माँ,माँ
डर लगता है...
माँ ने हाथ का घेरा बनाया
सीने से लगा लिया !
माँ,माँ,
बुरे सपने आते हैं....
माँ ने तकिये के नीचे
हनुमान चालीसा रखा,
माथे पर ॐ लिखा
या फिर तकिये के नीचे
कैंची (लोहा)रख दी !
माँ,माँ ,
मेरी तबीयत ठीक नहीं
माँ ने मिर्चा लेकर
नज़र उतारी !
माँ ऐसी ही होती है ...........
डर लगता है...
माँ ने हाथ का घेरा बनाया
सीने से लगा लिया !
माँ,माँ,
बुरे सपने आते हैं....
माँ ने तकिये के नीचे
हनुमान चालीसा रखा,
माथे पर ॐ लिखा
या फिर तकिये के नीचे
कैंची (लोहा)रख दी !
माँ,माँ ,
मेरी तबीयत ठीक नहीं
माँ ने मिर्चा लेकर
नज़र उतारी !
माँ ऐसी ही होती है ...........
रश्मि प्रभा
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माँ
उफ़ !
ये कैसा शोर ,
आँखें भी नहीं खुली मेरी ,
फिर भी लोग ख़ुशी से चिल्ला रहे हैं …
बातें तो कुछ समझ में आई नहीं ,
पर लगा वो सब एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं …
कोई प्यार से मुझे छूने को तरस रहा ,
कोई गोद में उठाने को
और कोई चिकोटी काटने को …
पर एक हाथ
जो बार बार उन्हें मुझे छूने
,गोद में उठाने से रोक रहा था …
वो हाथ , जिसे मेरी सबसे ज्यादा चिंता थी ...
सबको रोकते रोकते जब कभी वो हाथ मुझे स्पर्श करता ,
पता नहीं क्यूँ ,
मन करता वो हाथ मुझे बस प्यार करता रहे …
हाथों के स्पर्श के अलावा
पूरे वातावरण में केवल हलचल थी …
अभी भी आँखें खुली नहीं थी ,
पर मुझे देखना था कि ये क्या शोर है …
अभी तक ऐसे शोर से मेरा परिचय हुआ भी नहीं था …
वो सब कुछ बहुत अजीब था …
मेरी सोच के परे ऐसे उथल पुथल से ना जाने क्यूँ ,
मेरा मन ठुनक पड़ा और मैं पहली बार बोला !!!
नहीं नहीं - रोया...
मेरे रोने की किलकारियां क्या गूंजीं,
लोगों के शोर की उम्र दुगुनी तिगुनी हो गयी …
अब तो मुझे देखना ही था
कि ये क्या हो रहा है …
ठुनकते ठुनकते बहुत कोशिशों के बाद
मैंने आँखें खोलीं तो …
तो … मैं बस देखता ही रह गया ….
वो ऐसा पल था ,
जहाँ मानो सब कुछ रुक गया हो …
शोरगुल , हलचल , चहलकदमी ,
सब पर पहरा लग गया हो … .
और मैं
बस सामने उस सबसे सुन्दर चेहरे को देखता रह गया …
पहली ही नज़र में ,
मुझे उस चेहरे से प्यार हो गया …
उसकी आँखों में एक अजीब सी नरमी थी …
ऐसा लग रहा था
मुझे वो अपनी आँखों में हमेशा के लिए बसा लेना चाहती हो …
शायद उसके मन में ये था
कि आज मेरे कारण उसे जो सौभाग्य मिला
वो उसके अस्तित्व को पूरा करता है
माँ बनने का सौभाग्य …
मेरी माँ बनने का सौभाग्य ….
जो सही मायनों में मेरा सौभाग्य था …
उसका मुझे छूना
पुचकारना
गले लगाना
मिट्ठी लेना ,
एकटक मुझे देखना और देखकर मंद मंद मुस्कुराना ….
शायद वो पहली और आखिरी बार था जब मैं रो रहा था ,
और मेरी प्यारी माँ हँस रही थी …
मेरी माँ की ख़ुशी
मेरे लिए शब्दों से परे है …
पर माँ , उस पल मुझे जो मिला
उसे व्यक्त करना भी किसी की कल्पना से परे है …
वैसा सुख ना तो मुझे कभी मिला
ना कभी मिलेगा …
थोड़ी देर खामोश रहे शोर में अचानक कुछ जान आई …
और वो वातावरण में धीरे धीरे अपना प्रभाव दिखाने लगा …
पर अब मुझे पता चला कि वो शोर नहीं था ,
वो तो ख़ुशी थी , उल्लास था , हुडदंग था
सबके लिए मेरे होने का …
सौरभ प्रसून
फैशन डिजाइनर
behtreen prastuti, "Maa", isko jaise chahe bakhan karo, lekin jindgi bahr karte rahoge, pura nhi ho payega ki "Maa" aakhir "Maa" hi hoti he,
ReplyDeletesundar prem se praipurn kavita ke leiye , sadhubaad
आपके "प्यारी माँ "इस शब्द में निहित माँ के प्यार के लिए बहती रसधार पूरी कविता में लबालब है.. बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई ..रश्मि जी को धन्यवाद इस सुन्दर कविता को शेयर करने के लिए
ReplyDeleteमाँ के प्रति सच्ची श्रृद्धा लिए हुए अच्छी रचना .
ReplyDeleteमां के प्रति श्रृद्धा से लबरेज़ रचना...
ReplyDeleteमां....
ReplyDeleteअपने आप में परिपूर्ण शब्द...
दिल को छूने वाली रचना.
माँ के लिए कितना भी लिखो कम ही लगता है... बहुत ही प्यारी कविता...
ReplyDeleteदिल को छूने वाली रचना.
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
दिल को छूने वाली रचना.
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
कितना सहज फिर भी मूल्यवान माँ का प्यार-अहसास !
ReplyDeleteमां के प्यार दुलार की कोई उपमा नहीं।...अच्छी कविताओं के लिए बधाई।
ReplyDeleteअज के जमाने मे भी आप जैसे अच्छे इन्सान हैं जिनके दिल मे माँ के लिये ीतनी श्रद्धा हओ। बहुत अच्छी लगी रचना। बहुत बहुत आशीर्वाद।
ReplyDeleteबहुत ही भावमय कर गई यह रचना, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई ।
ReplyDeleteमाँ के प्रेम की ऐसी कविता आज तक नही पढी……………पढते पढ्ते आंखें नम हो गयीं……………सच एक नवजात शिशु के नज़रिये से तो कभी सोचा ही नही कि वो कैसा मह्सूस करता होगा और उसे बहुत ही खूबसूरती से बाँधा है।
ReplyDeleteaapne aankhen nam kar dee
ReplyDeletesunder kavita
namaskaar !
ReplyDeleteachchi rachna hai ,
badhai .
अवर्णनीय अनुभूति का वर्णन पढना अद्वितीय लगा ... बहूत खूब सौरभ ...Keep writing
ReplyDeleteअद्भुत!!
ReplyDeleteमाँ ऐसी ही होती है ....