दर्द का सैलाब जब आया
मैं कतरा कतरा डूबती गई
तिनकों के सहारे उबरने के क्रम में
मेरे संग तिनके भी घुटने लगे
कभी मैं उतराती
कभी तिनके
फिर हम तैरने लगे
दर्द की नदी को भी हंसाने लगे
रश्मि प्रभा
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नीड़ का निर्माण होगा।अगन लपट से बुझे तीर नेमानवता को बींध दियानिशा का साम्राज्य सबल हैशैतानी ने नाच कियाफिर फिर कंस ने जन्म लियाफिर रावण ने उत्पात कियामनुष्यता को दांव पर रखइश्वर को ललकार दिया?क्या नाश के दुःख सेकभी निर्माण रुकता है ?“नव पलाश पलाश वनं पुरंस्फुट पराग परागत पंकजम”सुबह का आह्वान होगानीड़ का निर्माण होगाप्रलय की निस्तब्धता मेंकंस का विनाश होगानेह का आव्हान होगासृष्टि में नवगान होगाफिर नीड का निर्माण होगा’
साभार,
शारदा मोंगा .
sharda.monga@gmail.com
बहुत ही सकारात्मक सोच लिए एक बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteशारदा जी से मिलवाने के लिए धनयवाद...
नेह का आव्हान फिर फिर, नीड का निर्माण फिर फिर”.... बहुत ही सकारात्मक सोच !
ReplyDeleteएक बेहतरीन सकारात्मक रचना....
ReplyDeleteबखूबी समस्याओं से अवगत कराया पर उम्मीद से भी बढ़िया अंत निकला . बेहतरीन परिकल्पना
ReplyDeleteनेह का आव्हान होगा
ReplyDeleteसृष्टि में नवगान होगा
फिर नीड का निर्माण होगा’
“नेह का आव्हान फिर फिर, नीड का निर्माण फिर फिर”
ek behtareen rachna ke liye badhai...:)
बहुत अच्छी रचना लगी.
ReplyDeleteकंस का विनाश होगा
ReplyDeleteaashaavaadi rachna
bahut khub
सृष्टि में नवगान होगा
ReplyDeleteफिर नीड का निर्माण होगा’
“नेह का आव्हान फिर फिर, नीड का निर्माण फिर फिर”
रश्मि जी,
परिक्रमा में सहेजे गए गीतों ने मन को मोह लिया.
एक बेहतरीन सकारात्मक रचना....
ReplyDeleteसकारात्मक सोच !
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना लगी.
ReplyDeleteबहुत ही सकारात्मक सोच !
ReplyDeleteek saarthak soch, bahut achhi rachna, shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteयकीनन नीड़ का निर्माण फिर होगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना ...
ReplyDeletebahot sundar.
ReplyDeleteबेहद सकारात्मक भाव से ओत-प्रोत है दोनों ही रचना!
ReplyDeletesundar ashawadi soch ,
ReplyDeleteनेह का आव्हान होगा
ReplyDeleteसृष्टि में नवगान होगा
फिर नीड का निर्माण होगा’
“नेह का आव्हान फिर फिर, नीड का निर्माण फिर फिर”
आशान्वित भावों का संयोजन रचना को और अधिक सौन्दर्य प्रदान कर रहा!