
लिखती हूँ
मिटाती हूँ
कहना चाहकर भी
अब खामोश रहना चाहती हूँ !
कुछ कहकर क्या होगा
जब उनके मायने ना हों
या हर नम एहसास
गर्म लावे से उबलने लगें
और मिनटों में तमाम अर्थ बदल जाएँ !
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मैं और तुम !
ये कैसा संबंध है
मनाना रूठना
प्यार के अस्तित्व को
समझे बिना ही
टूट जाने की बात करना ...
तुम्हें शिकायत है
हम एक दूसरे को समझते नहीं
मुझे विश्वास है
मैं तुम्हें जन्मों से पहचानती हूँ
ये बात और है
कि तुम न समझने की बातें कहो
कल और आज का फासला दृष्टिगत हो
मैं कुछ कहने आऊं
पर बिना कुछ कहे
चुप के घेरे में कैद हो जाऊँ
और एक दिन
तुम मेरे विश्वास को तोड़
मुझे यह मानने पर विवश करो
कि मैंने तुमको गलत समझा था !!!

रश्मि प्रभा
http://lifeteacheseverything।blogspot.com/
नाज़ुक रिश्तों की सहज जटलता से दो चार कराती आपकी यह,अभिव्यक्ति यकीनन सुन्दर बन पडी है!
ReplyDeleteया हर नम एहसास
ReplyDeleteगर्म लावे से उबलने लगें
behad khoobsurat shabdon ka milan.
मै और तुम कभी हम ही नही बन पाते अपने अपने मै मे ही उलझे रह जाते हैं।
ReplyDeleteरिश्तों की जटिलता को बखूबी से अभिव्यत करती रचना| धन्यवाद |
ReplyDeleteमैं तुम्हें जन्मों से पहचानती हूँ
ReplyDeleteये बात और है
कि तुम न समझने की बातें कहो
कल और आज का फासला दृष्टिगत हो
didi pranam !
sunder panktiya hai , badhai , sadhuwad .
--
rishte ki gahraye batati kavita
ReplyDeleteis bar mere blog par
"main"
kya baat hai...bahut khubsurat...
ReplyDeleteऔर एक दिन
तुम मेरे विश्वास को तोड़
मुझे यह मानने पर विवश करो
कि मैंने तुमको गलत समझा था !!!
aapne to hamari kah di.
बहुत ही सुन्दर, बेहतरीन!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकल और आज का फासला दृष्टिगत हो
ReplyDeleteमैं कुछ कहने आऊं
पर बिना कुछ कहे
चुप के घेरे में कैद हो जाऊँ
और एक दिन
तुम मेरे विश्वास को तोड़
मुझे यह मानने पर विवश करो
कि मैंने तुमको गलत समझा था !!!
........ फासले जब बढ़ते हैं तो करीबी रिश्तों में खट्टास का आना परस्पर विश्वास की बुनियाद की दीवार को ढहा कर रख देती है ...
दीदी जी बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना...
समीर जी! नए साल के बहुत बहुत शुभकामना
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteरिश्तों कि जटिलता समझती .बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteआपने एक जटिल विषय को आसानी से लफ्ज़ दे दिए ...
ReplyDeleteविश्वास एक ऐसी चीज़ है जो कभी भी टूट सकती है ... आसानी से ... कुछ ऐसे होते हैं जिन पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए ... कुछ ऐसे होते हैं जो हमेशा भरोसा करते रहते हैं और धोखा खाते रहते हैं ... और कुछ ऐसे होते हैं जो कभी भी भरोसा नहीं करते ...
तुम मुझे समझ नहीं पायी ...
ReplyDeleteमुझे सबसे ज्यादा कोफ़्त इस शब्द /वाक्य से होती है ...
मैं तुम्हे जन्मों से पहचानती हूँ ...बहुत खौफनाक होगा वह पल जब यह विश्वास करना होगा की मैंने तुम्हे गलत समझा था ...
रिश्तों के उलझे ताने बाने की कविता !
"मैं तुम्हें जन्मों से पहचानती हूँ
ReplyDeleteये बात और है
कि तुम न समझने की बातें कहो
तुम मेरे विश्वास को तोड़
मुझे यह मानने पर विवश करो
कि मैंने तुमको गलत समझा था !!!"
विश्वास ही जीवन की प्रगति का आधार है इसके टूटने का दर्द क्या होता है कोई भोक्ता ही बेहतर बता सकता है.बहुत ही संवेदनशील विषय को लेकर रची गई रचना.
bhao ko abhivyakt karane ka isase achchha andaj kya ho sakta hai .panktiya kahi gahre utar gayi
ReplyDeleteतुम मेरे विश्वास को तोड़
ReplyDeleteमुझे यह मानने पर विवश करो
कि मैंने तुमको गलत समझा था !!!
हर एक शब्द गहराई समेटे अपने आप में ...इस सम्पूर्ण रचना को भावमय कर गया ...इस बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये आपकी लेखनी को नमन ...।
पर बिना कुछ कहे
ReplyDeleteचुप के घेरे में कैद हो जाऊँ
और एक दिन
तुम मेरे विश्वास को तोड़
मुझे यह मानने पर विवश करो
कि मैंने तुमको गलत समझा था !!!
अब भी गलत दूसरे को ही समझाने का प्रयास ...गहन अभिव्यक्ति ...
rishto ke ahsaas ko sabdo me bandh diya di aapne..:)
ReplyDeletebeshak inn rishto ke thandepan ko ukera hai aapne. bade saleeke se...hai na di..
bahut komalta se ehsaso ko vyakt karti rachana...
ReplyDeletesahaj shabdon mein likhi gai ek jatil rachna, bahut badhai.
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