कौन है
जो ब्रह्ममुहूर्त में
चिड़ियों को दाने देता है?
ये कौन है !

रश्मि प्रभा
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देखो न !
धड़कने बढ रही है ,
सांसे तेज हो रही है ,
ऑंखें बंद हो रही है ,
मै शिथिल पड़ रही हूँ !
ये कैसा डोर है
जो मुझ तक
तेरी हर आहट
को पहुंचा जाती है !
ये कौन सा बंधन है
मै तो मुर्ख हूँ
तू तो ज्ञानी है
मुझे समझा दो न ..!!!
साधना
गहन भावों का समावेश ...सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeleteअभी अभी साधना जी के ब्लाग पर पढ कर्5 आयी हूँ। अच्छा लिखती हैं, बधाई उनको। धन्यवाद
ReplyDeleteयही डोर ही तो है जो बांधे रहती है ...गहन अभिव्यक्ति .
ReplyDeletepranaam didi
ReplyDeletetahe dill se shukriya karti hun ..
aapki lekhni ke samne to mai dudh-bhat hun ...phir bhi aapne meri lekh ko ..post kiye isase badi bat aaj mere liye kuchh bhi nahi ...aaj mai bahut khush hun ..or ye soch rahi hu ki mujhe bhi kuchh likhna aata hai kya ...??
बहुत सुन्दर भाव्।
ReplyDeleteकौन है
ReplyDeleteजो ब्रह्ममुहूर्त में
चिड़ियों को दाने देता है?
ये कौन है !
anupam.adweettye,adbhud.
adbhut...:)
ReplyDeleteतू तो ज्ञानी है
ReplyDeleteमुझे समझा दो न ..!!!
behad sunder likhi hain.
सुन्दर गहन अभिव्यक्ति.
ReplyDeletebahut hi gahre bhav
ReplyDelete...
दीदी की भूमिका और साधना जी की रचना में उस निर्गुण की उपस्थिति है.न जाने कौन चलाता है जीवन चक्र,बेहद सुंदर एवं जीवन के रहस्य से पगी रचना.
ReplyDeleteदोनों रचनाओं में गहन रहस्य छिपा है!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना....दिल को छु गयी।
ReplyDeleteकम शब्दों में गहरे भाव .... बहुत खूबसूरत रचना ..
ReplyDeleteये बंधन सबसे ख़ास है...
ReplyDeleteये सबसे प्यारा अहसास है...
यही तो है, जिसके ज़रिये
वो दूर होकर भी सबसे पास है...
बहुत प्यारी रचना...
yah vahi anjana pyar ka hi bandhan hai jo dikhai to nahi deta par hai bahut sasakt .achchhi rachana
ReplyDeletebhaavpurn rachna, shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteसुन्दर तरीके से भाव प्रकाश किया गया है ...
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