हम जब सोचते हैं कि हमने कुछ पा लिया तो वो आकर कहते हैं
इन शब्दों के मायने क्या हैं !
रश्मि प्रभा





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जी का जंजाल (माया जाल)
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आज हमारी श्रीमती जी का पारा सातवे आसमान पर था, बोली बंद करो ये सब कविता/ग़ज़ल लिखना! मेने श्चर्ये-चकित होकर पूछा अरे ये अचानक आपको क्या हुआ, इस तरह दहाड़ने का मतलब, कुछ तो हमारी इज्जत का ख्याल रखो, पडोसी वैसे ही फिराक में रहते हैं, की यार इन दोनों में कब बजे और हम मजा ले, जो कहना हे धीरे से कहो, क्यूँ खामखा बखेड़ा खड़ा करती हो, हमें इस तरह गिडगिडाना देख, वो और जोर से चिल्लाई, बोली आज फैसला होकर ही रहेगा, या तो ये कविता रहेगी या में , पता नही आप कविताके बहाने न जाने किस किस से अपना मन बहलाते रहते हो!, न जाने क्या लिखते हो कविता में,मेने कहा प्रिये में तुमको ही तो लिखता हूँ, बात ये है कि तुम गहराई में तो जाती नही हो, ऊपर ही ऊपर तैरती रहती हो, बोली हां आप यही चाहते हैं कि में डूब कर मर जाऊ, ताकि आप फ्री हो जाओ, हे न, वैसे मैंने आपकी कई कविताएँ पढ़ी हैं , ये देखो इस गजल में पता नही क्या क्या लिखा हे

"है तू ही मकसद मेरी जिन्दगी का
जिस्म में रूह की जगह बस तू है.

तेरे बिन कैसे जिऊं मेरी जान
मेरी जिन्दगी की सदा भी तू है

तू ही हर लफ्ज मेरी कलम का
मेरी तो मुकम्मल ग़ज़ल तू है "
सच्ची बात तो ये है, हमें कहते हुए शर्म आती हे, की आप इस कविता का २०% भी नही हैं, आज बता ही दो ये किसके लिखी थी आपने, मेने कहा भाग्येवान तुम्हरे अलावा और किसको लिख सकता हूँ में, तुम ही तो हो, जो हर वक़्त खयालो में रहती हो, और मेरी कविता /ग़ज़ल की तुम आधारशिला हो प्रिये, वो तमतमाई और गुस्से में बोली, रहने दीजिये, आप हमें मत लिखा कीजिये, आप हमें हकीकत में तो प्यार करते नही, खयालो में क्या ढूढते होंगे, किसी और को बनाइएगा, बैसे भी आप अब ४० के होने वाले हैं अगले साल, हमें तो डर ही लगने लगा हे, की कही वो कहावत सच न हो जाये , हमें कहा कहावत कौन सी कहावत!वो बोली "MAN IS NAUGHTY AT 40" , मैंने कहा हे भगवन तो ये बात हे, तुम कहावत पढ़कर परेशां हो रही हो, ऐसी कोई बात नही हे घबराने की, निश्चिन्त रहो, बोली कैसे निश्चिन्त रहे, आजकल फिसलते देर नही लगती, और जिस तरह आप सुबह शाम नेट पर लगे रहते हैं , हमें चिंता होने लगी हे, हाँ! मैंने कहा अब शक का इलाज तो हाकिम लुकमान के पास भी नही था, आप यकीं करो या न करो फिलहाल ऐसी कोई सम्भावना नही है, वो बोली नही मानोगे आप, इस मुए नेट में रखा क्या हे, मेने कहा भग्यवान नेट आज की जरुरत बन चूका हे, बोली अगर ऐसा हे तो में भी नेट पर कम करुँगी, मेरा भी एक ईमेल आई डी बना दीजिये फिर हम भी अपने दोस्तों से बात क्या करंगे, और आज से चूल्हा चौका आप संभालिये,!मेने कहा ये बात हुई न, ऐसा करते हैं की एक काम वाली को रख लेते हैं, तो आप किचन से फ्री हो जाएँगी, और घर के काम में भी सहूलियत हो जाएगी, वो जोर का चिल्लाई, कोई काम वाली नही आएगी, पता नही हमें सहूलियत होगी, या आप अपनी सहूलियत ढूढ़ रहे इसमें भी, मेने कहा भाग्येवान तुम्हारी बीमारी का कोई इलाज नही हे, कुछ नही हो सकता तुम्हारा.. दोस्तों आपके पास हे क्या कोई इलाज, ....

आलोक खरे

11 comments:

  1. बहुत मजा आया पढ़ कर |कहीं सच में तो खटपट नहीं होती |रचना तक हो तब ठीक है |अच्छी पोस्ट के लिए बधाई |
    आशा

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  2. वाह.....बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  3. हा हा हा…………इस बीमारी का कोई इलाज नही है…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. हा हा हा अब इस बीमारी का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं .
    मस्त लिखा है.

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  5. लाईलाज बीमारी है बच के रहियेगा। शुभकामनायें।

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  6. बहुत परेशां करने वाली बीमारी है -लाइलाज है -
    अच्छा लिखा है -

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  7. इसका इलाज़ किसी के पास नहीं है ...
    अच्छा संस्मरण ..:)

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  8. aap sabhi ke sneh ka aabhari hun,

    Rashmi di aapko bhi shukriya, jo aapne is rachna ko yaha sthan diya

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  9. gaurav bhai,
    aapka haasya vyang to kamal hota hai. maza aa gaya padhkar. shubhkaamnaayen.

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