने भी पूछा कि उसके यहाँ...भगवान ने कहा १० साल...वो भी रोया और चला गया...जब भारत की बारी आई तो भगवान् रोये और चले गये...
ReplyDeleteविक्रम बेचारा क्या जवाब देता...
बहुत बढ़िया व्यंग....
ReplyDeleteसुन्दर व्यंग्य-कथा.
ReplyDeleteरश्मि जी मीनू जी से कहें ...
भक्त को भगवान् की शरण में न जाकर पास के मॉल में जाना चाहिए था.
जब भी किसी को बिजली समस्या से बचना होता है तब वो दिन में सपरिवार क्षेत्रीय मॉल में घूमने जाते हैं. दिनभर एसी में बिताते हैं . और रात को थोड़ा देर से घूम-फिरकर लौटते हैं... इतना थक जाते हैं कि नींद आ ही जाती है. या दिनभर इनवर्टर को चार्ज होने को छोड़ दो रात को उसका यूज़ करो.
घर में बिजली-पानी-भोजन का जितना खर्चा होता है उससे कम मॉल में घूमने का आता है. चाहे जोड़कर देख लो.
— पूरे दिन एसी की ठंडक फ्री.
— गुरुद्वारे आदि के लंगर वाले ठिकानों पर समय पर पहुँचो.. भोजन-पानी की समस्या हल होगी.
— जहाँ गुरुद्वारे और मॉल पास-पास हों तो सोने पर सुहागा.
अन्य विकल्प :
— एटीएम् मशीन के केंद्र प्रायः एसी वाले होते हैं. वहाँ किसी-न-किसी बहाने आते-जाते रहो.
— यदि ऑफिस में एसी है तो छुट्टी वाले दिन भी किसी न किसी जरूरी काम को बताकर वहाँ वर्क-डेडीकेशन प्रदर्शित करो.
....... कई दूसरे विकल्पों को खोजकर भी लोग अपनी सूझ-बूझ का परिचय दे सकते हैं.
रूह से जिस्म का रिश्ता भी अजब होता है......
ReplyDeleteउम्र भर साथ रहे और तअर्रूफ़ न हुआ.
very good.
मीनू जी बहुत बढ़िया व्यंग....धन्यवाद
ReplyDeleteशानदार व्यंग्य !
ReplyDeleteजब से विक्रम की खोपड़ी चूर-चूर हुई है तभी से बेताल पगला गया है जिसको देखो उसी के सर चढ़ कर प्रश्न करने लगा है ।
ReplyDelete...सुंदर व्यंग्य।
bhut khub...
ReplyDeleteअरे वाह ! इत्ते सारे बढ़िया कमेंट्स.बहुत धन्यवाद.प्रतुल जी के सुझाव बहुत अच्छे हैं. इन्हें फेसबुक पर लगा रही हूँ.
ReplyDeletebadiya prastuti...........बढ़िया प्रस्तुति
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