हर किसी का अपना
तरीका है ज़िन्दगी का
हर किसी का अपना
अंदाज़ अलग है...
फिर क्या गलत
और क्या सही
ये बात अलग है...
लोग अक्सर समझते हैं कि
मदहोश करती है शराब,
फिर कोई पी के होश में आये
ये बात अलग है...
नालियों को अक्सर
जोड़ा जाता है गन्दगी से,
कोई समझे उसी को बिस्तर
ये बात अलग है...
कहते हैं धुम्रपान से
ख़राब होते हैं फेफड़े,
किसी का खुलता है दिमाग इसी से
ये बात अलग है...
कोई उल्टी-सीधी हरकतें करे
तो कहती है दुनिया पागल,
अब वो दुनिया को पागल समझे
ये बात अलग है...
लोग सुनते तो हैं सबकी
पर करते हैं अपने मन की
हम फिर भी समझाए जाते हैं
ये बात अलग है....
विशाल चर्चित
http://charchchit32.blogspot.in/
बढ़िया भाई ।।
ReplyDeleteआपकी कविता कि बात अलग है ...
ReplyDeleteकुछ अलग कहती हुई कविता ...!!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन लिए हुए उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteकल 21/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... मुझे विश्वास है ...
बहुत सुंदर..
ReplyDeletebadhiya kavita
ReplyDeletesundar rachana
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeletebahot pasand aayee......
ReplyDeleteआपके लेखन का अंदाज़ भी बहुत अलग है.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteसादर
शराब और सिगरेट की बुराइयों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है
ReplyDeletekya baat hai.....
ReplyDeleteमन हमेशा इसी असमंजस में रहता है कि जो चीज़ हमारे लिए सही है वो किसी और के लिए गलत और उल्टा..
ReplyDeleteअब किसे दोष दें? और किससे दोष लें? बहुत ही गहन रचना..