किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई...! मुनव्वर राना की इन पंक्तियों के साथ प्रस्तुत ...
परख लूं ...
मेरे घरौंदे से तेरे नाम की खुशबू आती है बंद कमरों से तेरे नाम की सदा आती है मैं अनसुना करूँ तो कैसे ? इस बेचैन रूह को क्या परखना ... रश्मि प...
मदर हूँ मैं !
एक माँ मन्नतों की सीढियां तय करती है एक माँ दुआओं के दीप जलाती है एक माँ अपनी सांस सांस में मन्त्रों का जाप करती है एक माँ एक एक निवाले मेंआ...
मरना आसान लेकिन जीना बहुत कठिन
एक लम्बी यात्रा करनी है.... हमारे वक्त में जो मासूमियत हुआ करती थी उसके बीज ढूंढने हैं... रात को जब सब नींद के आगोश में होंगे तब हर आँगन में...
स्त्री- देह का सच
सदियों से बनी चित्रकारों की पेंटिंग्स देख देखकर हैरानी होती रही है किसी भी चित्रकार नेऔरत को जिस्म से ज्यादा ना पेंट किया है और ना ही सोचा ह...
माँ की बाँहों में
माँ - सुबह का अजान माँ- रात की लोरी माँ- जब कहीं कोई राह नहीं तो माँ एक हौसला माँ कितनी भी कमज़ोर हो जाये , ऊँगली नहीं छोडती हर दिन नज़र से उत...
लफ्ज़ बुनने लगती हूँ
जिंदगी एक खुशनुमा पल है निर्भर है तुम पर-इस पल को कैसे संवारते हो! न वक़्त ठहरता है न लोग.......... पर गर तुमने वक़्त की नाजुकता को जान लिया...
'कोयला ' भये ना 'राख'
वक्त हो तो बैठो दिल की बात करूँ.... कुछ नमी हो आंखों में तो दिल की बात करूँ... तुम क्या जानो, अरसा बीता, दिल की कोई बात नहीं की, कहाँ से टूट...
मिन्नी.../ minni
एक मिन्नी ... कलम दो , एक मेरी एक राजीव जी की .... मिन्नी एक है , उसके ख्वाब एक, उसकी हँसी एक, उसकी बातूनी बातें एक, उसकी सरलता एक, उसकी दृढ़...
बेहतर खुदा
कितना कुछ होता है आँखों में जाता ही नहीं हर दिन कहता है उस खुदा के सज़दे से कभी दूर ना होना जिसने हर सोच से पहले तुमको सोचा है ........ रश्म...
मुकद्दर की हकीकत
जब असफलता निराश करे तो कोई ख्वाब बुनो............ मैं दुआ हूँ- उन ख़्वाबों की ज़मीन पर जहाँ निराशा अपनी असफलता पर रोती है और तुम्हारी आंखों म...
बिटिया क्या है?
कमज़ोर नहीं है नारी जाने है दुनिया सारी माँ तेरी कृपा है हर उस घर में जहाँ जन्म ले नारी रश्मि प्रभा =========================================...
मासूम चिड़िया
तुम्हारे पास लकड़ी की नाव नहीं , निराशा कैसी? कागज़ के पन्ने तो हैं ! नाव बनाओ और पूरी दुनिया की सैर करो.......... तुम डरते हो कागज़ की नाव ...
मेरा नन्हा सा घोसला
तिनके-तिनके से गौरैया अपना नीड़ बसाती है संध्या होने से पहले ही दाना लेकर आती है नीड़ में बच्चे शोर मचाते भूख लगी माँ दाना दो खिला-पिलाकर बच...