ये अनकही बातें बोलती हैं,मैंने इनको सुना है,समुद्र की लहरों सी होती हैं,शाख से कोई पत्ता गिरे ,ऐसा लगता है,ये अनकही बातें ,दिल की गहराई तक दस्तक देती हैं.......तुम इनको अनसुना नहीं कर सकते,ये दस्तक देती रहती है,मन की सांकलों को खोलो,सुनो.......अनकही बातें बोलती हैं!
रश्मि प्रभा
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चाँद और मैं …
सहमा सहमा है क्यों यह चाँद ,
जाने क्यों तन्हा तन्हा है यह चाँद …
यादों की गलियों में घूमता है यह चाँद ,
जाने क्या भूलना चाहे यह चाँद …
रात के सन्नाटों के सिरहाने सोया यह चाँद ,
जाने क्या देख रहा ख्वाब यह चाँद ...
तारों संग भटक रहा है चाँद
जाने किस की तलाश में यह चाँद …
इतने तारो में भी अकेला यह चाँद ,
जाने क्यों लगे मुझे ,
खुद सा यह चाँद …
प्रीती ...!
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeletesunder kavita!
ReplyDeletetujh jaisa chand........:)
ReplyDeletemujhe bhi laga......:)
khubshurat aur pyari anubhiti bhari abhivyakti.........!!
Preeti, aisa hi kuchh barabar likho !!
tanha chaand par sundar kavita..
ReplyDeletesundar abhivyakti
ReplyDeleteसहमा सहमा है क्यों यह चाँद ,
ReplyDeleteजाने क्यों तन्हा तन्हा है यह चाँद …
सुन्दर भावाव्यक्ति।
रात के सन्नाटों के सिरहाने सोया यह चाँद ,
ReplyDeleteजाने क्या देख रहा ख्वाब यह चाँद ...
प्रीती, बहुत अच्छी कविता है... बधाई | इस बहाने तुम्हें मिलना तो हुआ...
बहुत सुन्दर कविता है। प्रीती जी को बधाई।
ReplyDeleteइतने तारों में भी अकेला चाँद ...
ReplyDeleteभीड़ में तनहा इंसान की ही तरह ...!
सुंदर भाव लिए रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
Shukriya.... Shukriya .. Shukriya.. :)
ReplyDeletepreeti mem !
ReplyDeletenamaskaar !
sunder abhivyakti !
badhai
saadar !
sundar abhivyakti keliye badhai preeti.
ReplyDeletesunder abhivaykti
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