(एक)
मेरे घर खुदा को
खाली हाथ
आने की इजाज़त है।
थक गया है वो
दुनिया को
दुआएं बांटते हुए
झोली में बची बद्दुआएं
मेरे लिए
लाने की इजाज़त है।
रूकते-दुखते पैरों को
झुके हुए कन्धों को
थकती-ढलती शाम को
ज़्ाहर भरे हर जाम को
मेरे हाथों से
सहलाने की इजाज़त है।
राह की जमी धूल को
मन में चुभे हर शूल को
उठे हुए हर दर्द को
टूटे सपनों की गर्द को
मेरी मुस्कान से
बुहराने की इजाज़त है।
नियति के हर तीर को
बांध तोड़ती पीर को
पैनी दोधारी तलवार को
कुदरत के हर वार को
मेरे सीने में
उतराने की इजाज़त है।
(दो)
चलो आज खुदा को...
चलो आज खुदा को
शुक्रिया दे आएं
भरी है झोली इस तरह
किराया दे आएं !
कहते हैं दयालु है
बहुत दया करता है
दाम भी है दया का
उलाहना दे आएं !
आंसुओं का चाहक है
दिल का खून पीता है
चलो उस दाता को
भरा प्याला दे आएं !
उस पर बेअसर है षायद
दर्द की पुकारें सभी
कहते हैं सुन लेगा कभी
चलो आवाज़ दे आएं !
चाहे सब कुछ हारे हैं
पर हम बहुत प्यारे हैं
चलो इसी लिए उसे
कुछ हार दे आएं !
इस चेहरे की हंसी पर
छिपा है दर्द भी
कहते हैं हमें जानता है
उसे पता दे आएं !
लौट कर आना कभी
हंसना कभी, हंसाना कभी
ओ खुदा बेगाने से
तुझे दुआ दे आएं !
डॉ. प्रिया सैनी
संक्षिप्त परिचय :
नाम : डॉ. प्रिया सैनी / शिक्षा :बी.ए. (हिन्दी- ऑनर्स), एम.ए. (हिन्दी), बी.एड., पी.एच.डी. (हिन्दी भाषा) / प्रकाशन :’आराधन’(प्रकाशित काव्य संग्रह),अनुभूति,कलायन व् साहित्य कुञ्ज वेब-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित/ सम्प्रति : होशियारपुर (पंजाब) कॉलेज में व्याख्याता /सम्पर्क : drpriyasaini@gmail.com
दोनो ही शब्द चित्र बेहद उम्दा नयी सोच के साथ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeletebahut sundar shabd chitra aur bhavpurn kavitaaon ke liye aabhar.
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ..खुदा को संबोधित कर के लिखी गई है!....अति मार्मिक कृति!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ अच्छी है....
ReplyDeleteअच्छी रचनाएं...
ReplyDeleteडा सैनी जी को बधाइयां...
सादर आभार.
Main aap sab ka tahe dil se aabhar prakat karti hon... Aap sab ke shabd v pratikriya mere liye anmol hain Dhanyavaad!
ReplyDeleteदोनों उत्तम रचनाएँ ...!
ReplyDeleteसबकी दुःख तकलीफें मिटाते, इलज़ाम लेते उस खुदा को भी जरुरत होती होगी सुकून की ...
ReplyDeleteदोनों कवितायेँ बेहद अच्छी हैं i
Sabhi doston ka saadar Aabhaar !
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