"बरस-बरस पर आती होली, रंगों का त्यौहार अनूठा ....चुनरी इधर,उधर पिचकारी...गाल-भाल पर कुमकुम फूटा ....लाल-लाल बन जाते काले, गोरी सूरत पिली-नीली ....मेरा देश बड़ा गर्बिला...रीति,रस्म, ऋतु,रंग,रंगीली ...नीले नभ पर बादल काले, हरियाली में सरसों पीली.....!"
गोपाल सिंह नेपाली की इन पंक्तियों को समर्पित है वटवृक्ष का फरवरी-2012 अंक यानी होली विशेषांक प्रकाशित हो चुका है , जिसमें है इस बार-
पूजा उपाध्याय, अंजू(अनु) चौधरी, अनुपमा त्रिपाठी, मुहम्मद तारिक,साधना वैद्य, देवी नागरानी, गार्गी मिश्रा, सुमन मीत, डा. योगेन्द्र नाथ शर्मा, अजय कुमार झा, समीर लाल, कैलाश सी. शर्मा, अरुण कुमार निगम, जमील शास्त्री, यशवंत माथुर, पि.सी. गोदियाल, श्यामल सुमन, सुवोध कुमार, दिनेश कुमार चौहान, कुलदीप श्रीवास्तव 'समर्थ', अर्चना, ख्वाजा गुफरान रिजवी आदि की रंगों से सरावोर कविताएँ....
विजय माथुर का विमर्श ...
नसीम साकेती और अलका मिश्रा की कहानियां.....
सूरज प्रकाश की लघु कथाएं......
डा. जाकिर अली रजनीश की बाल कहानी.....
अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य.....
विभा रानी श्रीवास्तव का संस्मरण.....
शिखा वार्ष्णेय की पुस्तक की समीक्षा ....
और भी बहुत कुछ......
लेखकों,वार्षिक और आजीवन सदस्यों को पत्रिका भेजी जा रही है,आपको भी चाहिए तो संपर्क करें :
बधाई हो!
ReplyDeleteहोलिकोत्सव की शुभकामनाएँ!
हार्दिक बधाई। होली की शुभकामनायें।
ReplyDeleteहोली रंगों से भरा हो
ReplyDeletebadhai holi kiii shubh kaamnaayen
ReplyDeleteholi kee shubhkaamanaayen
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें।
ReplyDeleteहर्दिक बधाई और होली की शुभकामनाएं .... !!
ReplyDeleteहोली की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सर!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
क्या पिछले अंक की तरह इस अंक का भी PDF वर्जन उपलब्ध है ?
सादर
बहुत बहुत बधाई एवं सभी को होली की हार्दिक शुभकामनायें !
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