ग़ज़ल 


खेलिए ज़ज़्बात से मत खौफ़ तारी कीजिये 
मुस्करा के वेबजह ना  मेहरबानी  कीजिये 

छेडिये इक जंग ग़ुरबत को मिटाने के लिए 
घोषणा मत खोखली या मुँह जबानी कीजिये 

कौन है जो चांदनी का नूर फैलाता है अब 
सोचिये कुछ सोचिये कुछ मगजमारी कीजिये 

आइये , भरिये जहां में उल्फतें ही उल्फतें 
हर किसी से बात खुल कर प्यारी-प्यारी कीजिये 

बैठे - बैठे प्यास का मसअला होगा न हल-
बात तब है , पत्थरों में नहर ज़ारी कीजिये 

राम औ रहमान दोनो हैं अलग कहके प्रभात 
देश की आवाम को न पानी - पानी कीजिये 



रवीन्द्र प्रभात 
.

44 comments:

  1. खेलिए जज्बात से ना मेहरबानी कीजिए
    मुस्कुराके इसतरह ना खौफ तारी कीजिए

    रवीन्द्र जी आज ऐसा ही ज़माना है मुस्कुरा कर ही पीठ मे खंजर मारे जाते हैं वो भी अपने कहलाने वालों के द्वारा।

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  2. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए .... ख़ामोशी जब ज़ुबान खोलती है तो यूँ ज़िन्दगी के असली मायने दे जाती है .... बहुत बढ़िया रवीन्द्र जी

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  3. गरीबी को मिटाने के लिए छेडिए इक जंग -
    घोषणाएं खोखली ना मुंहजबानी कीजिए
    .
    तारीकियों में नूर लुटाता है कौन आजकल -
    कुछ फ़िक्र कीजे जिक्र कीजे,मगजमारी कीजिए

    गहन भावों के साथ .. सार्थकता लिए हुए सशक्‍त लेखन ...आभार ।

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  4. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए

    यही जज़्बात क़ामयाबी दिलाता है।

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  5. राम औ रहमान दोनों है अलग कहके प्रभात-
    शर्म से आवाम को मत पानी पानी कीजिए

    बहुत बेहतरीन गज़ल कही है प्रभात जी ! आनंद आ गया ! ढेर सारी बधाई कबूल कीजिये !

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  6. भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी केंद्र सरकार के निकम्मेपन से गरीबी, भूख और मंहगाई का खुला तांडव हो रहा है देश में. अब तक के सबसे बेचारे प्रधानमंत्री ने तो देश की शाख मिटाने में कोई कसार नहीं छोड़ा है ....बहुत जरुरी है हमें उनसे पिंड छुडाना और इसके लिए सचमुच एक जंग की आवश्यकता है . आपका आह्वाहन कॉम के हित में है ...बेहतरीन गज़ल,बधाईयाँ !

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  7. किसी के जज्बात से खेलना वाकई बुरी बात है!....बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद रचना!

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  8. बहुत बढ़िया रवीन्द्र जी, दाद कबूल करें !

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  9. क्या बात है भाई जी, आप तो आज इंकलाबी तेवर में है वह भी एक सशक्त ग़ज़ल के साथ, बहुत-बहुत बधाईयाँ !

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  10. बहुत-बहुत-बहुत बेहतरीन गज़ल,बधाईयाँ !

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  11. राम औ रहमान दोनों है अलग कहके प्रभात-
    शर्म से आवाम को मत पानी पानी कीजिए
    kya sashakt andaz hai.....bahot achcha laga.

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  12. बढ़िया ।
    आभार ।।

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  13. राम औ रहमान दोनों है अलग कहके प्रभात-
    शर्म से आवाम को मत पानी पानी कीजिए

    उम्दा अशार....
    सादर बधाइयां.

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  14. वाह!!!!!बहुत सुंदर

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  15. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए
    बहुत खूब .. सुन्दर

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  16. सादगी से बात कह देना इस गजल की सबसे बडी सुन्‍दरता है। समझने में कोई उलझन नहीं हुई।

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  17. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए


    बहुत सुंदर और गहरी बात कही है एक बेहतरीन रचना के लिए शुभकामनाएं . !

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  18. बहुत उम्दा गज़ल!!

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  19. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए

    ..bahut sundar saarthak prerak prastuti...

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  20. इस ग़ज़ल के पढ़कर मुझे अदम गौंडवी की यह पंक्तियाँ याद आ गईं-

    छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
    दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये

    हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये / अदम गोंडवी

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  21. खेलिए जज्बात से ना मेहरबानी कीजिए
    मुस्कुराके इसतरह ना खौफ तारी कीजिए
    bahut badhiya......

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  22. दो-तीन दिनों तक नेट से बाहर रहा! एक मित्र के घर जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन मंगलवार को फिर देहरादून जाना है। इसलिए अभी सभी के यहाँ जाकर कमेंट करना सम्भव नहीं होगा। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!

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  23. राम औ रहमान दोनों है अलग कहके प्रभात-
    शर्म से आवाम को मत पानी पानी कीजिए
    sahi kaha aap-ne dono alag kahan hain .ishvar to ek hi hai puri gazal me ek ek shabd bahut sunder hai
    badhai
    rachana

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  24. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए ....

    बहुत खूब..
    लाज़वाब ग़ज़ल!

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  25. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए

    वर्तमान परिस्थितियों को आईना दिखाती बढि़या ग़ज़ल।

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  26. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए...
    शानदार ग़ज़ल !

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  27. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए ....बहुत ही शानदार गजल..बधाई..रविन्द्र जी..

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  28. समंदर खोदने से प्यास का मसअला होगा न हल -
    इन पत्थरों में हो सके तो नहर जारी कीजिए --------------Vah Ravindra ji..shandar panktiyan..bahut prabhavshali.

    Poonam

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  29. गज़ब शेर...गज़ब जज़्बात...गज़ब कशिश...

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  30. गज़ब शेर...गज़ब जज़्बात...गज़ब कशिश...

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  31. आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया !

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  32. aniymit pathak hun , samyabhaw ke kaaran yada-kada hi aana hota hai.lekin jb bhi aana hota hai kuchh-n-kuchh achha padhne ko milta hai jaisa ki uprokt gajal. राम औ रहमान दोनों है अलग कह के प्रभात-
    शर्म से आवाम को मत पानी पानी कीजिए
    .......................khubsurat prastuti...........

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  33. बहुत सुंदर गजल ....

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  34. अति सुंदर एवं सार्थक रचना ।🍁🍁🍁

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