हर किसी का अपना 
    तरीका है ज़िन्दगी का 
        हर किसी का अपना 
             अंदाज़ अलग है...
फिर क्या गलत 
      और क्या सही 
            ये बात अलग है...
लोग अक्सर समझते हैं कि  
     मदहोश करती है शराब,
          फिर कोई पी के होश में आये 
                        ये बात अलग है...
नालियों को अक्सर 
     जोड़ा जाता है गन्दगी से,
          कोई समझे उसी को बिस्तर 
                    ये बात अलग है...
कहते हैं धुम्रपान से 
    ख़राब होते हैं फेफड़े,
         किसी का खुलता है दिमाग इसी से 
                        ये बात अलग है...
कोई उल्टी-सीधी हरकतें करे 
   तो कहती है दुनिया पागल,
         अब वो दुनिया को पागल समझे 
                        ये बात अलग है...
लोग सुनते तो हैं सबकी 
     पर करते हैं अपने मन की
             हम फिर भी समझाए जाते हैं 
                        ये बात अलग है....
My Photo








विशाल चर्चित 

http://charchchit32.blogspot.in/ 


 

14 comments:

  1. आपकी कविता कि बात अलग है ...
    कुछ अलग कहती हुई कविता ...!!

    ReplyDelete
  2. अनुपम भाव संयोजन लिए हुए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति
    कल 21/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... मुझे विश्‍वास है ...

    ReplyDelete
  3. आपके लेखन का अंदाज़ भी बहुत अलग है.

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन रचना

    सादर

    ReplyDelete
  5. शराब और सिगरेट की बुराइयों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है

    ReplyDelete
  6. मन हमेशा इसी असमंजस में रहता है कि जो चीज़ हमारे लिए सही है वो किसी और के लिए गलत और उल्टा..
    अब किसे दोष दें? और किससे दोष लें? बहुत ही गहन रचना..

    ReplyDelete

 
Top