जब तक न तेरे मुड़ने की आहट सुनाई देगी
रश्मि प्रभा
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मैं जाग जाग कर अपने एहसास लिखूंगा
ख़त लिखता रहा हूँ... लिखता रहूँगा ....
रश्मि प्रभा
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ख़त लिख रहा हूँ तुमको.....
न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !
पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो ,
वो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
ReplyDeleteमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
kya baat hai!
muhabbat ki parakashtha hai!
वाह ... बहुत ही अच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteवाह शानदार आनंद जी,
ReplyDeleteआपनें अदाकारी में आनंद को स्थापित कर दिया और इस तरह अपना नाम सार्थक कर दिया।
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
एक ही बात है!! :)
मनमोहन प्रस्तुति के लिए आभार रश्मि प्रभा जी!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...वरना तो लोंग बस शिकवा ही करते रहते हैं ..
ReplyDeleteप्यार कि ऐसी अभिव्यक्ति ......बहुत बहुत खूब ....एक एक शब्द प्रेम में डूबा हुआ ...
ReplyDeleteसौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !.................बहुत ही खूब
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
ReplyDeleteमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !.........सुन्दर अभिव्यक्ति !!
न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
ReplyDeleteख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
वाह वाह आनन्द जी की गज़लों का क्या कहना प्रेम रस से सराबोर होती हैं।
मैं तो अच्छा लिखूंगा मज़ेदार लिखूंगा
ReplyDeleteजब लिखूंगा आपको फ़नकार लिखूंगा
...वैसे आजकल डाक की हालत अच्छी नहीं है , कॉल कर लेते तो बेहतर होता ।
बहुत सुन्दर कविता
ReplyDeleteमज़ा आ गया
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
ReplyDeleteमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
bahut khub
pyari rachna.....
ReplyDeleteदुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
ReplyDeleteगर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !
गहराई समझ सकता हूँ साफ़ साफ़
बहुतअच्छा
पढ़ी हुई,बहुत सुंदर ग़ज़ल है आपकी ..
ReplyDeleteवटवृक्ष पर छपने पर बधाई.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसबसे पहले तो आभार अपनी रश्मि दी का ....जिन्होंने बच्चे को हमेशा ही प्रथम श्रेणी दिलवाने में कभी कोई कसर नही छोड़ी ....
ReplyDeleteऔर उसके बाद इसी श्रेणी में हैं मेरी एक और दी संगीता दीदी ...दोनों दी को प्रणाम ...और आप सभी मित्रों का जिनमे डा निधि ,डा नूतन जी अनुपमा जी स्वयं संगीत है जिनका लेखन ..और मेरी मित्र वंदना जी और अंजू अनु जी ....जी बहुत-बहुत आभार आपने रचना पसंद किया ...वैसे भी ये सभी लोग मेरे एकदम अपने हैं ..हर पल...आजकल आ नही पा रहा हूँ .कारण मत पूछना कोई भी ....मगर मैं जब भी जिसको मिल गया उसकी नाराज़गी दूर हो जाएगी...क्यों कि उसको मेरे दिल का हाल मालूम हो जायेगा ना !!
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!
और दीदी चरण स्पर्श !
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
ReplyDeleteहर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !
बहुत सुन्दर शेर ... प्यार से भरी ग़ज़ल पढके मन खुश हो गया ...
बहुत खूब...
ReplyDeleteएक अच्छी रचना...जिसमें कई भाव खूबसूरती से पेश किए गए हैं.
ReplyDeleteआनन्द आ गया...बहुत खूब!!
ReplyDeletepyar se paripur aur bhut hi sundr rachna...
ReplyDeleteवाह ! सुन्दर अभिव्यक्ति ! ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteप्रेम की इन्तिहा है या जूनून ...
ReplyDeleteबहुत खूब !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
ReplyDeleteमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
bahut sunder rachna aanand ji....bahut bhaavmayi
bahut khoob....
ReplyDeletebahut khoob, maza aa gaya padhkar. daad sweekaaren Aanad ji.
ReplyDeleteपत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो ,
ReplyDeleteवो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !
वाह बहुत खूब