वटवृक्ष हिंदी जगत की एकमात्र पत्रिका 
जो चिट्ठाकारिता को साहित्य से जोड़ती है 
दृढ़ता के साथ मिथक को तोड़ती है
और-
चटखती हुई आस्थाओं के बीच 
देती है साहित्यकारों को सृजन का असीम सुख.....!

ये मैं नहीं कह रहा हूँ 
कह रहे हैं लोग, कह रहा है साहित्यिक महकमा 
साथ ही प्रिंट मीडिया भी 
दे रहा है इसकी प्रसिद्धि का प्रमाण 
आप भी देखिए, बांचिए
और शामिल होइए हमारे साथ
इस अभियान में -
हिंदी चिट्ठाकारिता को एक नया आयाम देने हेतु .....

संपर्क :
() रवीन्द्र प्रभात 
ravindra.prabhat@gmail.com/ 
parikalpanaa@gmail.com/

() रश्मि प्रभा 
rasprabha@gmail.com

()रणधीर  सिंह  सुमन 
loksangharsha@gmail.com 





(आज दिनांक ०२.०९.२०११ को प्रकाशित दैनिक जनसंदेश टाइम्स में शिवानी श्रीवास्तव की इस समीक्षा को पूरा पढ़ने के लिए फोटो पर किलिक करें )

30 comments:

  1. वटवृक्ष नित नये आयाम छूता रहे यही कामना करती हूँ वैसे प्रेम तो हमारा भी पसंदीदा विषय रहा है पता चलता तो जरूर इस पर कुछ भेज देती।

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  2. बहुत-बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं ।

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  3. बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।

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  4. बहुत बहुत शुभकामनाएं..

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  5. बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

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  6. वटवृक्ष हिंदी जगत की एकमात्र पत्रिका
    जो चिट्ठाकारिता को साहित्य से जोड़ती है ....

    क्या बात है !

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  7. बहुत बधाइयाँ एवं धन्यवाद

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  8. बहुत-बहुत बधाई

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  9. बहुत-बहुत बधाई ! पढ़ने की आकांक्षा है ।

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  10. हिमांशु जी
    आप अपना वर्तमान पता उपरोक्त किसी भी यी मेल आई डी पर भेज दें , पत्रिका की प्रति भेज डी जायेगी !

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  11. बस हमारा यही प्रयास है .... कितनी ख़ुशी हो रही है , क्या बताऊँ ! हम सबको बधाई

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  12. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायँ...

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  13. AAP SABHI KO BAHUT BAHUT BADHAI YE BAHUT HI ACHCHHA KAAM HUAA HAI .MUJHE PAHLI BAR PATA CHALA PATRIKA KE BARE ME AYR DEKHIYE DUSRI PATRIKA HAI .BHAGVAN SE PRARTHNA HAI KI YE SILSILA KABHI NA TUTE .
    BAHUT BAHUT BADHAI

    RACHANA

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  14. हार्दिक शुभकामना और बधाई।

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  15. बहुत-बहुत शुभकामनाएं

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  16. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  17. बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ..!!

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  18. वटवृक्ष के दुसरे विशेषांक की ढेर सारी बधाइयाँ ......
    वटवृक्ष "प्रेम विशेषांक "....... जितना खुबसूरत इस पत्रिका का नाम है..... उतना ही सुंदर विषय आपने इसके दुसरे अंक के लिए चुना .......
    कुछ पंक्तियाँ मेरी और से इस विशेषांक की सफलता के लिए.......

    "प्रेम" शब्द से बहने वाले निर्झर प्रकाश से
    ये पूरा विश्व आलोकित हो रहा है
    और उससे उठने वाली गुंजन से आंदोलित
    जिसने इस "प्रेम" के "प्र" को भी जान लिया
    वो तो स्वामी हो गया ना
    वो तो ईश्वर हो गया
    वो तो आराध्य हो गया..... देव

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  19. बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।

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  20. bahut bahut badhai aur shubhkamnayen.

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  21. बधाई व तमाम शुभकामनायें...

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  22. बधाई । वटवृक्ष का नित विस्तार हो ।

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