ईश्वर ने बनाया था तुम्हें आकाश
तुमने स्वयं को सीढ़ी में परिवर्तित किया
तुम्हें लगा
लोग सीढ़ी चढ़कर उस आकाश पर पहुंचेंगे
जो तुम बने थे ...!!!
तुम भूल गए
आकाश की गरिमा
ईश्वर का कृत्य नकारकर
सिर्फ एक सीढ़ी रह गए
रश्मि प्रभा
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कहाँ हूँ मैं !
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सब कहते हैं
आप बहुत अच्छे है
मैंने पूछा - क्यूँ -
क्योंकि आप हमेशा हमारे लिए सोचते हैं
किसी ने कहा
आप कितने प्यारे हैं --
कैसे भला
आप हमे इतना प्यार जो करते हैं
.................
.................
और मैं टुकड़े टुकड़े होता गया !
फिर वह मिला
उसने कहा
तुमने खुद को कभी जाना है ?
उम्र बीतती गयी
आकलनों को बटोरते
कभी खुश हुआ
ख़याली पुलाव बनाते
कभी हतप्रभ हुआ
खुद को अजनबी सा देखते
अंतर्द्वंद में
सबकुछ गडमड होता गया
खुद को कोसा
खुद को कोसा
'क्या क्या सोच जाते हो तुम !'
और सबको आवाज़ दी
कहीं दरवाजा बंद मिला
कहीं दरवाजा बंद मिला
एक छोटा सा फ़ोन भी बंद मिला
पाया ----
सब व्यस्त हैं
मेरे लिए किसी के पास वक़्त नहीं था
सब व्यस्त हैं
मेरे लिए किसी के पास वक़्त नहीं था
....
कैसे रोता
मन की धारणा को कैसे झुठलाता
'पुरुष आधार है
शक्ति है
आंसू कमजोरी है ....'
पर सुबह देखा
मेरा तकिया गिला था
किसी का हाथ मेरे सर पे था
देखा -
मेरा मैं मेरे पास है
उसीने मुझे दुलारा
और कहा -
'थकना तो था ही
तुमने खुद को
तुमने खुद को
महज एक ज़रूरत बना दिया था
तुम ज़िंदा हो
यही क्या कम है !
परिचितों की भीड़ में
तुम अपरिचित हो
क्योंकि तुमने अपना परिचय कभी दिया ही नहीं...
अब तो मेला उठने का समय है
यूँ भी
आज की चकाचौंध में मेला कौन जाता है !
जमाना बदल गया
सुमन सिन्हा
संबंधो का यथार्थ चित्रण और आत्माव्यक्ति की बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeletevery true, well panned
ReplyDeleteसमाज की सजीव बिम्ब सी हैं ये कविताएँ।
ReplyDelete................
..आप कितने बड़े सनकी ब्लॉगर हैं?
अक्सर मकानों में घर को ढूंढते रह जाते हैं लोंग ...
ReplyDeleteभरी भीड़ में कोई एक अपना ढूंढते रह जाते है लोंग ...!
सबको खुश रखना अच्छा है मगर सिर्फ सीढ़ी बने रह जाना भी ठीक नहीं ...
कहीं गहरा छिपा दर्द आंसू ना सही, कविता बनकर बह तो गया ...
बेहतरीन कविताएँ।
ReplyDeleteसंवंधों का यथार्थ चित्रण करती हुयी कविता, सटीक अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteसुन्दर रचना, संवंधों की भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteअच्छी लगी रचना...
ReplyDeleteek sarthak kavita, jisme sambandho ka bakhubi se chitran kiya hai...:)
ReplyDeleteek sarthak kavita, jisme sambandho ka bakhubi se chitran kiya hai...:)
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