अम्मा बाबा के छाँव में
बचपन की देहरी पर
झूलों के पेंगे में
इक्कट दुक्कट के खेल में
.... हाँ चलो न
लेमनचूस भी खायेंगे
रश्मि प्रभा
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चलो न
आज चलो फिर गाँव चलें
अम्मा बाबू के गाँव चलें
धानी चूनर ओढ़ चलें
पीला साफा पहन चलें
सावन के झूले झूलें
गिल्ली डंडे से पहचान करें
पेड़ों पर चढ़ फल तोडें
नदी में चलो स्नान करें
आज फिर से मेले सजाएं
रास-रंग खूब रचाएं
क्यूँ न एक नौटंकी देख आयें
चलो एक चौपाल सजायें
खीर पूए के पकवान बने
धरा गोद में बैठ चखें
छाछ का गिलास पी
नीम तले सो रहे
विश्वास के देश चलें
श्रद्धा और आस्था से भर चलें
राधा और किशन बन चलें
खेत खलिहान में पाँव धरें
हरियाले आँचल तले विश्राम करें
अपनी जड़ों की फिर तलाश करें
संस्कारों से सिंचित करें
पराई संस्कृति छोड़ कर
अपनी परंपरा का वरन करें
आज चलो फिर गाँव चलें
अम्मा बाबू के गाँव चले
धानी चूनर ओढ़ चलें
पीला साफा पहन चलें
स्मृति
परिचय के नाम पर कहने को कुछ ख़ास नहीं है.....!बचपन में लिखने का शौक था जो बचपन के साथ ही छुट गया था ! इन्टरनेट से जुड़ने के बाद ...एक बार फिर से लिखना शुरू किया ! रीडिफ़ ब्लोग्स पर सबसे पहले लिखा....! अब यहाँ हूँ....! रश्मि दी के इस साहित्यक आँगन (वटवृक्ष ) में अपनी रचना के साथ प्रस्तुत हूँ....! आशा है आपकी अपेक्षाओ पर खरी उतरेगी...!
बचपन की मधुर यादों को बखूबी संजोया है।
ReplyDeleteआज फिर से मेले सजाएं
ReplyDeleteरास-रंग खूब रचाएं
क्यूँ न एक नौटंकी देख आयें
चलो एक चौपाल सजायें
खीर पूए के पकवान बने
धरा गोद में बैठ चखें
छाछ का गिलास पी
नीम तले सो रहे ...
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अब गाँव कहाँ नसीब है स्मृति जी ....सोंचता हूँ अपने गाँव में ही अंतिम सांस लूं ...मगर ...
आपकी कविता के साथ साथ गाँव घूम कर संतोष कर लिया अभी तो.
बहुत सुन्दर !!
बहुत सुन्दर !!
ReplyDeleteगाँव की महक लिए एक सुन्दर रचना !!
स्मृति की स्मृतियाँ बहुत प्यारी लगीं ...अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर स्मृतियाँ
ReplyDeleteबस इतनी सी .....
Mere dil k kisi kone me,ek masum sa bachha h,bado ki dekh kar duniya,
ReplyDeletebada hone se dar lagta h..!!! bachpan ki sari yaade yaad aa gayi...
अपनी जड़ों की फिर तलाश करें
ReplyDeleteसंस्कारों से सिंचित करें
पराई संस्कृति छोड़ कर
अपनी परंपरा का वरन करें
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
रश्मि दी.... मेरी रचना को वटवृक्ष की छाँव देने के लिए आपका हार्दिक आभार.....! सभी मित्रगणों का भी आभार जिन्होंने इसकी सराहना कर मुझे प्रोत्साहित किया...! धन्यवाद...! :)
ReplyDeleteबचपन को बहुत खूबसूरती से याद किया है। शानदार प्रस्तुति।
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