
रिश्तों की बंदिशों से परे
एक ख्वाब हो
जिसे देखने की खातिर
मैं सबकुछ भुलाकर चलती हूँ
चाँद जलता है तो जले
मैं अपनी बन्द पलकें खोलूंगी नहीं
सुबह से पहले कुछ और नहीं ....
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
यूँ भी कुछ नमकीन था
तेरा अनकहा आफरीन था
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
हरफ-हरफ जैसे बरस
मैं देर तक जीता गया
जिंदगी के सवाल पर
शायद एक जवाब रख गए थे तुम !
सुलगी तिल्ली रात की
और चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
()पारुल
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
यूँ भी कुछ नमकीन था
तेरा अनकहा आफरीन था
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
हरफ-हरफ जैसे बरस
मैं देर तक जीता गया
जिंदगी के सवाल पर
शायद एक जवाब रख गए थे तुम !
सुलगी तिल्ली रात की
और चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
()पारुल
सही बात है कुछ खाश थे तुम..........बहुत ही सुंदर रचना "तुम"..........बेहतरीन
ReplyDeleteजिंदगी के सवाल पर
ReplyDeleteशायद एक जवाब रख गए थे तुम !
ज़िंदगी सवाल-जवाब का एक अंतहीन सिलसिला ही तो है।
अच्छी कविता। इस भावपूर्ण रचना के लिए धन्यवाद।
बहुत अच्छी प्रस्तुति है धन्यवाद दीदी ..... पारुलजीकी रचनाये बहुत सुन्दर होती है ...शुभकानाए पारुलजी
ReplyDelete-----------
बस एक और हो जाये ....
पारुल जी की रचनाओं में एक मखमली एहसास होता है .,..बहुत प्यारी रचना है
ReplyDeleteज़िंदगी के सवाल पर पारुल जी के जवाब का ख्वाबी अंदाज़ कौन नज़र अंदाज़ कर पायेगा भला ! रश्मि जी! उनसे रू-ब-रू कराने के लिए धन्यवाद ! शायद पहली बार पढ़ रहा हूँ उन्हें.....
ReplyDeletebehtreen rachna
ReplyDeleteसुलगी तिल्ली रात की
ReplyDeleteऔर चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
बहुत सुन्दर रचना..
बेहद ही खूबसूरत रचना परोसी आपनें।
ReplyDeleteपारूल जी की कलम काबिले दाद है।
आभार इस प्रस्तुति के लिये
वाह! बेहतरीन अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteजबाब नहीं
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (31/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बदरंग हुआ तो नीला नकाब रख गए थे तुम !
ReplyDeleteसुन्दर !
अच्छी कविता। इस भावपूर्ण रचना के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ...और रश्मि जी ऊपर आपकी लिखीं पंक्तियाँ भी बेहद खूबसूरत ... फोटो - उम्दा
ReplyDeleteवो बदरंग हुआ
ReplyDeleteतो नीला नकाब रख गए थे तुम !
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
एक बेहतरीन काव्य के लिए पुनः धन्यवाद् .आपकी कविताओ का तो मै हमेशा से कायल रहा हु . पारुल जी ने भी दिल को छूने वाली रचना की है. यही जज्बा बना रहे, और हमें, कविताओ का स्वाद मिलता रहे, शुभकामनाये
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