मिटटी से जुडी है
हमारी असीम भावनाएं
और रेत हमें जिंदगी जीने का सबब बताती है
दोनों जुडी है भीतर तक
हमारे अंतस्थल में



रश्मि प्रभा




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चिकनी मिट्टी और रेत

चिकनी मिट्टी के नन्हें नन्हें कणों में
आपसी प्रेम और लगाव होता है
हर कण दूसरों को अपनी ओर
आकर्षित करता है
और इसी आकर्षण बल से
दूसरों से बँधा रहता है

रेत के कण आकार के अनुसार
चिकनी मिट्टी के कणों से बहुत बड़े होते हैं
उनमें बड़प्पन और अहंकार होता है
आपसी आकर्षण नहीं होता
उनमें केवल आपसी घर्षण होता है

चिकनी मिट्टी के कणों के बीच
आकर्षण के दम पर
बना हुआ बाँध
बड़ी बड़ी नदियों का प्रवाह रोक देता है,
चिकनी मिट्टी बारिश के पानी को रोककर
जमीन को नम और ऊपजाऊ बनाए रखती है;

रेत के कणों से बाँध नहीं बनाए जाते
ना ही रेतीली जमीन में कुछ उगता है
उसके कण अपने अपने घमंड में चूर
अलग थलग पड़े रह जाते हैं बस।

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धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’ 
http://www.dkspoet.in/

23 comments:

  1. चिकनी मिट्टी के कणों के बीच
    आकर्षण के दम पर
    बना हुआ बाँध
    बड़ी बड़ी नदियों का प्रवाह रोक देता है,

    बहुत खूब ... गहन भावो के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  2. बिलकुल सच कहा है..............जुड़ाव और बिखराव ही में तो सब निहित है.......प्यार है ,लगाव है तो सब अच्छा ................दर्प है,अलगाव है तो सब सूना .बढ़िया रचना !!!

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  3. चिकनी मिट्टी के कणों के बीच
    आकर्षण के दम पर
    बना हुआ बाँध
    बड़ी बड़ी नदियों का प्रवाह रोक देता है,
    चिकनी मिट्टी बारिश के पानी को रोककर
    जमीन को नम और ऊपजाऊ बनाए रखती है;


    बहुत गहन अभिव्यक्ति -
    कल्पना और मन जुड़ने पर अद्भुत काव्य बनता है .
    बधाई आपको इतनी सुंदर कविता के लिए .

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  4. अहंकार और अपनत्व के मूल्यों का दर्शन!!

    सज्जन जी सार्थक गहन दर्शन,

    रश्मि जी इस प्रस्तुति के लिये आभार……!!

    _______________________________

    सुज्ञ: जीवन का लक्ष्य

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  5. बहुत सार्थक भावों को अभिव्यक्ति दी है .....'चिकनी मिट्टी और रेत'के माध्यम से अपनी सुन्दर कविता में |

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  6. सुन्दर भाव ... नए बिम्ब !

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  7. भाव नए ....सोच नयी ...बहुत खूब
    पर मन की जड़े आज भी अपने अतीत को
    तलाशी हुई सी क्यों है ?
    अपनेपन कि ये तड़प आज भी क्यूँ है ?

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  8. bhut sunder bhaavo se saji panktiya hai...

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  9. गहन भावो के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  10. गहन भाव .... मन में जब तक नमी न हो सब रेतीला ही रह जाता है

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  11. भावनाओं की शुष्कता कहाँ किसी को जोड़े रख सकती है !

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  12. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (5-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  13. सदा जी, निधि जी, अनुपमा जी, सुज्ञ जी, सुरेन्द्र जी, इंद्रनील जी, अंजू जी, शुषमा जी, अरुण जी, संगीता जी, वाणी जी एवं वंदना जी रचना पसंद करने एवं उत्साहवर्धन हेतु कोटिशः धन्यवाद

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  14. बहुत बढ़िया तुलनात्मक सत्य

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  15. गहन भावो के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति.
    बधाई सुंदर कविता के लिए.

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  16. धर्मेन्द्र भाई की बेहतरीन कविताओं में शुमार करूँगा मैं इस कविता को| वाकई बहुत ही संवेदनशील और सीधे संवाद करती उत्तम काव्य प्रस्तुति|

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  17. एक अलग प्रतिबिम्ब मिटटी का मानवीय रिश्तों के साथ ...............वाह खूबसूरत कविता .

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  18. इस्मत जी, रचना जी, नवीन भाई, अनामिका जी एवं नीलम जी रचना पसंद करने के लिए आप सबका बहुत बहुत आभार।

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  19. धर्मेन्द्र भाई
    "चिकनी मिट्टी के कणों के बीच
    आकर्षण के दम पर
    बना हुआ बाँध
    बड़ी बड़ी नदियों का प्रवाह रोक देता है"
    एक नई बिम्ब योजना से उभरता हुआ सार्थक सन्देश.

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  20. bahoot khoob bina ahankar ke hi ek doosare se judav ho sakta hai...

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