जब असफलता निराश करे
तो कोई ख्वाब बुनो............
मैं दुआ हूँ-
उन ख़्वाबों की ज़मीन पर
जहाँ निराशा अपनी असफलता पर रोती है
और तुम्हारी आंखों में
सुबह की किरणें जगमगाती हैं.........
मेरी मानो,
ख़्वाबों को मकसद बना लो !

रश्मि प्रभा







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खाली सा लगता है



क्यों सब कुछ खाली सा लगता है..
आंखे भरी है आंसुओं से
फिर भी आँखो में शून्यता है

दिल है दर्द और खुशियों से भरा..
फिर भी दिल वीरान लगता है..

बाहों में झूल रही है कितनों की बाते..
जिसे गले लगाकर हम फिरते है पूरा दिन..
फिर भी एक अकेलापन सा लगता है..

जब भी तलाशती हुं खुद को..कभी अकेले में..
तो वो अकेलापन जैसे घुटन सा लगता है..

छोड़ दिया है अब खुद की परेशानियों को सोचना..
दिन रात जैसे जिंदगी का सिर्फ आना जाना लगता है..

नीता कोटेचा॥

नाम : नीता कोटेचा
जन्म तिथि : मार्च १९ , १९६८
शिक्षा : एस .एस .सी
शोख ..लिखना और पढ़ना
जन्म-स्थान : मुंबई..घाटकोपर
वर्तमान पता : नीता कोटेचा
१/१ गरचा हाउस , राजावाड़ी पोस्ट ऑफ के सामने
घाटकोपर (EAST ) मुंबई 400077
इ.मेल : n.p.kotecha@gmail.com

15 comments:

  1. सुन्‍दर शब्‍द रचना ....।

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  2. क्यों सब कुछ खाली सा लगता है..
    आंखे भरी है आंसुओं से
    फिर भी आँखो में शून्यता है

    दिल है दर्द और खुशियों से भरा..
    फिर भी दिल वीरान लगता है..

    बाहों में झूल रही है कितनों की बाते..
    जिसे गले लगाकर हम फिरते है पूरा दिन..
    फिर भी एक अकेलापन सा लगता है..

    एक मुकाम पर आकर ज़िन्दगी यही देती है शायद ……………बहुत खूबसूरती से अल्फ़ाज़ों और भावों को पिरोया है।

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  3. सुन्दर कविता ! मर्मस्पर्शी !

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  4. क्यों सब कुछ खाली सा लगता है..
    दिल है दर्द और खुशियों से भरा..
    फिर भी दिल वीरान लगता है..
    ...bahut sundar marmsparshi rachna! dhanyavaad

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  5. दिल है दर्द और खुशियों से भरा..
    फिर भी दिल वीरान लगता है..

    सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली पंक्तियां.

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  6. इ‍तनी उदासी भी अच्‍छी नहीं।

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  7. जब भी तलाशती हुं खुद को..कभी अकेले में..
    तो वो अकेलापन जैसे घुटन सा लगता है..
    दिल से दिल की भावमयी बातें उदास कर ही देती हैं। धन्यवाद।

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  8. rashmi ji ... aap ki aagya anusaar apni 5 rachnaein beji hain ...

    aapne mere blog par darshan diye uske liye dhanyawaad ...

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  9. मन के खालीपन और निपट अकेलेपन को उकेरती, दिल को गहराई से छूने वाली खूबसूरत और संवेदनशील प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  10. बहुत ही सुन्दर कविता. शुभकामनाएं

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  11. छोड़ दिया है अब खुद की परेशानियों को सोचना..
    दिन रात जैसे जिंदगी का सिर्फ आना जाना लगता है.

    बहुत खूबसूरत भावमयी रचना ... शुभकामनाएं

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  12. ....मेरी मानो,
    ख़्वाबों को मकसद बना लो !

    सार्थक संदेश!सुन्दर भाव!

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  13. संवेदनशील रचना ..मन को छूती हुई ..

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  14. छोड़ दिया है अब खुद की परेशानियों को सोचना..
    दिन रात जैसे जिंदगी का सिर्फ आना जाना लगता है..
    एक मुकाम पे आ के इंसान ख़ुद को अकेला ही महसूस करता है यार...
    अगर जिन्दगी को भरपूर जीना है तो सोचना छोड़ ही देना चाहिए...

    बहुत अच्छे भाव हैं तुम्हारी रचना में...

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  15. bhavnaao ke udgaar sundr lafzo se nikle hain... yah rachna kal charchaamanch par hoi.. aapka shukriya

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