औरत की निष्ठा उसकी हार बनती है
उसकी ख़ामोशी उसकी निजी डायरी में सिसकियाँ लेती है ...
रश्मि प्रभा
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असफल औरत यानी एक घुटन भरी डायरी
एक घुटन भरी डायरी
यानि
एक असफल औरत
एक सफल पुत्री
एक सफल पत्नी
एक सफल माँ
पर
एक असफल इंसान
मानसिक रूप से टूटी
सामाजिक रूप से सुरक्षित
गलती हमेशा अपनी नहीं
किसी और की खोजती
सब सुविधा से घिरी
फिर भी असंतुष्ट
सदियों से केवल साहित्य रचती
एक घुटन भरी डायरी लिखती
एक असफल औरत जो
इनसान ना बन सकी
राह अपनी ना चल सकी
क्योंकि चाहती थी
राह के कंकर कोई चुन देता
सिर पर छाँव कोई कर देता
और
सफल इंसान वो कहलाती
घुटन से आजादी वो पाती
लेखिका -
रचना
तथ्य पूरक |
ReplyDeleteकाफी हद तक सच.....
ReplyDeleteसादर.
सत्य कहती... दिल को छूती हुई रचना!
ReplyDeleteexceelent creation
ReplyDeleteसत्य को उदघाटित करती सशक्त रचना।
ReplyDeleteशाश्वत सच....
ReplyDeleteएक आम औरत का सही शब्द-चित्र पेश किया है आपने!
ReplyDeleteअक्सर असफल औरतें डायरियां भी नही लिख पाती, उनकी इच्छाएं , उनकी उम्मीदें , उनके सपने आंसुओं के साथ बह जाते है . .........
ReplyDeleteबिल्कुल सही ...
ReplyDeleteएक सफल पुत्री
ReplyDeleteएक सफल पत्नी
एक सफल माँ
पर
एक असफल इंसान EK SACH KO UKERTI SARTHAK SATEEK RACHNA
सार्थक है
ReplyDeleteक्योंकि चाहती थी
ReplyDeleteराह के कंकर कोई चुन देता
सिर पर छाँव कोई कर देता
......
नारी मन सदा ही ढूंडता रहा,पूरक!पर क्यों? सम्पूर्णता
सहारे की मोहताज तो नहीं!
ek kadava sach , jo kahin na kahin jeevan men adhiktar mahilayen anubhav karti hain kyonki usaki saphalata aur asaphalata kee kasauti isa samaj ke dvara nishchit kiya jata hai.
ReplyDeleteऔरत की आत्मकथा
ReplyDeleteक्योंकि चाहती थी
ReplyDeleteराह के कंकर कोई चुन देता
सिर पर छाँव कोई कर देता
और
सफल इंसान वो कहलाती
घुटन से आजादी वो पाती
सभी को एक सहारे की जरूरत तो होती ही है जो राह के कंकड़ चुन दे।
उत्तम।
ReplyDelete@ मुझे आपकी रचना बेहद पसंद आयी.... आपने निष्पक्ष भाव से अपने भावों विचारों को कविता में पिरोया... मेरे साथ मेरे मित्रों को भी पसंद आयी यह कविता.
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