मंद बयार के बीच महकता
चुन-चुन के सारे उपवन से
जीवन में भर देता उजियार
सुख-दुख खट्टे-मीठे जैसे
जाने हैं, कितने रंग यहाँ
इन सबको भी प्यार के रंग में
रंग देता ये त्यौहार।
जीवन जैसा रंग बिरंगा
सब के दिल को छूता है
भूल के सारे मत भेदों को,
हर दिल में गुलाल महकता है
गुझियों की मिठास ज़ुबाँ से लगती
स्नेह मिलन तब होता है
होलिका दहन के साथ ही मिटता
घनघोर निशा का अंधकार।
गले मिलाकर ह्रदय को छूता
प्रतिपल प्यार सिखाता है ये
बड़ा मासूम, बड़ा ही चंचल
नटखट रंगों की बौछार
मंद बयार के बीच महकता
रंगों का ये त्यौहार।

इंदु सिंह
induravisinghj@gmail.com

bahot achcha likhi hain......
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletesunder rachna!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबधाई.
रचना पसंद करने के लिए आप सभी का ह्रदयाभार...
ReplyDeleteसादर
इंदु
hamne to net par hee holi khel lee
ReplyDeletekavitaa kaa rang bhee itnaa gahraa lagaa
ki utar nahee rahaa
बहुत ही अच्छा !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुख-दुख खट्टे-मीठे जैसे
ReplyDeleteजाने हैं, कितने रंग यहाँ
इन सबको भी प्यार के रंग में
रंग देता ये त्यौहार।
सभी रंग प्यार के श्वेत रंग में समाहित हो जाते हैं।
बहुत खूबसूरत कविता।
बहुत बढ़िया
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