आदतन जो रिश्ते बनते हैं
आदतन साथ चलते हैं
उनमें कोई बात हो - ज़रूरी नहीं
रश्मि प्रभा
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आदतन् …आदतन …।
कभी मै तेरी आदत से परेशान
कभी तेरी आदत मुझसे पशेमान
हमारा रिश्ता भी आदतन था न
रूठ के बिफ़र गया था उस रात
कर गया जान को रूह से जुदा …
अनजाने जब कभी जोड देती हू
तेरे नाम से अपना नाम आदतन
कह देती है रूठी रूह की धडक…।
गुमनाम से शहर के नाराज़ बाशिन्दे
चल कल के नशेमन मे वापस जा देख
वही पर बैठे है परेशानी और पशेमान
साथ मिलकर आदतन् …आदतन …।
गायत्री
aadat .......jb ho jaye to jati bhi nhi ......uske bina koi shai bhaati bhi nhi ....../
ReplyDeleteकर गया जान को रूह से जुदा …
ReplyDeleteअनजाने जब कभी जोड देती हू
तेरे नाम से अपना नाम आदतन
कह देती है रूठी रूह की धडक…।
आदत भी तो होता जिद्दी ... जो बदलने से बदलता भी नहीं .... !!
आदतन जो रिश्ते बनते हैं....
उनक़ा अजांम ये होना ... रूठ के बिफ़र जाना ... ?
आदतन बहुत कुछ घटित हो जाता है...सुन्दर रचना!
ReplyDeleteये आदतें ही तो हैं जिनको बदलना मुश्किल हो जाता है ... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteउनमें कोई बात हो - ज़रूरी नहीं....fir bhi ek aadat si hai.
ReplyDeleteबात ना सही आदत तो है !
ReplyDeleteआदतें भला कब छूटती हैं।
ReplyDeleteआदतन ...कुछ बाते जाने अनजाने में भी हो जाती हैं
ReplyDeleteगुमनाम से शहर के नाराज़ बाशिन्दे
ReplyDeleteचल कल के नशेमन मे वापस जा देख
वही पर बैठे है परेशानी और पशेमान
साथ मिलकर आदतन् …आदतन …।
..बहुत खूब!
आदत अच्छी हो तो फिर क्या कहने..
..सुन्दर प्रस्तुति..
बहुत उम्दा लिखा है बधाई
ReplyDeleteacchi rachana.. aadatan....:)
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