मंद बयार के बीच महकता
रंगों का ये त्यौहार
चुन-चुन के सारे उपवन से
जीवन में भर देता उजियार
सुख-दुख खट्टे-मीठे जैसे
जाने हैं, कितने रंग यहाँ
इन सबको भी प्यार के रंग में
रंग देता ये त्यौहार।
जीवन जैसा रंग बिरंगा
सब के दिल को छूता है
भूल के सारे मत भेदों को,
हर दिल में गुलाल महकता है
गुझियों की मिठास ज़ुबाँ से लगती
स्नेह मिलन तब होता है
होलिका दहन के साथ ही मिटता
घनघोर निशा का अंधकार।
गले मिलाकर ह्रदय को छूता
प्रतिपल प्यार सिखाता है ये
बड़ा मासूम, बड़ा ही चंचल
नटखट रंगों की बौछार

मंद बयार के बीच महकता
रंगों का ये त्यौहार।






इंदु सिंह 
induravisinghj@gmail.com

11 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. बहुत बढ़िया है

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  3. बहुत सुन्दर रचना...
    बधाई.

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  4. रचना पसंद करने के लिए आप सभी का ह्रदयाभार...

    सादर
    इंदु

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  5. hamne to net par hee holi khel lee
    kavitaa kaa rang bhee itnaa gahraa lagaa
    ki utar nahee rahaa

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  6. बहुत ही अच्छा !

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  7. सुख-दुख खट्टे-मीठे जैसे
    जाने हैं, कितने रंग यहाँ
    इन सबको भी प्यार के रंग में
    रंग देता ये त्यौहार।

    सभी रंग प्यार के श्वेत रंग में समाहित हो जाते हैं।
    बहुत खूबसूरत कविता।

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