जब तक न तेरे मुड़ने की आहट सुनाई देगी
मैं जाग जाग कर अपने एहसास लिखूंगा
ख़त लिखता रहा हूँ... लिखता रहूँगा ....


रश्मि प्रभा


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ख़त लिख रहा हूँ तुमको.....



न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !

तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !

पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो ,
वो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !

दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !

सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !

आज कल \--आनंद द्विवेदी

27 comments:

  1. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

    kya baat hai!
    muhabbat ki parakashtha hai!

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  2. वाह ... बहुत ही अच्‍छा लिखा है ।

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  3. वाह शानदार आनंद जी,

    आपनें अदाकारी में आनंद को स्थापित कर दिया और इस तरह अपना नाम सार्थक कर दिया।

    अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
    'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !

    एक ही बात है!! :)

    मनमोहन प्रस्तुति के लिए आभार रश्मि प्रभा जी!!

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...वरना तो लोंग बस शिकवा ही करते रहते हैं ..

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  5. प्यार कि ऐसी अभिव्यक्ति ......बहुत बहुत खूब ....एक एक शब्द प्रेम में डूबा हुआ ...

    सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !.................बहुत ही खूब

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  6. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !.........सुन्दर अभिव्यक्ति !!

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  7. न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
    ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !

    तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
    हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !

    दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
    गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !

    सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

    वाह वाह आनन्द जी की गज़लों का क्या कहना प्रेम रस से सराबोर होती हैं।

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  8. मैं तो अच्छा लिखूंगा मज़ेदार लिखूंगा
    जब लिखूंगा आपको फ़नकार लिखूंगा

    ...वैसे आजकल डाक की हालत अच्छी नहीं है , कॉल कर लेते तो बेहतर होता ।

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  9. बहुत सुन्दर कविता
    मज़ा आ गया

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  10. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
    bahut khub

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  11. दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
    गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !

    गहराई समझ सकता हूँ साफ़ साफ़
    बहुतअच्छा

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  12. पढ़ी हुई,बहुत सुंदर ग़ज़ल है आपकी ..
    वटवृक्ष पर छपने पर बधाई.

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  14. सबसे पहले तो आभार अपनी रश्मि दी का ....जिन्होंने बच्चे को हमेशा ही प्रथम श्रेणी दिलवाने में कभी कोई कसर नही छोड़ी ....
    और उसके बाद इसी श्रेणी में हैं मेरी एक और दी संगीता दीदी ...दोनों दी को प्रणाम ...और आप सभी मित्रों का जिनमे डा निधि ,डा नूतन जी अनुपमा जी स्वयं संगीत है जिनका लेखन ..और मेरी मित्र वंदना जी और अंजू अनु जी ....जी बहुत-बहुत आभार आपने रचना पसंद किया ...वैसे भी ये सभी लोग मेरे एकदम अपने हैं ..हर पल...आजकल आ नही पा रहा हूँ .कारण मत पूछना कोई भी ....मगर मैं जब भी जिसको मिल गया उसकी नाराज़गी दूर हो जाएगी...क्यों कि उसको मेरे दिल का हाल मालूम हो जायेगा ना !!
    आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!
    और दीदी चरण स्पर्श !

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  15. तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
    हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !

    बहुत सुन्दर शेर ... प्यार से भरी ग़ज़ल पढके मन खुश हो गया ...

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  16. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच

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  17. एक अच्छी रचना...जिसमें कई भाव खूबसूरती से पेश किए गए हैं.

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  18. आनन्द आ गया...बहुत खूब!!

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  19. pyar se paripur aur bhut hi sundr rachna...

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  20. वाह ! सुन्दर अभिव्यक्ति ! ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई!

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  21. प्रेम की इन्तिहा है या जूनून ...
    बहुत खूब !

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  22. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

    अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
    'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !

    bahut sunder rachna aanand ji....bahut bhaavmayi

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  23. bahut khoob, maza aa gaya padhkar. daad sweekaaren Aanad ji.

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  24. पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो ,
    वो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !
    वाह बहुत खूब

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