नमस्कार दोस्तो,
कॉफी विद कुश के एपिसोड में आप सभी का स्वागत है.. आज हम आपको मिलवाने वाले है एक ऐसी ब्लॉगर से जो एक नही, दो नही पूरी पंद्रह ब्लॉग्स पर लिखने वाली लेखिका से.. इनका अमृता जी, मीना कुमारी जी और गुलज़ार प्रेम तो हम इनकी ब्लॉग्स पर देख ही चुके है.. आइए जानते है कुछ और खास बाते इनके बारे में.. तो दोस्तो स्वागत कीजिए कॉफी विद कुश के आज के एपिसोड में ब्लॉग 'कुछ मेरी क़लम से' की लेखिका रंजना जी (रंजू) से..
कुश : स्वागत है रंजू जी आपका कॉफी विद कुश में... कैसा लग रहा है आपको यहा आकर ?
रंजना जी : अच्छा!! माहोल अच्छा है यहाँ का..काफी पीते हुए कुछ लिखा जा सकता है :)
कुश : सबसे पहले तो ये बताइए ब्लॉग्गिंग में कैसे आना हुआ आपका ?
रंजना जी : अपनी छोटी बेटी की वजह से ..उसके ब्लॉग को देख कर अपना ब्लॉग बनाया
कुश : हिन्दी ब्लॉग जगत में किसे पढ़ना पसंद करती है आप ?
रंजना जी : बहुत हैं सब के नाम लेने यहाँ बहुत मुश्किल होंगे ..सब अपने तरीके से अच्छा लिखते हैं .समीर जी का ब्लॉग और उनकी लिखी पुरानी कई पोस्ट मैं अक्सर पढ़ती रहती हूँ खासकर जब मूड बहुत ऑफ़ होता है .कुश जी .अनुराग जी ,ममता जी हिंद युग्म लावण्या जी सागर नाहर जी ,बालकिशन जी ,संजीत ,मोहिंदर ,दिव्याभ [यह अब आज कल नही लिख रहे हैं ] अभिषेक ओझा अल्पना अनीता रचना शोभा .महक .बहुत हैं किसका नही पढ़ती मैं :) सभी पसंद है सिर्फ़ बहस वाले कुछ ब्लॉग छोड़ कर :)
कुश : काफ़ी सारे नाम लिए आपने.. इसी बात पर ये लीजिए हमारी स्पेशल कॉफी आपके लिए..
रंजना जी : वाह!बहुत ही बेहतरीन और मजेदार कॉफी..
कुश : अच्छा ये बताइए हिन्दी ब्लॉग जगत की क्या खास बात लगी आपको ?
रंजना जी : यहाँ अपने दिल की बात अपनी भाषा में बहुत ही सहज रूप से कही जा जा सकती है और बहुत से विषय हैं यहाँ पढ़ने को जो मुझे बेहद पसंद हैं ..
कुश : सुना है आपकी लंबाई की वजह से आप कॉलेज में चर्चित थी ?
रंजना जी : जम्मू का वूमेन कालेज था मेरा कद बहुत लंबा है पेपर चल रहे थे .और मैं आराम से अपना पेपर कर रही थी तभी एक्जामिनर सामने से जोर से बोला "हे यू लास्ट बेंच गर्ल बैठ जाओ क्यूँ खड़ी हो ? " मैंने कहा "सर मैं तो बैठी हूँ" उसने विश्वास नही किया और वहां आ कर देखा और मुस्करा के कहा ठीक है .असल में उस से पहले में सर झुका कर शराफत से अपना पेपर कर रही थी पीठ सीधी की तो उसको लगा कि मैं खड़ी हो कर नक़ल करने की कोशिश कर रही हूँ
कुश : आपके बचपन की कोई बात जो अभी तक याद हो ?
रंजना जी : बहुत हैं और याद भी सभी है ..पर सबसे ज्यादा याद आता गर्मी कि छुट्टियां होते ही नानी और दादी के घर जाना .और नानी जो कि अपने पानी के घडे को किसी को हाथ नही लगाने देती थी .जान बूझ कर उन्ही के घडे से ठंडा पानी पीना हालाँकि वहां जाते ही वह हम सब बच्चो को अलग अलग सुराही दे देती थी पर जो मजा उनके अपने रखे घडे से पानी पीने में था वो और कहाँ :)और दादा जी के साथ गांव में बाग़ की सैर को जाना और खूब सारे फालसे तोड़ कर लाना .सच में आज भी बहुत याद आता है
कुश : कैसी स्टूडेंट थी आप ?
रंजना जी : एक गणित को छोड़ कर बाकी सब में अच्छी थी ..दसवीं तक था यह कमबख्त मेरे साथ ..और सिर्फ़ इसकी वजह से पापा से पढ़ाई में मैंने मार खायी
कुश : जीवन की कोई अविस्मरणिय घटना ?
रंजना जी : जीवन का हर पल याद रखने लायक है और सुख दुःख का नाम ही जिंदगी है वैसे तो पर माँ का बहुत छोटी उम्र १० साल में साथ छोड़ जाना बहुत दुःख देता है आज भी ..और बहुत छोटी उम्र १९ साल में शादी हो जाना हंसा देता है आज भी :)
कुश : अपने परिवार के बारे में बताइए ?
रंजना जी : परिवार में दो प्यारी सी बेटियाँ है पति है ससुर हैं
बेटियाँ दोनों नौकरी करती है बड़ी बेटी एच आर इन मर्सर कंपनी में है दूसरी इ टी नॉव में जर्नलिस्ट है
कुश : सुना है ब्लॉगिंग की वजह से लोगो ने आपका ऑटओग्रॅफ भी लिया था ?
रंजना जी : जब हिंद युग्म का बुक फेयर में स्टाल लगा था और इस बात का प्रचार हम सबने अपने अपने ब्लॉग पर किया, उसको पढ़ कर जब कुछ पाठक जो मेरा लिखा निरन्तर पढ़ते हैं मेरा आटोग्राफ लेने उस स्टाल पर आए थे .तब लगा लिखना सार्थक हो गया और मेरी अब अपनी एक पहचान है :)
कुश : आप ही की लिखी हुई आपकी कोई पसंदीदा रचना ?
रंजना जी : सभी बहुत पसंद है ..पर याद है अपनी पहली कविता जिस पर शायरी नेट का पहला इनाम मिला था वोह थी "'कल रात की खामोशी'' और अपनी लिखी कविता तोहफा बहुत पसंद है
कुश : कोई फिल्म जो आपको बेहद पसंद हो?
रंजना जी : यह तो बहुत मुश्किल सवाल है जी ..पिक्चर बहुत कम देखती हूँ पर जो देखी हैं वह पसंद की ही देखी है :) एक बतानी है तो इजाजत पिक्चर अपनी कहानी और सबके किए गए उस फ़िल्म में सहज अभिनय के कारण पसंद है
कुश : बचपन में आप बहुत जासूसी करती थी?
रंजना जी : हा हा हा! करती नही थी जी एक बार की थी, तब मैं कोई १४ साल कि हूंगी तब दीवाना और लोट पोट चंदामामा बच्चो की किताबे आती थी उस में कहीं जासूसी कहानी पढ़ कर छोटी बहनों को डराने की सूझी और पापा का ओवर कोट ,हेट और उनके गम शूज पहन कर दरवाज़े के पीछे छाता तान कर खड़ी हो गई और जैसे ही वह दोनों अन्दर आई छाता उनकी तरफ कर दिया और जब वह दोनी चीखी तो उनकी चीखे सुन कर मैं ख़ुद डर गई और जो हम तीनों चीखे तो सारा मोहल्ला वहां पर जमा हो गया और पापा ने जो शामत बनाई मेरी की आजतक जासूस बनने की सोचना तो दूर कोई किताब नही पढ़ती इस विषय पर
कुश : क्या कोई ऐसी आदत है आपमे जो आप बदलना चाहेंगी ?
रंजना जी : नही मैं बहुत अच्छी बच्ची हूँ :) एक आदत मुझे लगता है कि शायद मुझे बदल देनी चाहिए मैं विश्वास करती हूँ डू आर डाई मतलब करो या मरो शायद आर्मी माहोल में रहने के कारण यह आदत मुझ में आज भी मौजूद है पर घर में सबको लगता है कि यह आदत मुझे बहुत जल्दबाजी की ओर ले जाती है ..और इस से परेशानी हो जाती है
कुश : किताबो से काफ़ी प्यार लगता है आपको?
रंजना जी : किताबे तो मेरी लाइफ लाइन हैं :) अमृता प्रीतम की सभी किताबे कई बार पढ़ चुकी हूँ सबसे ज्यादा पसंद है उनकी नागमणि [३६ चक ] और रसीदी टिकट पसंद इसलिए है उनका लेखन क्यूंकि वह दिल सेलिखा हुआ हैऔर सच के बहुत करीब है
कुश : सुना है आपकी लिखी एक पुस्तक भी आ रही है?
रंजना जी :जी हाँ 'साया' मेरी वह ड्रीम बुक है जिसको मैंने अपनी कविता लेखन के साथ साथ बड़ा होते देखा है और फ़िर यही सपना मेरी छोटी बेटी की आँखों में भी पलने लगा और आज उसकी वजह से मेरा यह सपना साया पब्लिश हो चुकी है .उस के बाद बच्चो को एक किताब पर काम कर रही हूँ जिस में उनकी बाल कविताएं और रोचक जानकरी सरल लफ्जों में लिखने की कोशिश है ताकि आने वाली पीढी सहजता से अपनी भाषा से जुड़ सके और किताबो को पढने की रूचि बनी रहे .. किसी अच्छे पब्लिशर से मिलते ही यह सपना भी जल्द पूरा हो जायेगा
कुश : आप नारी विमर्श जैसी कई ब्लॉग्स पे भी लिखती है, क्या वजह रही उससे जुड़ने की?
रंजना जी : नारी से जुड़ना अकस्मात ही हुआ ..लगा कि कुछ बातें जो अब तक सिर्फ़ सोचती हूँ नारी को लेकर उनको अब लफ्ज़ देने चाहिए
पर यहाँ कोई आन्दोलन नही है सिर्फ़ अपनी बात है हर नारी के दिल की जो दिल में सब वही लिखते हैं
कुश : क्या आप मानती है की नारी को आज भी मुक्त होने की ज़रूरत है?
रंजना जी : नारी को नही उसके विचारों को सम्मान देने की ज़रूरत अभी भी है.. नारी कोई बँधी हुई नही हुई अब
कुश : कहा जाता है की नारी विमर्श जैसी कई ब्लॉग्स पर एक ही तरह की बात होती है, लोग अब उससे उबने लगे है ?
रंजना जी : उब तब होती है ..जब लगता है की कुछ कहने की जो कोशिश हो रही है वो कामयाब है...पर जिस रोज़ किसी स्त्री की कामयाबी देखते हैं.. ठीक उसी दिन कोई नया रेप या पढ़ी लिखी नारी को पीटती हुए देख लेते हैं तब लगता है की कहना बहुत हद तक सफल नही हो रहा है
कुश : लेकिन इसे यू भी तो देख सकते है की किसी दिन रॅप या किसी नारी को पीटने की खबर मिले.. उसी दिन उसकी कामयाबी भी पढ़ने को मिले तो लग सकता है की अब सब बदल रहा है?
रंजना जी : हाँ यूँ भी सोचा जा स्कता है ..पर शायद अभी समाज को पोज़ेटिव कम और नेगेटिव देखने की ज़्यादा आदत है, और उसी समाज में हम भी है..
कुश : तो इसका मतलब नारी ब्लॉग में नेगेटिव नज़रिए से लिखा जाता है?
रंजना जी : मैं नेगेटिव नही लिखती.. बाकी जो लिखते हैं लिखे
कुश : जब एक कम्यूनिटी ब्लॉग में लिखा जाता है तो वहा व्यक्तिगत सोच क्या मायने रखती है? क्या आपके विचार वहा के बाकी लोगो से अलग है ?
रंजना जी : हाँ विचार सबके व्यक्तिगत हो सकते हैं ..वैसे मेरे अपने ख्याल पोज़ेटिव सोच से ज़्यादा मिलते हैं.. मुझे कामयाबी पर लिखना जयदा पसंद है जिससे औरो को सीख मिल सके..
कुश : क्या वजह है की नारी मुक्ति या स्त्री विमर्श की बात करने वाले ब्लॉग पर अक्सर कमेंट नही देखे जाते जबकि उसी ब्लॉग के लेखको की व्यक्तिगत ब्लॉग पर कमेंट होते है?
रंजना जी : आपको समीर जी की हिन्दी चिट्ठाकारी पोस्ट याद है :) बस वही हाल है जब कई एक साथ मिल कर लिखते हैं तो शायद सामने वाले को पिटने का डर ज्यादा होता है :) मजाक कर रही हूँ ...मेरे ख्याल से सबके अपने व्यक्तिगत विचार है इस बारे में ,,जब जब नारी विमर्श की बात होती है तो अक्सर न ख़तम होने वाली बहस शुरू हो जाती है और हल तो सबने अपनी समस्या का ख़ुद ही तलाश करना है जबकि व्यक्तिगत ब्लॉग में शायद बात दिल तक जाती है और विषय में अलग होते हैं ..तो पढने वाले पाठक भी अधिक मिल जाते हैं ..
कुश : तो क्या इसका मतलब नारी विमर्श वाले सभी ब्लॉग्स सिर्फ़ बहस करने के लिए है?
रंजना जी : नही यह वह मंच है जहाँ समस्याओं का हल आपसी बातचीत से निकाला जा स्कता है
एक संदेश तो उन नारियों तक देने की कोशिश होती है जो इस वक़्त किसी दुविधा से गुजर रही हैं
कुश : यह तो बड़ी अच्छी बात है, अब तक कितनी समस्याओ का हाल निकाला जा चुका है?
रंजना जी : हल कितना निकला पता नही पर नारी ब्लॉग में निरन्तर सदस्यों की बढ़ती संख्या बताती है की वह यहाँ सार्थक बातचीत कर सकती है
कुश : तो आपके अनुसार किसी ब्लॉग की सफलता का मापदंड उसके सदस्यो की संख्या है?
रंजना जी : कुश तुम तो मुझे पिटवाओगे, बहुत शरारती सवाल पूछ रहे हो..
कुश : कुश : हा हा हा! तो अब समझ में आया आपके.. खैर हमारे पाठको ने आपसे इतने अच्छे अच्छे सवाल पूछे है तो आप भी अच्छे से उनका जवाब दीजिएगा.. आइए चलते है हमारे पाठको के सवाल की ऑर
कुश : आपके जीवन का कोई ऐसा वाक़या जिसे याद करके किसी की गमी में बैठे बैठे भी हसी आ जाए? - पल्लवी जी
रंजना जी : जम्मू में हमारे मकान मालिक जिन्हें उनके बच्चे बाबू जी और हम लोग डब्बू जी कहते थे उनकी एक आदत बहुत अजीब थी वह तेज बारिश आने पर छाता ले कर अपने घर के आँगन में लगे निम्बू ,अमरुद और बाकी पौधो को पानी देते थे ..और मैं यदि घर में हूँ तो अपने निम्बू के पेड़ पर लगे निम्बू गिनना नही भूलते थे जिन्हें में उनकी नजर बचा कर चुरा लिया करती थी ..
कुश : आपको लिखने की इतनी ऊर्जा कौन प्रदान करता है? नीरज जी
रंजना जी : मेरे लिखे को पढने वाले पाठक .जब उनकी ढेरों मेल मेरे पास आती है ..:) जनून भी है कुछ न कुछ हर वक्त पढने लिखने का ....अच्छा है न ...कहते हैं कि खुराफाती दिमाग को खाली नही रहना चाहिए :)
कुश : कोई ऎसा वाक़या, जो आप भूलना चाहती हों ? डॉ अमर कुमार
रंजना जी : हाँ एक वाकया जब मेरी बड़ी बेटी जब ४ साल की थी तो दूसरी मंजिल से गिर गई थी और उसके बाद के ७२ घंटे मेरे लिए जीवन मरण का प्रश्न बन गए थे ..ईश्वर की असीम कृपा रही कि वही ७२ घंटे हम पर भारी पड़े उसके बाद वह ठीक हो गई ..जाको राखे साईँ मार सके न कोय ...:)उस हादसे को मैं जिंदगी में कभी याद नही करना चाहती ..
कुश :आपको किन किन लेखक या फिर किन किन किताबों ने बिगाड़ा? - सुशील जी
रंजना जी : हा हा सही है यह भी .बहुत से लेखको का लिखा पढ़ा है धर्मवीर भारती ,इस्मत चुगताई ,आबिद सुरती पर .मुझे सबसे ज्यादा बिगाडा अमृता जी ने फ़िर शिवानी , .गुलजार और मीना जी की लिखी नज़मो ने मेरे सपनो को वो आसमान दे दिया जहाँ आज भी मेरा खुराफाती दिमाग अपनी उड़ान भरता रहता है :)
कुश : अगर अमृता जिंदगी में ना आयी होती तो क्या तब भी आप ऐसी ही होती ? - अनुराग जी
रंजना जी : ऐसी होती से क्या मतलब है आपका :) अच्छी या बुरी ? मतलब कैसी हूँ मैं?
हा .हा अनुराग जी पहले आप जवाब दे
फ़िर मैं बताती हूँ कि मैं क्या हूँ और क्या हो सकती हूँ :) ...
कुश : मुझे किसी ने बताया था कि एक अच्छा रिपोर्टर अच्छा लेखक नहीं हो सकता है। कविता तो उसके बस की ही नहीं है, क्या यह सही है? -मन्विन्दर जी
रंजना जी : जिसने भी कहा वह उसका अपना ख्याल होगा :) ऐसा कोई जरुरी नही है, कविता दिल की हालात की भावना से जन्म लेती है और वह जब दिल में उमड़ती है तो यह नही देखती की उसको लिखने वाला रिपोटर है या कवि लेखक
जिस भाषा में हम बात करते हैं ,उसी भाषा में साहित्य सृजन करना कहाँ तक तर्क-संगत है ....
यह तो बड़े बड़े लेखक गण ही बता सकते हैं .:) मैं अदना सी कुछ भी लिखने वाली क्या कह सकती हूँ इस विषय में .....मुझे तो अपनी उसी भाषा में लिखना अच्छा लगता है जो आम बोल चाल की है क्यूंकि मुझे लगता है वही सहज है लिखने में अपनी लगती है और दिल की बात दिल तक पहुँच जाती है ...
कविता और गजल में कोई एक चुनना हो, तो कविता लिखना पसंद करेंगी अथवा गजल?
अशोक जी मैं कविता लिखनी पसंद करुँगी ..गजल लिखने में अभी बहुत छोटी कक्षा की विद्यार्थी हूँ ..सीख रही हूँ अभी लिखना इसको ..:)
१.अगर आपको अपने से कोई एक सवाल पूछना हो तो क्या पूछेंगी?anup ji
२.उस सवाल का संभावित जबाब क्या है?
:) मैं तो रोज़ ख़ुद से कई सवाल करती हूँ ..शायद आपने पढ़ा नही मेरे ब्लॉग के परिचय में ख़ुद से बात करने की बुरी आदत है मुझे :) चलिए आपको भी बता देते हैं की रंजू ख़ुद से क्या सवाल पूछती है :) कि क्या आज रंजू ने कोई एक ऐसा काम किया जिस से किसी को खुशी मिली ..या कोई ऐसा काम जिस से किसी को दुःख पहुँचा हो ? यदि खुशी दी है तो जिंदगी का एक दिन जो आज है वह सफल हो गया और नही तो जिंदगी का एक दिन जो बीत गया वह बेकार हो गया :)
ब्लाग जगत को महिलाएं क्या दे रही हैं और महिलाओं को ब्लाग जगत से क्या मिल रहा है। abraar ahamd
मैं आपका प्रश्न शायद सही से समझ नही पा रही हूँ ..यदि आप एक ब्लागर की हेसियत से पूछ रहे हैं तो जो एक पुरूष ब्लाग जगत से हासिल कर रहा है वही महिला भी कर रही है ..क्यूंकि ब्लॉग स्त्रीलिंग या पुलिंग लेखन में अलग अलग नही बँटा है ...पर यदि आप आज की महिला के बारे में पूछ रहे हैं तो यह तो सब जानते हैं कि कंप्यूटर की दुनिया ने सब तरफ क्रान्ति ला दी है ..एक महिला जो अभी तक सिर्फ़ घर में गृहणी थी वह घर में ही रह कर घर की चार दिवारी से निकल कर तकनीकी जानकारी से परिचित हो रही है दुनिया को जान रही है अपनी नजर से पढ़ कर लिख कर ... .और इस से उसको भी आत्मसंतुष्टि मिल रही है जो एक पुरूष ब्लागर को :)
कौन कौन से ब्लॉग पढ़ना नहीं पसंद, जरा दो तीन नाम तो बताईये?? और क्यूँ?SAMEER JI
समीर जी आप को तो मैं ब्लाग जगत का हनुमान समझती हूँ ..जो पलक झपकते ही संकट मोचन बन कर सबका संकट हर लेते हैं ..पर लगता है आपकी ड्यूटी बदल गई है यह प्रश्न लिखते वक्त ..नारद मुनि लग रहे हैं इस वक्त आप मुझे :) नारायण नारायण !!
तो सुनो प्रभु जी मुझे राजनीति बिल्कुल पसंद नही है ,इस लिए उस से सबंधित ब्लाग भी नही पढ़ती हूँ ..और यह क्या अनर्थ कर रहे हैं प्रभु ..नाम में क्या रखा है :)
मुझे किसी ने बताया था कि एक अच्छा रिपोर्टर अच्छा लेखक नहीं हो सकता है। कविता तो उसके बस की ही नहीं है, क्या यह सही है?
जिसने भी कहा वह उसका अपना ख्याल होगा :) ऐसा कोई जरुरी नही है ..कविता दिल की हालात की भावना से जन्म लेती है और वह जब दिल में उमड़ती है तो यह नही देखती की उसको लिखने वाला रिपोटर है या कवि ..लेखक
मेरा दूसरा सवाल,
क्या यह सच है कि दर्द से गुजर कर ही लेखनी में निखार आता है? दर्द की स्याही से ही गजल लिखी जाती है?
किसी ने कहा है ..
खाली जगहें भरते रहना अच्छा है
कागज काले करते रहना अच्छा है !:)
दर्द और खुशी तो साथ साथ चलते हैं जिंदगी के ...कौन किस हालत में क्या लिख कर कमाल कर जाए कौन जाने :) पर मेरा अपना ख्याल है की दर्द में लिखा दिल के हर ज़ख्म को भर देता है ...मेरी ही लिखी कुछ पंक्तियाँ है ..जिनको मैं हजल कहती हूँ :)
दर्द के प्याले में डूबा हर लफ्ज़ अच्छा लगा
यही है ढंग जीने का तो सनम ,अच्छा लगा
इक कोहरा सा बिछा है हर रिश्ते के दरमियाँ
इनको उम्मीद के उजाले में देखना अच्छा लगा
हर तरफ़ यहाँ कहने को इंसान ही है सारे
इस बस्ती में सबको आइना दिखाना अच्छा लगा
बाकी फ़िर कभी :)
कुश : बढ़िया जवाब रहे आपके.. अब वक़्त है रॅपिड फायर राउंड का. शुरू करते है हमारा रॅपिड फायर राउंड
कुश : रंजना - रंजू
रंजना जी : रंजू
कुश : एकता कपूर - करीना कपूर
रंजना जी : दोनों बर्दाशत नही
कुश : ज़्यादा पैसा - थोड़ा प्यार
रंजना जी : थोड़ा प्यार ...थोड़े से पैसे के साथ ..महंगाई बहुत है भाई :)
कुश : घर की दाल - बाहर की मुर्गी
रंजना जी : घर की दाल .शुद्ध शाकाहारी हूँ :)
कुश : चलिए अब बारी है हमारे वन लाइनर राउंड की
कुश :अमृता प्रीतम
रंजना जी : बिंदास मोहब्बत का एक नाम
कुश :अनुराग आर्य
रंजना जी : एक बेहतरीन संवेदन शील इंसान जिस से हर कोई दोस्ती करना चाहता है
कुश : ब्लॉगिंग
रंजना जी : दिल की बात दूसरों तक पहुंचाने का बेहतरीन जरिया ..
कुश : कुश की कॉफी
रंजना जी : बहुत अच्छी संतुलित मिठास लिए जो आपनी बातो के झाग से होंठो पर मुस्कान चिपका देती है :)
कुश : काफ़ी बढ़िया राउंड रहा. अब बारी है हमारी खुराफाती कॉफी की जिसे पीकर आपको देने होंगे खुराफाती सवालो के खुराफाती जवाब
कुश : अगर आप पुरुष होती तो?
रंजना जी :तो मैं इमरोज़ की तरह किसी अमृता से मोहब्बत करती ..हा हा :)
कुश : नाच नही जानने पर आँगन टेढ़ा ही क्यो होता है?
रंजना जी : रंजू कैन डांस :) जिन्हें नही आता उनसे पूछो
कुश जी: अगर आप 1 करोड़ रुपया जीत जाए तो सबसे पहला काम क्या करेंगी?
रंजना जी :वाह कुश जी लिफ्ट होने के सपने दिखा रहे हैं :):) थोडी सी तो लिफ्ट ...तो आधा मैं जो बच्चे देख नही सकते [मैं एक अंध महाविद्यालय में समय मिलने पर जाती हूँ ] उन बच्चो के इलाज मैं लगा देती ताकि वह यह खुबसूरत दुनिया देख सके और आधा घूमने और किताबे खरीदने पर लगा देती
कुश : बिना दूध, पत्ती और शक्कर की चाय कैसे बनाएँगे?
रंजना जी : कुश आप काफ़ी बनाते पिलाते चाय बनाना भूल गए हैं शायद :)तो कहवा या टी बेग्स उबले पानी में डाल कर बना लो लगता है आपने कभी फौजी चाय नही पी :)
कुश :अगर पार्ट्नर फिल्म आपको लेकर बनाई जाए तो आप ब्लॉग जगत में से किसे अपना पार्ट्नर चुनेंगी?
रंजना जी :अगर यह सवाल स्त्रीलिंग या पुल्लिंग के बीच का चुनाव होता तो खुराफाती होता ..:) मैं घाघुती जो को अपना पार्टनर चुनती .उनके साथ बीते पल मैं भूल नही पाती :)
कुश : चलते चलते कुछ ऑर सवाल, हिन्दी ब्लॉगिंग का भविष्य कैसा देखती है आप?
रंजना जी : बहुत उज्जवल ..आने वाला वक्त अच्छा होगा हर लिहाज से हिन्दी ब्लागिंग में .साहित्य .कविता और अन्य विषय पर अच्छी जानकारी मिलेगी .
कुश : हमारे ब्लॉगर मित्रो से क्या कहना चाहेंगी आप?
रंजना जी : बस यही की हिन्दी भाषा को बढावा दे सार्थक लिखे ...बेकार की बहस में न पड़े ..वैसे यह एक परिवार है और सबके विचार मिले यह जरुरी नही पर उसको सभी सभ्य भाषा से सुलझाए और नए हिन्दी ब्लागेर्स का उत्साह बढाए वैसे यहाँ सब बहुत ही समझदार इंसान है पर अध्यपिका होने की आदत से एक छोटा सा लेक्चर मौका मिलते ही मैंने दे दिया इसको अन्यथा न ले :)
कुश : बहुत अच्छे जवाब रहे आपके रंजना जी.. मान तो नही है लेकिन इस इंटरव्यू को अब यही विराम देना पड़ेगा.. हमे बहुत अच्छा लगा आप यहा आई और आपने अपने जीवन की कई अच्छी बुरी बाते हमारे साथ शेयर की. .बहुत बहुत धन्यवाद आपका..
रंजना जी : मुझे भी बहुत अच्छा लगा.. यहा की कॉफी वाकई में बहुत बढ़िया है..
कुश : शुक्रिया रंजू जी. तो ये लीजिए ये है आपका गिफ्ट हैम्पर..
रंजना जी : शुक्रिया कुश! बहुत बहुत शुक्रिया