बचपन ... सुनते कागज की नाव में सारी शैतानियाँ ,
नादानियां बैठ जाती हैं
शरारतों के चप्पू छप छप पानी उछालते हैं
सारी दुनिया मुट्ठी में
परियां सिरहाने
कोई दुःख नहीं ........ बस एक कहानी, एक जादू और खिलखिलाते सपने ...
रश्मि प्रभा



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बचपन का ज़माना

बचपन का ज़माना होता था,
खुशियों का खज़ाना होता था !!
चाहत चाँद को पाने की,
दिल तितली का दीवाना होता था !!
खबर ना थी कुछ सुबह की ,
ना शाम का ठिकाना होता था !!
थक हार के आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना होता था !!
दादी की कहानी होती थी ,
परियो का फसाना होता था !!
बारिश में कागज़ की कश्ती थी ,
हर मौसम सुहाना होता था !!
हर खेल में साथी होते थे ,
हर रिश्ता निभाना होता था!!
पापा की वो डाटें ,
गलती पर मम्मी का मनाना होता था !!
गम की जुबां ना होती थी ,
ना ज़ख्मो का पैमाना होता था !!
रोने की वजह ना होती थी
ना हंसने का बहाना होता था !!
अब नहीं रही वो जिंदिगी ,
जैसा बचपन का ज़माना होता था!
अमित श्रीवास्तव

मै भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य ज़ोन में केंद्रीय चिकित्सालय जबलपुर में कार्यरत हूँ . मेरी उम्र ३२ है , कुछ लिखते रहना मेरी रूचि है और वह रचना मुझे भी पसंद आये और पढने वाले को भी यह मेरा प्रयास है

13 comments:

  1. रोने की वजह ना होती थी ना हंसने का बहाना होता था !! अब नहीं रही वो जिंदिगी , जैसा बचपन का ज़माना होता था!
    wah.bahot sunder likhe hain.

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  2. bahut sunder rachna.... bachpan ke maasoom bhaavon si behti hui...! :)

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  3. बहुत खूबसूरत बचपन होता है ....सुन्दर प्रस्तुति

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  4. गम की जुबां ना होती थी ,
    ना ज़ख्मो का पैमाना होता था !!
    रोने की वजह ना होती थी
    ना हंसने का बहाना होता था !!

    वाह, क्या खूब ... बचपन की बातें बहुत सुन्दर ढंग से लिखी गई है ...

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  5. रोना हँसना सब बेवजह होता था ...
    बचपन के सुहाने दिन की प्यारी सी कविता !

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  6. दादी की कहानी होती थी ,
    परियो का फसाना होता था !!
    बारिश में कागज़ की कश्ती थी ,
    हर मौसम सुहाना होता था !!

    वाह, क्या बात है...।
    बचपन की यादों के सहारे ही तो जीवन की दुश्वारियां आसान लगने लगती हैं।

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  7. बचपन के जादुई संसार को उकेरती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  8. अच्छी कविता
    सुभद्रा जी की वो पंक्तिया अनायास ही जुबां पे आ गए .
    मैं रोई माँ काम छोड़कर
    आयी मुझको उठा लिया
    झाड-पोछकर चूम लिया
    गीले गालों को सुखा दिया

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  9. बहुत ही सुन्‍दर बचपन की यादों को संजोती बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  10. "चाहत चाँद को पाने की,
    दिल तितली का दीवाना होता था !!"
    बचपन का अद्भुत चित्रण.बचपन सबका ऐसा ही होता है,सपनों से भरा,अपनों से भरा.

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  11. bachpan bachpan bachpan... kaash kee ye bachpan fir mil jata... bahut sundar rachna bachpan kee yadon par..

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  12. bachpan bachpan bachpan... kaash kee ye bachpan fir mil jata... bahut sundar rachna bachpan kee yadon par..

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