वो मारा ...'
और धड़कते दिल चिल्लाने लगे
हम जीत गए
हम जीत गए
युवराज, हरभजन की छलकती आँखें
खिलाडियों के प्रदीप्त चेहरे
लगा अपने भारत को देख रहे
...
यह है अपने देश की आन बान शान
जहाँ पत्थर में होते हैं भगवान्
वेद ऋचाओं से निःसृत होते हैं गान
'मेरा भारत महान'
क्या होगा हाला का नशा
क्या मद में होगी मधुशाला
भरकर भी नहीं दे सकता है
मदिरालय उफ़का प्याला
लकड़ी का एक टुकड़ा
और एक कंदुक जब मिल जाते हैं
मध् बरसे जब हाथों में
आ जाता है जग का प्याला
.....................
छक्के क्या हैं
ना है नारी ना है वे नर
कहलाते इसीलिए किन्नर
चुकते हैं जब प्रजापति
तब छक्कों की बस्ती बसती
छक्के नहीं मुराद में हैं
पर छक्के सदा मुराद में हैं
कोई रिश्ता तो होगा दोनों में निश्चय
होता है कोई उत्सव
छक्के पल में आ जाते हैं
जन्म ब्याह का जश्न सजे
जब छक्के उसे सजाते हैं
मैदानों के छक्के जब
सीमा के बाहर जाते हैं
लोग खड़े हो
और और ... छक्कों की मांग लगाते हैं
छक्के आते ताली बजती
छक्के लगते ताली बजती
छोटी सी पिच पर कैसे
छक्के बनते सारा आकाश
रच जाता है एक इतिहास !
नीलम प्रभा
डीपीस , पटना
यह है अपने देश की आन बान शान
ReplyDeleteजहाँ पत्थर में होते हैं भगवान्
वेद ऋचाओं से निःसृत होते हैं गान
'मेरा भारत महान'
.......................
छोटी सी पिच पर कैसे
छक्के बनते सारा आकाश
लेकिन धोनी का वह छक्का
रच जाता है एक इतिहास !
बिल्कुल सच ...हर पंक्ति अपने आप जीत की खुशी बयां करती हुई ..लाजवाब प्रस्तुति ।
बहुत ही सुन्दर रचना इस अवसर के लिये…………बधाई स्वीकारें जीत की भी रचना की भी।
ReplyDeleteआपको हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteVivek Jain vivj2000.blogspot.com
धोनी का छक्का और छक्के ...
ReplyDeleteअनूठी कविता !
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाये !
वेद ऋचाओं से निःसृत होते हैं गान
ReplyDelete'मेरा भारत महान'
han yahi to sach hai...aur uspar se dhoni ka chakka ko lekar kavita,wah.....
आपको हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति , सुंदर तुलना . छक्कों का संसार सुनहरा,कहीं पर उथला,कहीं पर गहरा. बेहतरीन एवं सामयिक रचना के लिए नीलम प्रभा जी आपको शत-शत बधाई.
ReplyDeleteछक्के आते ताली बजती
ReplyDeleteछक्के लगते ताली बजती
छोटी सी पिच पर कैसे
छक्के बनते सारा आकाश
लेकिन धोनी का वह छक्का
रच जाता है एक इतिहास !
क्या गज़ब की कल्पना है..बेहतरीन रचना..बधाई
एक बार फिर जोश आ गया कविता पढकर
ReplyDeleteहा हा हा ... बढ़िया !
ReplyDeleteबहुत अच्छे ...बधाई
ReplyDeleteसमसामयिक सुन्दर रचना ...जीत का जश्न बरकरार है
ReplyDeletesundar abhivyakti is avsar par....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteजीत की बधाई
नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाये
जय हिंद ...धोनी की सेना ने गर्व से सर ऊँचा कर दिया
ReplyDeleteधोनी के छक्के पर आपका कविता रूपी छक्का मस्त है मासी जी...!
ReplyDeleteछक्कों का संसार सुनहरा,
ReplyDeleteकहीं पर उथला,
कहीं पर गहरा
समसामयिक सुन्दर रचना,हार्दिक शुभकामनाये
छोटी सी पिच पर कैसे
ReplyDeleteछक्के बनते सारा आकाश... bhut hi khubsur hai...
सुंदर कविता। खूब संबंध जोड़ा है।
ReplyDeleteसुन्दर रचना, बधाई.
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