औरत की निष्ठा उसकी हार बनती है
उसकी ख़ामोशी उसकी निजी डायरी में सिसकियाँ लेती है ...


रश्मि प्रभा


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असफल औरत यानी एक घुटन भरी डायरी

एक घुटन भरी डायरी
यानि
एक असफल औरत
एक सफल पुत्री
एक सफल पत्नी
एक सफल माँ
पर
एक असफल इंसान
मानसिक रूप से टूटी
सामाजिक रूप से सुरक्षित

गलती हमेशा अपनी नहीं
किसी और की खोजती
सब सुविधा से घिरी
फिर भी असंतुष्ट
सदियों से केवल साहित्य रचती
एक घुटन भरी डायरी लिखती
एक असफल औरत जो
इनसान ना बन सकी
राह अपनी ना चल सकी

क्योंकि चाहती थी
राह के कंकर कोई चुन देता
सिर पर छाँव कोई कर देता
और
सफल इंसान वो कहलाती
घुटन से आजादी वो पाती

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रचना

18 comments:

  1. काफी हद तक सच.....

    सादर.

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  2. सत्य कहती... दिल को छूती हुई रचना!

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  3. सत्य को उदघाटित करती सशक्त रचना।

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  4. एक आम औरत का सही शब्द-चित्र पेश किया है आपने!

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  5. अक्सर असफल औरतें डायरियां भी नही लिख पाती, उनकी इच्छाएं , उनकी उम्मीदें , उनके सपने आंसुओं के साथ बह जाते है . .........

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  6. बिल्‍कुल सही ...

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  8. एक सफल पुत्री
    एक सफल पत्नी
    एक सफल माँ
    पर
    एक असफल इंसान EK SACH KO UKERTI SARTHAK SATEEK RACHNA

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  9. क्योंकि चाहती थी
    राह के कंकर कोई चुन देता
    सिर पर छाँव कोई कर देता
    ......

    नारी मन सदा ही ढूंडता रहा,पूरक!पर क्यों? सम्पूर्णता
    सहारे की मोहताज तो नहीं!

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  10. ek kadava sach , jo kahin na kahin jeevan men adhiktar mahilayen anubhav karti hain kyonki usaki saphalata aur asaphalata kee kasauti isa samaj ke dvara nishchit kiya jata hai.

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  11. औरत की आत्मकथा

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  12. क्योंकि चाहती थी
    राह के कंकर कोई चुन देता
    सिर पर छाँव कोई कर देता
    और
    सफल इंसान वो कहलाती
    घुटन से आजादी वो पाती

    सभी को एक सहारे की जरूरत तो होती ही है जो राह के कंकड़ चुन दे।

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  13. @ मुझे आपकी रचना बेहद पसंद आयी.... आपने निष्पक्ष भाव से अपने भावों विचारों को कविता में पिरोया... मेरे साथ मेरे मित्रों को भी पसंद आयी यह कविता.

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