एक लम्बी यात्रा करनी है....
हमारे वक्त में जो मासूमियत हुआ करती थी
उसके बीज ढूंढने हैं...
रात को जब सब नींद के आगोश में होंगे
तब हर आँगन में एक बीज लगाउंगी
ख्वाहिश है ,
...ओस की नमी से पनपी,
भोर की पहली किरण से निखरी मासूमियत
हर आँगन में खिलखिलाए
और लम्हों में एक सुकून भर जाए

रश्मि प्रभा





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मरना आसान लेकिन जीना बहुत कठिन
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जिंदगी को क्या कहूँ?
अतीत का खंडहर
या फिर
भविष्य की कल्पना!
भविष्य की आशा में अटका आदमी
उठता, बैठता, काम करता
बड़ी हड़बड़ी में भागता रहता
कुछ निश्चित नहीं किसलिए?
जिंदगी में कितने झूठ
बना लेता है एक आदमी-
लड़का बड़ा होगा, शादी होगी
बच्चे होंगे, धन कमाएगा
नाम रोशन करेगा, खुशहाल रखेगा
और यही सब करते-करते
मर जाता है बेटे के नाम
और बेटा बेटे के लिए
ऐसे ही मरते चले जाते है
एक-दूसरे के नाम पर!
गलत कहते है लोग
की मौत दुस्तर है?
भला मौत में क्या दुस्तरता?
क्षण भर में मर जाते हैं
सबकुछ धरा रह जाता है यहीं
खाली हाथ आया, खाली हाथ गया
जन्म लेता है तो किसी और के हाथ में
और मरता है तो भी किसी दूसरे के हाथ में
बीच की थोड़ी-बहुत घड़ियों में
अपने लिए कितना जी पाता है?
सच में मरना बहुत आसान है
लेकिन जीना बहुत कठिन!


कविता रावत


मैं कविता रावत प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूं. मैंने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्‍त की है तथा वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में सेवारत हूँ. भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ. ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई. शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं. लेखन के मध्य से मैं अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ इससे मुझे बहुत आत्मिक शांति मिलती है।

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18 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा ……………मरना तो बहुत आसान है मगर ज़िन्दगी की दुश्वारियों से जूझते हुये ज़िन्दादिली से जीना बहुत ही मुश्किल है।

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  2. बीच की थोड़ी-बहुत घड़ियों में
    अपने लिए कितना जी पाता है?
    सच में मरना बहुत आसान है
    लेकिन जीना बहुत कठिन!
    सच बात है अपने लिये कहाँ जी पाता है आदमी। मगर यही जीवन है। अच्छी लगी रचना। कविता जी को बधाई।

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  3. batvrikch per hamesha khoobsurat cheezen padhne ko milti hain.yah falta-fulta rahe yahi kamna hai.

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  4. ज़िंदगी की कशमकश को बताती अच्छी रचना ...सच है जीना ही तो मुश्किल है ..

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  5. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  6. सच में मरना बहुत आसान है
    लेकिन जीना बहुत कठिन!

    fir bhi iss kathin kaam ko karna parta hai.........:)

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  7. रश्मि जी क्या खूब सज़ाह सुंदर अभिव्यक्ति है ये:-

    हमारे वक्त में जो मासूमियत हुआ करती थी
    उसके बीज ढूंढने हैं...
    भई वाह| बधाई स्वीकार करें|

    "अपने लिए कितना जी पाता है?"
    उफ्फ कितना कुछ कहे डालती है ये पंक्ति| बधाई कविता रावत जी|

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  8. बीच की थोड़ी-बहुत घड़ियों में
    अपने लिए कितना जी पाता है?
    सच में मरना बहुत आसान है
    लेकिन जीना बहुत कठिन!

    दिल की गहराईयो को छूने वाली, गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  9. बहुत बढ़िया मन को छू लेने वाली रचनाएं

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  10. Didi ji prastuti ke liye Aapka bahut bahut aabhar

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  11. bahut marm ko chhu jaane wali rachna... ...adbhut bhadar hai vatvraksh...aabhar

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  12. कविता जी की कविता बहुत सुन्दर है और एक गहरा सच को उभार रही है ...

    और इस बार दीदी आपकी छोटी सी कविता मुझे बहुत ही प्यारी लगी ... काश ऐसा हो पाता ...

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  13. जन्म लेता है तो किसी और के हाथ में
    और मरता है तो भी किसी दूसरे के हाथ में
    बीच की थोड़ी-बहुत घड़ियों में
    अपने लिए कितना जी पाता है?
    सच में मरना बहुत आसान है
    लेकिन जीना बहुत कठिन!...

    जीवन की सच्चाई का बहुत सुन्दर और भावपूर्ण चित्रण..सच ही कहा है कि आदमी अपने लिए कहाँ जी पता है..जीवन के संग्राम में परिवार के लिए संघर्ष करते हुए वह भूल जाता है कि उसको भी जीना था और उसका भी एक जीवन है,लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.और अंत में लगने लगता है कि जीने के लिए संघर्ष कितना कठिन था और अंत में कुछ नहीं मिला, इस से तो मरना बहुत आसान है. सुन्दर रचना के लिए बधाई

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  14. दोनों ही कविताएँ बहुत-बहुत गहरी तथा मन को छू जाने वाली हैं...

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  15. बेहतरीन अभिव्यक्ति...................

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  16. बहुत सुन्दर और सच्चाई को समेटती रचना ।

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  17. जीवन का यथार्थ दर्शाती सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  18. सच में मरना आसान है जीने के मुकाबले ...!
    और जीवन लेने से मुश्किल है किसी को जीवन देना भी !

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