व्यंग्य कविता
सचिन,बधाई ढेरों तुमको,तुमने सौवाँ शतक लगाया
बहुत दिनों से आस लगी थी,तुम शतकों का शतक लगाओ
करो नाम भारत का रोशन, एसा करतब कर दिखलाओ
सुबह प्रणव दादा ने हमको,मंहगाई का डोज़ पिलाया
सबका मुंह कड़वा कर डाला, एसा मुश्किल बजट सुनाया
मंहगाई से त्रस्त सभी को ,दिए बजट ने खारे आंसू
लेकिन तुमने शतक लगाके,खिला दिए जैसे सौ लड्डू
मुंह का स्वाद हो गया मीठा,भूल गए हम सब कडवापन
तुम्हारे इस महा शतक ने,जीत लिया है हम सबका मन
तुम क्रिकेट के 'महादेव' हो,तुम गौरव भारत माता के
सच्चे 'भारत रत्न'तुम्ही हो,देश धन्य तुम सा सुत पा के
सचिन ,बधाई तुमको ढेरों,तुमने सौवाँ शतक बनाया
हम सब खेलप्रेमियों का था,जो सपना,सच कर दिखलाया !
मदन मोहन बहेती'घोटू'
http://ghotoo.wordpress.com/
जीते जो तेदुलकर, जो मारे सो मीर ।
ReplyDeleteशतक मीरपुर में लगा, कब से सभी अधीर ।
कब से सभी अधीर, बजट ने बहुत रुलाया ।
सही समय पर शतक, सचिन ने धैर्य बंधाया ।
मेरे भारत रत्न, नई खुशियाँ नित पाओ ।
रहो हमेशा स्वस्थ, सदा भारत हरसाओ ।।
behad sunder aur samayik bhi.....
ReplyDeleteबहुत ही बढिया।
ReplyDeleteएक पोलिटिशियन ने जरुर हमारा मुंह कड़वाहट से भर दिया...लेकिन ऐसे में सचिन ने मिठास उपलब्ध करा कर कड़वाहट को कम करने का काम कर दिखलाया...बढ़िया व्यंग्य...आभार!
ReplyDeleteमेरे भारत रत्न, नई खुशियाँ नित पाओ ।
ReplyDeleteरहो हमेशा स्वस्थ, सदा भारत हरसाओ ।।
ब्लॉग जगत के ये साझा उदगार हैं .
बहुत सही उद्गार है।
ReplyDeleteकल 19/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सुन्दर और सामयिक कविता
ReplyDeleteशतक लगा बढ़िया हुआ, जगत था बेकरार
ReplyDeleteजश्न मनाएं क्या हुआ, गए अगर जो हार
bahut sundar prastuti..aabhar!
ReplyDeleteपब्लिक डिमांड पर भारत रत्न दे देना चहिये...अब नहीं तो फिर कब...
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