क्षण मंजिल भी
क्षण पैगाम भी
क्षण सुर्ख लहू भी .... आओ इन क्षणों को जी लें



रश्मि प्रभा





===============================================

मंजिल


कदम चूम लेती है आके मंजिल उसकी ,
अगर राही खुद अपनी हिम्मत न हारे !
हार मानता नहीं जो अपनी मंजिल से ,
मंजिले खुद राह बनती जाती हैं !
जिंदगी का सफ़र बहुत ही लम्बा है ,
कोई  हर दम न साथ चलता है !
राही बनके राहों को पता बताते चलो !
अपनी मंजिल को खोजो और आजमाते चलो !

पैगाम


फकत मुकद्दर पर जिन्दा रहना ,
           निकम्मापन और बुझदिली है !
अमन की दुनियां मै मेहनत करके ,
            अपना हिस्सा वसूल करलो तुम !
उजड़ जायेगा चमन ये बाक़ी ,
             गर और कांटें न हटाओगे तुम !
गुलिस्तान की गरचे खेर चाहो ,
            तो चंद कांटें कबूल  करलो तुम !

My Photo
मीनाक्षी पन्त

12 comments:

  1. मैने बताया लाख लहू सबका सुर्ख है !
    फिर भी उन्होंने देख लिया काट कर मुझे !!

    बहुत खूब कहा है आपने इन पंक्तियों में ...बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

    ReplyDelete
  2. गुलिस्तान की गरचे खेर चाहो ,
    तो चंद कांटें कबूल करलो तुम

    बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं ....जीवन को प्रेरणा देती हुई

    ReplyDelete
  3. मैने बताया लाख लहू सबका सुर्ख है !
    फिर भी उन्होंने देख लिया काट कर मुझे !!

    itna awiswas...:)
    chhoti si do line...lekin kitna pyara dard..:!

    bahut khubsurat rachnayen...!!

    ReplyDelete
  4. मैने बताया लाख लहू सबका सुर्ख है !
    फिर भी उन्होंने देख लिया काट कर मुझे !!

    itna awiswas...:)
    chhoti si do line...lekin kitna pyara dard..:!

    bahut khubsurat rachnayen...!!

    ReplyDelete
  5. मैं अगर आपको दीदी कह कर बुलाऊ तो मुझे लगता है आप बुरा नहीं मानेंगी ! मै आपकी शुक्रगुजार हूँ कि आपने मेरी रचना को इतना सम्मान दिया ! आपका बहुत - बहुत धन्यवाद दीदी !

    ReplyDelete
  6. "अपनी मंजिल को खोजो और आजमाते चलो !"
    "गुलिस्तान की गरचे खेर चाहो ,
    तो चंद कांटें कबूल करलो तुम !"
    मैने बताया लाख लहू सबका सुर्ख है !
    फिर भी उन्होंने देख लिया काट कर मुझे !!
    मीनाक्षी जी,नमस्कार .पहली बार आपकी रचनाएँ का सौभाग्य प्राप्त हुआ.मंजिल में छिपा है पैगाम बढ़ते रहने का चाहे रास्ते कितने ही कठिन क्यों न हों और लहू का रंग एक है जानते हुए भी इसे आजमाना नहीं छोड़ते हैं लोग.तीनों ही क्षणिकाएँ एक-से बढ़कर एक हैं.स्वस्थ सन्देश देती रचनाएँ.बधाई.

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. फिर भी देख लिया काट कर मुझे उन्होंने ..
    शानदार !

    ReplyDelete
  10. आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया दोस्तों !

    ReplyDelete
  11. मैने बताया लाख लहू सबका सुर्ख है !
    फिर भी उन्होंने देख लिया काट कर मुझे !!
    wah.ab aur koi shabd nahi hai.

    ReplyDelete
  12. मैने बताया लाख लहू सबका सुर्ख है !
    फिर भी उन्होंने देख लिया काट कर मुझे !!

    राही बनके राहों को पता बताते चलो !
    अपनी मंजिल को खोजो और आजमाते चलो !

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! अच्छा लगा पढकर !

    ReplyDelete

 
Top