ज़रूरी !
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दो दिशाएँ -
एक ने कहा -
मैंने हमेशा तुम तक आना चाहा
पर लगा - ये मुमकिन नहीं
तो तुमको छूकर आती हवाओं में
मैं जीने लगी ...
दूसरी ने कहा -
बहुत हुआ ,
अब कुछ कदम तेरे होंगे
कुछ मेरे
आँधियों से घबराना नहीं
बहुत चले नियमों पर
अब पहले हम !
पहली ने कहा-
अब तो आदत सी हो गई है
और यह सुकून क्या कम है
कि आज हम बातें कर रहे हैं ...
बकवास है सुकून
दूसरी ने कहा ....
क्या हालत बना ली है तुमने
थामो मुझे
और भूल जाओ सबकुछ ...
अरे, अरे ... मुझे डर लगता है
(पहली ने कहा)
अब टूटने का हौसला भी नहीं
मुझे सुकून है
अब हम अलग अलग छोर पे नहीं
बस यूँ ही साथ चलते रहना ...
मुझे यूँ चलने की आदत नहीं
बहुत सोचा दूसरों को ....
(दूसरी ने कहा )
(पहली ने कहा)
मुझे मन के इस सुकून से गहरा लगाव है
(दूसरी ने कहा )
शरीर भी उतना ही महत्वपूर्ण है
इसको गौण मत करो ..........
और पहली दिशा
ईश्वर की हिदायतों के बाद
फिर तरंगित होने लगी
संदूक में रखे ख़्वाबों को
हकीकत का जामा पहनाने को उद्दत हुई...
घुमावदार रास्तों ने विरोध किया
पहली दिशा पर पत्थर फेंके
तीर सी चुभती बातें कहीं
रूह से जिस्म
और जिस्म से रूह के नशे में
दिशा ने संतुलन बनाये रखा
...........
छूकर आती हवाओं से परे
उसने दूसरी दिशा को पुकारा ...
ठिठकी , प्रश्न उभरे ...
दूसरी दिशा ने कहा -
.....
कदम सोच समझ के उठाने पड़ते हैं
संयम बहुत ज़रूरी है .....
......
संयम !
..........
.........
दूसरी दिशा फिर कभी नज़र नहीं आई !
रश्मि प्रभा
घुमावदार रास्तों ने विरोध किया
ReplyDeleteपहली दिशा पर पत्थर फेंके
तीर सी चुभती बातें कहीं
रूह से जिस्म
और जिस्म से रूह के नशे में
दिशा ने संतुलन बनाये रखा
...........sundar panktiyan.achchhe bhaw. badhai , kabhi mere blog paraayen !
कदम सोच समझ के उठाने पड़ते हैं
ReplyDeleteसंयम बहुत ज़रूरी है ....
गहन भावों का समावेश हर शब्द में ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
कदम सोच समझ के उठाने पड़ते हैं
ReplyDeleteसंयम बहुत ज़रूरी है .....
......
संयम !
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.........
दूसरी दिशा फिर कभी नज़र नहीं आई !
अभिव्यक्ति को सही दिशा अर्पण की आपने!!!!!
पहली और दूसरी दिशा के संवाद से गहन बात कह दी है ...अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसंवाद में दोनो का संतुलन और गरिमा बेजोड हैं ..
ReplyDelete"शरीर भी उतना ही महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteइसको गौण मत करो ....."
माध्यम तो सबको चाहिए,दिशा हो या जीवन.प्रकृति के बिम्बों को कितनी आसानी से अर्थ दे दिया आपने,दीदी.
Jeevan mein aise kai baar hota hai ki ham aise hi duvidha mein fanse hote hain ...
ReplyDeletebahut sundar tareeke se aapne is manodasha ko ubhara hai ...
बहुत उम्दा..गहरी रचना.
ReplyDeleteसंवाद में गहरी बात है.
ReplyDeleteविचारों के द्वंद्व में सदैव सकारात्मक विचार विजयी हुए हैं।
ReplyDeleteतात्विक कविता के लिए बधाई।
कदम सोच समझ के उठाने पड़ते हैं
ReplyDeleteसंयम बहुत ज़रूरी है ..hamesha ki tarah ek shikh deti hui apki panktiya.. bhut hi khubsuarti se aap zindgi ki sachaai ko sabdo me kahti hai... madam kafi dino aap mere blog pe nhi aayi... meri kavitaayo ko apki sarahna ki jarurat rahti hai...
बहुत गहरी सोच|मन भावन रचना |
ReplyDeleteआशा
वाह बहुत सुंदर जी
ReplyDeleteजहाँ संयम है , दूसरी दिशा को तो गायब होना ही था ...
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी कविता !