एक एक रचना में
कर्ता की पहचान होती है
जो ना कह पाए
वह ज़ुबान होती है
रश्मि प्रभा
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पहचानरचनाओं को जन्म देता रचनाकार,
जब भी कभी कहता सृष्टि की बातें,
जहां भी धरती होगी
अम्बर का साया वहां जरूर होगा
कितना भी छिप जाये चांद बादलों में
चांदनी से कहां वो दूर होगा
सात घोड़ों पे सवार सूरज के आने से पहले
रश्मियों से कोई बेनूर तो नहीं होगा ....
यह जीवन जिसमें सारे युग समाये हैं
बचपन को देखो तो इसका हर एक पल
तुम्हें सतयुग की याद दिलाएगा
जिसका हर भाव निस्वार्थ
हंसी हो प्यार सबकुछ निश्छल
उम्र के पड़ाव की अंतिम अवस्था वृद्धावस्था
इसकी घडि़यां जाने क्यों कलयुग सी हो जाती हैं ....
रचनाकार को अपनी कृति से
अनन्त प्यार होता है ....
रचनाओं की रचना करता कवि ...
विचरण करता शब्दों के ब्रम्हांड में
ढूंढकर लाता मोती से शब्द
रचता इतिहास कभी जिनसे
कभी कहता राम का बनवास
कभी सीता की अग्नि परीक्षा
कभी कृष्ण का प्रेम राधा से
कभी मीरा का कृष्णमय हो जाना प्रेम में
अद्भुत होती तुलसी और सूर की गाथा ....
हर रंग बसा होता है अंतस में
उकेरता चित्र जब चित्रकार कोई रंग भरता उसमें
कैद कर लेता हर पल को जीवंत सा अपने चित्र में ...
रचता कुम्हार जब
चलती चाक पर माटी रखकर बर्तन को
पकाता उनको मजबूती के लिए फिर ....
यह सृजन तो एक वरदान है ....
यह पर्वत ... यह नदिया ... यह हवायें ...
ये सब इसकी पहचान हैं .....
जब भी कभी कहता सृष्टि की बातें,
जहां भी धरती होगी
अम्बर का साया वहां जरूर होगा
कितना भी छिप जाये चांद बादलों में
चांदनी से कहां वो दूर होगा
सात घोड़ों पे सवार सूरज के आने से पहले
रश्मियों से कोई बेनूर तो नहीं होगा ....
यह जीवन जिसमें सारे युग समाये हैं
बचपन को देखो तो इसका हर एक पल
तुम्हें सतयुग की याद दिलाएगा
जिसका हर भाव निस्वार्थ
हंसी हो प्यार सबकुछ निश्छल
उम्र के पड़ाव की अंतिम अवस्था वृद्धावस्था
इसकी घडि़यां जाने क्यों कलयुग सी हो जाती हैं ....
रचनाकार को अपनी कृति से
अनन्त प्यार होता है ....
रचनाओं की रचना करता कवि ...
विचरण करता शब्दों के ब्रम्हांड में
ढूंढकर लाता मोती से शब्द
रचता इतिहास कभी जिनसे
कभी कहता राम का बनवास
कभी सीता की अग्नि परीक्षा
कभी कृष्ण का प्रेम राधा से
कभी मीरा का कृष्णमय हो जाना प्रेम में
अद्भुत होती तुलसी और सूर की गाथा ....
हर रंग बसा होता है अंतस में
उकेरता चित्र जब चित्रकार कोई रंग भरता उसमें
कैद कर लेता हर पल को जीवंत सा अपने चित्र में ...
रचता कुम्हार जब
चलती चाक पर माटी रखकर बर्तन को
पकाता उनको मजबूती के लिए फिर ....
यह सृजन तो एक वरदान है ....
यह पर्वत ... यह नदिया ... यह हवायें ...
ये सब इसकी पहचान हैं .....
सुन्दर शब्द रचना।
ReplyDeletewah. man khush ho gaya......
ReplyDeleteयह सृजन तो एक वरदान है ....
ReplyDeleteयह पर्वत ... यह नदिया ... यह हवायें ...
ये सब इसकी पहचान हैं .....
और इस रचना मे सीमा जी की पहचान है। बहुत सुन्दर रचना। बधाई।
"रचनाकार को अपनी कृति से
ReplyDeleteअनन्त प्यार होता है ....
रचनाओं की रचना करता कवि ...
विचरण करता शब्दों के ब्रम्हांड में"
सीमा जी,
रचनाकार में भी मातृत्व कूट-कूट कर भरा होता है.हर कृति उसके मन की कोख से जन्म लेती है .बहुत सुन्दर रचना.
छोटे से सृजन की अनुभूति हमें ईश्वर के समकक्ष जा बिठाती है।
ReplyDeleteअच्छा तो सीमाजी ही है 'सदा'
अनुत्तर रचना है…सार्थक
सुज्ञ: भगवान रिश्वत लेते है?
waah.. bhaavpurn rachna Seema ji....!
ReplyDeleteरचना सार्थक है….
ReplyDeleteबढ़िया...पसंद आई.
ReplyDeleteकितना भी छिप जाये चांद बादलों में
ReplyDeleteचांदनी से कहां वो दूर होगा
अच्छे भाव हैं रचना के ...
आपका ये ब्लॉग नहीं देखा था मैंने ...
आपने चर्चा की तो आज देखा ....
बधाई आपको ...!!
कभी कहता राम का बनवास
ReplyDeleteकभी सीता की अग्नि परीक्षा
कभी कृष्ण का प्रेम राधा से
कभी मीरा का कृष्णमय हो जाना प्रेम में
अद्भुत होती तुलसी और सूर की गाथा ....
हर रंग बसा होता है अंतस में
उकेरता चित्र जब चित्रकार कोई रंग भरता उसमें
कैद कर लेता हर पल को जीवंत सा अपने चित्र में ...
रचता कुम्हार जब
चलती चाक पर माटी रखकर बर्तन को
पकाता उनको मजबूती के लिए फिर ....
यह सृजन तो एक वरदान है ....
यह पर्वत ... यह नदिया ... यह हवायें ...
ये सब इसकी पहचान हैं .....bahut khub...har shabd mei sach se paripurn
यह जीवन जिसमें सारे युग समाये हैं
ReplyDeleteबचपन को देखो तो इसका हर एक पल
तुम्हें सतयुग की याद दिलाएगा
जिसका हर भाव निस्वार्थ
हंसी हो प्यार सबकुछ निश्छल
उम्र के पड़ाव की अंतिम अवस्था वृद्धावस्था
इसकी घडि़यां जाने क्यों कलयुग सी हो जाती हैं ....
बहुत सही बात ... सुन्दर रचना !
bhut sunder sabd rachna....
ReplyDeleteजैसे चाक पर गढ़ता कुम्हार बर्तन ...
ReplyDeleteवैसे ही मन की उथल पुथल से झरते हैं शब्द ...
वाकई यह सृजन तो एक वरदान है ...
जो भी कुछ होता है जीवन में ये उस ''कर्ता'' की ही पहचान है..बहुत खूब..
ReplyDeleteजो भी कुछ होता है जीवन में ये उस ''कर्ता'' की ही पहचान है..बहुत खूब..
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