
सूर्योदय और सूर्यास्त
रात के स्पर्श के साथ चलते हैं
सूर्य उसकी आगोश से ही निकलता है
उसकी आगोश में विलीन होता है
अँधेरे और उजाले का रिश्ता
कभी नहीं टूटता !
रश्मि प्रभा
================================================
खुद से खुद की बातें
खुद से खुद की बातें
मेरे जिस्म में जिन्नों का डेरा है
कभी ईर्ष्या उफनती,
कभी लोभ, क्षोभ
कभी मद - मोह,
लहरों से उठते
और फिर गिर जाते
पर न हारी हूँ कभी
सर्वथा जीत रही मेरी,
क्योंकि रोशन दीया
रहा संग मन मेरे,
मेरी रूह में ,
ईश्वर का बसेरा है
डॉ नूतन गैरोला

मेरा परिचय - मैं डॉ नूतन गैरोला , पेशे से स्त्रीरोग विशेषग्य हूँ खेलकूद, पहेलिया सुलझाना, निशानेबाजी, संगीत,नृत्य , चित्रकला,वाक् -विवाद और लेखन का शोक रहा है डॉक्टर होने के नाते अतिव्यवस्ता की वजह से में लेखन के शौक के साथ न्याय नहीं कर पायी थी कविता और लेख लिखे, बहुत लिखा, किन्तु लिखा जो भी वो खुला लिखा,ब्लॉग या पुस्तक के रूप में संकलित नहीं किया किन्तु सोचा है कि अब जो लिखूं वो मैं संकलित करूँ इस बीच एक निजि संकलन किया है .मै अपनी हिंदी की शिक्षिका सिंह मैडम को याद करना चाहूंगी जो मेरी नजर में एक महान शिक्षिका रही मुझे सदा आप सभी की शुभकामनाओ की अपेक्षा रहेगी.....!
बहुत सुन्दर लिखा है…………बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता इनसे मिलवाने के लिए धन्यवाद,,,
ReplyDeleteधर्म, अंधविश्वास या बेवकूफी
doctor mem
ReplyDeletepranam !
achchi abhivyakti , k aashawadi vichar .
sadhuwad
saadar !
अच्छी रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteआशा
..सर्वथा जीत रही मेरी,
ReplyDeleteक्योंकि रोशन दीया
रहा संग मन मेरे,
मेरी रूह में
---
इन पंक्तियों ने तो मन मोह लिया!
यही तो इस रचना का सौन्दर्य है!
--
बहुत सुन्दर रचना...
इसके आगे शब्द नहीं हैं मेरे पास!
..सर्वथा जीत रही मेरी,
ReplyDeleteक्योंकि रोशन दीया
रहा संग मन मेरे,
मेरी रूह में
---
इन पंक्तियों ने तो मन मोह लिया!
यही तो इस रचना का सौन्दर्य है!
--
बहुत सुन्दर रचना...
इसके आगे शब्द नहीं हैं मेरे पास!
इंसान का मन डिगमगाता हुआ काम, क्रोश, लोभ, मोह में फंस सकता है | इन शैतानों के बीच भी रूह जब जाग जाती है, इसका अर्थ यही है की ईश्वर है हमारे साथ... !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteवाकई बहुत अच्छी है यह अभिव्यक्ति, बधाईयाँ !
ReplyDeleteअच्छी रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteमन मोह लिया!
ReplyDeleteप्रेरक पँक्तियाँ है। नूतन जी को बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता
ReplyDeleteमेरी रूह में ईश्वर का बसेरा है।
ReplyDeleteबहुत प्रभावशाली पंक्तियां हैं।
awesome
ReplyDeleteDhanyvaad .. sabhi ko.. aur rashmi ji ko bhi..
ReplyDeleteज़िस्म में जिन्नों का डेरा ...
ReplyDeleteरूह में ईश्वर का बसेरा ..
वाह !